पोप ने प्लास्टिक सर्जनों को याद दिलाया कि सच्ची सुंदरता ईश्वर की छवि दर्शाती है

पोप फ्राँसिस ने प्लास्टिक सर्जनों के एक दल को संबोधित करते हुए सुंदरता की वास्तविक प्रकृति पर विचार किया।

पोप फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार को वाटिकन में प्लास्टिक सर्जनों के एक दल से मुलाकात की और उन्हें उनके उत्साहपूर्ण सेवा के लिए धन्यवाद दिया, खासकर, बीमार बच्चों की मदद करने के लिए।

उपस्थित चिकित्सक 24-25 मई को "जब विज्ञान सौंदर्य से मिलता है" विषयवस्तु पर होनेवाली एईएक्सपीआई बैठक में भाग लेने के लिए रोम में थे।

उन्होंने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि वे एक पुरुष, डॉक्टर और ख्रीस्तीय के रूप में अपनी बुलाहट का प्रत्युत्तर दे रहे हैं जो शारीरिक सौंदर्यशास्त्र से कहीं आगे जाता है। पोप ने कहा कि सच्ची सुंदरता, आंखों से दिखाई देनेवाली चीजों से परे होती है।
उन्होंने कहा, यह सुंदरता, "फैशन के व्यवसाय और दिखावे की संस्कृति द्वारा कार्यक्रमबद्ध रुझानों के अधीन नहीं है, बल्कि मनुष्य की सच्चाई, उसके सबसे अंतरंग अस्तित्व से जुड़ी है, जिसे हम विकृत नहीं कर सकते।"

संत पौलुस की शिक्षा का हवाला देते हुए संत पापा ने कहा कि हमारा चेहरा ईश्वर की महिमा को प्रतिबिम्बित करने के लिए है जो हमें अपने कार्यों और प्रेम के माध्यम से अपने प्रतिरूप में बदल देते हैं। उन्होंने सर्जनों से आग्रह किया कि वे इस गहन सत्य को अपने हाथों का मार्गदर्शन करने दें, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि उनका काम न केवल शारीरिक रूप से ठीक हो, बल्कि प्रत्येक व्यक्ति में अंकित ईश्वर की छवि को भी ऊपर उठाए और प्रतिबिंबित करे।

पोप ने आगे कहा, येसु को एक ओर "मानव पुत्रों में सबसे सुंदर" के रूप में वर्णित किया गया है (स्तोत्र 45:3)। वहीँ दूसरी ओर, उनकी पीड़ा के कारण, उन्हें "मानव में सबसे तिरस्कृत" रूप में चित्रित किया गया है।

पोप ने कहा, "येसु हमें इस विरोधाभास में अपनी और हमारी सच्ची छवि दिखाते हैं, जो क्रूस के मार्ग से होकर, हमारी लघुता की स्वीकृति के माध्यम से, अनन्त महिमा तक पहुँचने के लिए, एक ऐसी आशा तक पहुँचती है जो निराश नहीं करती या मुरझाती है" (1कोर 9:25)।