हीरा बारवे के हीरे कार्डिनल टोप्पो की अंतिम विदाई
राँची के महामहिम कार्डिनल तेलेस्फोर पी. टोप्पो का अंतिम संस्कार 11 अक्टूबर तो राजकीय सम्मान के साथ राँची के लोयोला मैदान में सम्पन्न हुआ। जिन्हें राँची के संत मरिया महागिरजाघर में संत मदर तेरेसा की प्रतीमा के सामने दफनाया गया।
राँची के महामहिम कार्डिनल तेलेस्फोर पी. टोप्पो का अंतिम संस्कार 11 अक्टूबर तो राजकीय सम्मान के साथ राँची के लोयोला मैदान में सम्पन्न हुआ। जिन्हें राँची के संत मरिया महागिरजाघर में संत मदर तेरेसा की प्रतीमा के सामने दफनाया गया।
राँची महाधर्मप्रांत की कलीसिया ने पोप के प्रतिनिधि, झारखंड के मुख्यमंत्री, सरकारी अधिकारियों, संसदों, विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधियों और कार्डिनल टोप्पो के प्रियजनों के साथ भारी संख्या में एकत्रित होकर, दिवांगत कार्डिनल को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए, उन्हें अंतिम विदाई दी।
राँची के महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स टोप्पो येसु समाजी ने भारत में पोप के राजदूत के प्रतिनिधि मोनसिन्योर अलबेरतो नपोलितानो, काथलिक समुदाय के धर्माध्यक्ष, अन्य ख्रीस्त समुदाय के धर्माध्यक्षगण, पुरोहित, धर्मसमाजी एवं विश्वासियों के साथ, कार्डिनल टोप्पो का अंतिम संस्कार, मिस्सा बलिदान के साथ सम्पन्न किया।
ख्रीस्तयाग के शुरू में पोप के प्रतिनिधि मोनसिन्योर अलबेरतो नपोलितानो ने कार्डिनल टोप्पो के निधन पर राँची की कलीसिया को पोप फ्राँसिस एवं वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन के संवेदना संदेश को पढ़कर सुनाया। उसके बाद कार्डिनल टोप्पो की जीवनी पढ़ी गई।मिस्सा के दौरान उपदेश में महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स टोप्पो ने कहा, “आज हम दुखित हृदय से स्वर्गीय आर्चविशप तेलेस्फोर पी. कार्डिनल टोप्पो दफन के मिस्सा में और दफन की विधि में भाग लेने के लिए यहाँ उपस्थित हुए हैं।” उन्होंने कहा कि एक ओर जहाँ हम उनके वरदानपूर्ण जीवन के लिए ईश्वर को धन्यवाद दे रहे हैं वहीं दूसरी ओर उनकी आत्मा की अनन्त शांति के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। कार्डिनल इस संसार में आये और 4 अक्टूबर को इस संसार से विदा हो गये, यह ईश्वर की योजना और ईश्वर की इच्छा के अनुसार ही है। उन्होंने राँची सहित भारत और विदेशों में उनकी सेवाओं को याद किया तथा कहा कि उन्हें मान सम्मान, धन-सम्पति और ख्याति की कोई चिंता नहीं थी। उनका एकमात्र लक्ष्य था प्रभु की महिमा के लिए जीना और प्रभु के लिए मरना। अपने जीवनकाल में कार्डिनल माता मरियम की बड़ी भक्ति करते थे।” महाधर्माध्यक्ष ने याद किया कि उनके माध्यम से ईश्वर ने असंख्य लोगों को आशीर्वाद दिया है। और इसके लिए उन्होंने ईश्वर को आभार प्रकट किया।
मिस्सा के बीच महामहीम कार्डिनल टोप्पो को राजकीय सम्मान प्रदान करते हुए उनके पार्थिव शरीर पर तिरंगे झंडा रखा गया। झारखंड के मुख्यमंत्री एवं मंत्रीमंडल ने उन्हें रीद चढ़ाकर श्रद्दांजलि अर्पित की। इसी के साथ उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर का सम्मान दिया गया।
मिस्सा के अंत में कार्डिनल टोप्पो के परिवार, सीबीसीआई, सीआरआई, अन्य ख्रीस्तीय समुदाय, सिक्ख, मुस्लिम, हिन्दू, ब्राह्मा कुमारी के प्रतिनिधियों की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
माण्डर की शिल्पा नेता तिरकी ने माताओं और बहनों की ओर से श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “आज कुछ ही महत्वपूर्ण लोगों के नाम से झारखंड की पहचान अंतरराष्ट्रीय जगत में बनी। और उनमें कार्डिनल तेलेस्फोर पी टोप्पो का महत्वपूर्ण स्थान है। उनके स्वाभाव में उराँव जाति की सादगी, सरलता, विनम्रता जैसे सभी गुँण थे। कार्डिनल टोप्पो का नाम केवल इसलिए महत्वपूर्ण नहीं है कि वे जनजाति समुदाय से उभरकर आनेवाले एशिया के पहले कार्डिनल बने, बल्कि उन्होंने राँची के महाधर्माध्यक्ष बनने के बाद सभी जाति, धर्म, समुदाय के लोगों को अपने साथ सम्माहित करते हुए उनकी भावनाओं का सम्मान किया। इसके कारण उन्होंने झारखंड में वैसा वातावरण का निर्माण किया जिससे झारखंड की सामाजिक समरसता की पहचान देश में स्थापित हुई। कार्डिनल टोप्पो के हृदय में झारखंड की जनजाति के अलावे यहाँ की सभी जाति, धर्म और समुदाय के लोगों का दुःख-दर्द गहराई तक बसा था। वे जल जंगल जमीन और अपने लोगों से दिल से जुड़े थे।”
श्रद्धांजलि कार्यक्रम के बाद महाधर्माध्यक्ष फेलिक्स एवं अन्य उपस्थित सभी धर्माध्यक्षों ने कार्डिनल तेलेस्फोर के पार्थिव शरीर पर अंतिम संस्कार की विधि सम्पन्न की।
राँची के सहायक धर्माध्यक्ष थेओदोर मसकरेनहास ने राँची महाधर्मप्रांत की ओर से धन्यवाद ज्ञापन किया। उन्होंने सभी को धन्यवाद देते हुए कहा, “यह दुःख की घड़ी है फिर भी प्रभु को धन्यवाद देने की घड़ी है।...हम ईश्वर को इतने महान कार्डिनल देने के लिए धन्यवाद देते हैं जिन्होंने अपने लोगों से प्रेम किया और प्रेम से उनकी सेवा की, अपना जीवन दूसरों के लिए समर्पित किया। हीरा बारवे से आते हुए, झारखंड के लिए, भारत के लिए, दुनिया के लिए खुद हीरा बने।” उन्होंने तीनों संत पापाओं: पोप जॉन पौल द्वितीय, पोप बेनेडिक्ट 16वें और पोप फ्राँसिस के प्रति आभार प्रकट किया। कार्डिनल के परिवार को विशेष धन्यवाद दिया जिन्होंने उनमें विश्वास का बीज बोया था और उसी विश्वास को लेकर वे पुरोहित, विशप और कार्डिनल बने।