प्रार्थना सप्ताह के केंद्र में है ईश्वर और पड़ोसी प्रेम
भला समारी के दृष्टांत से प्रेरित होकर, ख्रीस्तीय एकता के लिए इस वर्ष का प्रार्थना सप्ताह हमें ईश्वर और पड़ोसी के प्रेम के लिए प्रार्थना करने के लिए आमंत्रित करता है।
पचास से अधिक वर्षों से, काथलिक कलीसिया ख्रीस्तीय एकता के लिए प्रार्थना सप्ताह (डब्ल्यूसीपीयू) की पहल में अन्य ख्रीस्तीय समुदायों के साथ शामिल हुआ है।
हर साल जनवरी 18 तारीख से ख्रीस्तीय समुदाय मिलकर ख्रीस्तीय एकता के लिए प्रार्थना सप्ताह मनाते हैं, जो 24 जनवरी को संत पौलुस के मनपरिवर्तन के पर्व पर समाप्त होता है।
द्वितीय वाटिकन महासभा द्वारा प्रदान किए गए एकतावर्धक आवेग के बाद, 1966 में ख्रीस्तीय एकता को बढ़ावा देने के लिए नवोदित सचिवालय (जो उसी नाम के विभाग में विकसित हुआ) ने कलीसियाओं के विश्व परिषद के विश्वास और व्यवस्था आयोग के साथ वार्षिक प्रार्थना सप्ताह की सामग्री तैयार करने के लिए काम करना शुरू किया।
कुछ ही साल बाद, 1975 में, स्थानीय ख्रीस्तीय एकता वर्धक समुदायों को पहली बार प्रार्थना सप्ताह के लिए सामग्री जुटाने का काम दिया गया।
इस वर्ष के प्रार्थना सप्ताह का विषय है "आप प्रभु अपने ईश्वर से प्रेम करें... और अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम करें", और यह भला समारी के दृष्टांत पर केंद्रित है। इस वर्ष के सप्ताह के लिए सामग्री स्थानीय चेमिन नेफ समुदाय, बुर्किना फासो की एक ख्रीस्तीय एकता वर्धक टीम द्वारा तैयार की गई है।
ख्रीस्तीय धर्म को बढ़ावा देने के लिए गठित विभाग के पश्चिमी अनुभाग के प्रमुख मोनसिन्योर जुआन उस्मा गोमेज़ ने कहा, "यह एक ऐसा सप्ताह है जिसमें हम एक ही उद्देश्य के लिए, ‘ख्रीस्तीय एकता’ के लिए प्रार्थना कर रहे हैं, और यह एक समुदाय, एक स्थानीय समुदाय से प्रेरित है।"
पश्चिम अफ्रीका में साहेल क्षेत्र में स्थित बुर्किना फासो के ख्रीस्तीय समुदाय की आबादी लगभग 20% है। देश का अधिकांश हिस्सा, लगभग 64%, इस्लाम धर्म का पालन करता है, जबकि लगभग 9 प्रतिशत आबादी पारंपरिक अफ्रीकी धर्मों का पालन करती है।
मोनसिन्योर उस्मा गोमेज़ कहते हैं, "इस साल यह एक अफ़्रीकी समुदाय है, एक प्रताड़ित ख्रीस्तीय समुदाय है, एक अल्पसंख्यक ख्रीस्तीय समुदाय है जो बहुत कठिन स्थिति में है। बुर्किना फ़ासो उत्पीड़न, हिंसा और अंतर-धार्मिक स्थितियों की सबसे कठिन स्थिति से गुज़र रहा है जो काफी जटिल हैं।"
वे आगे कहते हैं, "फिर भी, शायद सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि एक प्रताड़ित अल्पसंख्यक समुदाय हमें प्यार के लिए प्रार्थना करने, अपने पड़ोसियों से प्यार करने, उन सभी से प्यार करने, जो हमारे करीब हैं और भला समारी के मार्ग पर चलने के लिए आमंत्रित कर रहा है।"
मोनसिन्योर उस्मा गोमेज़ बताते हैं कि भला सामरी के सुसमाचार खंड का चयन कर आयोजक "हमें न केवल अफ्रीकी लोगों के रहने के तरीके, एक दूसरे को स्वीकार करने के तरीके के बारे में बताकर प्रेरित करने की कोशिश कर रहे हैं, बल्कि हमें कलीसिया के आचार्यों के विचारों से जुड़ने हेतु प्रेरित करने की भी कोशिश कर रहे हैं।"
वह आगे कहते हैं, कलीसिया के आचार्यों ने भला समारी के दृष्टांत के पर विचार करते हुए यह समझाया है कि प्रत्येक पात्र किसका प्रतिनिधित्व करता है। उदाहरण के लिए, समारी मसीह का प्रतिनिधित्व करता है; जिस व्यक्ति को लूट लिया गया और मृत अवस्था में छोड़ दिया गया वह "आदम" या मानवता का प्रतिनिधित्व करता है; और जिस सराय में पीड़ित को स्वीकार किया जाता है वह कलीसिया का प्रतिनिधित्व करता है, "कलीसिया जहाँ सभी की प्रेमपूर्ण देखभाल की जानी चाहिए, चाहे उनका धर्म, जाति या समुदाय कुछ भी हो।"