कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) मानवीय गरिमा को दरकिनार न करे

जिनिवा स्थित संयुक्त राष्ट्र संघीय कार्यालयों में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष एत्तोरे बालेस्त्रेरो ने इस तथ्य पर चिन्ता व्यक्त की कि सूचना प्रौद्योगिकी के विकास के बावजूद कई विकासशील देशों में अभी भी बुनियादी ढांचे, संसाधनों और विशेषज्ञता का अभाव बना हुआ है।
जिनिवा स्थित संयुक्त राष्ट्र संघीय कार्यालयों में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष एत्तोरे बालेस्त्रेरो ने इस तथ्य पर चिन्ता व्यक्त की कि सूचना प्रौद्योगिकी के विकास के बावजूद कई विकासशील देशों में अभी भी इनका प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए बुनियादी ढांचे, संसाधनों और विशेषज्ञता का अभाव बना हुआ है।
विज्ञान एवं तकनीकी सम्बन्धी आयोग में "विश्व शिखर सम्मेसन के बाद सूचना प्रौद्योगिकी का विकास" शीर्षक के अन्तर्गत चल रही बैठकों के 28 वें सत्र में वाटिकन के प्रतिनिधि महाधर्माध्यक्ष बालेस्त्रेरो ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के विकास ने दुनिया भर में आर्थिक, सामाजिक और शासन संरचनाओं पर गहरा प्रभाव डाला है, जिसने कई नये अवसर उत्पन्न किये हैं। हालांकि, उभरती प्रौद्योगिकियों की तैनाती और उनकी पहुँच में काफी असमानताएँ बनी हुई हैं। कई विकासशील देशों में अभी भी उन्हें प्रभावी ढंग से उपयोग करने के लिए बुनियादी ढाँचे, संसाधनों और विशेषज्ञता का अभाव है।
चिन्ताएं
इस बात के प्रति उन्होंने सचेत कराया कि (एआई) यानि कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी उभरती हुई तकनीकें चुनौतियों की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए नए समाधान प्रदान करती हैं, इस गलत धारणा से बचना चाहिए कि तकनीकें सभी समस्याओं का समाधान कर सकती हैं। वास्तव में, इस तरह का "तकनीकी प्रतिमान" दक्षता के नाम पर मानवीय गरिमा, बंधुत्व और सामाजिक न्याय को दरकिनार कर देता है।
उन्होंने कहा कि इसके विरपीत, नई तकनीकों को "एक अन्य प्रकार की प्रगति की सेवा में लगाया जाना चाहिए, जो अधिक स्वस्थ, अधिक मानवीय, अधिक सामाजिक, अधिक अभिन्न हो।"
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि यह पहचानना आवश्यक है कि उभरती प्रौद्योगिकियां विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण जोखिम उत्पन्न करती हैं, जिनमें शिक्षा का वस्तुकरण, श्रमिकों पर नकारात्मक प्रभाव, मानवीय संबंधों का आभासीकरण, नकलीपन और ग़लत सूचना का प्रसार तथा गंभीर गोपनीयता उल्लंघन शामिल हैं।
जवाबदेही की ज़रूरत
महाधर्माध्यक्ष बालेस्त्रेरो ने कहा कि परमधर्मपीठीय प्रतिनिधित्व इस तकनीक द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले विशाल अवसरों और समानांतर जोखिमों को देखते हुए, कृत्रिम बुद्धिमत्ता के शासन की तात्कालिकता को रेखांकित करता है। इसके अलावा, मुख्यधारा के कृत्रिम बुद्धिमत्ता सम्बन्धी अनुप्रयोगों पर सत्ता का कुछ कंपनियों के हाथों में केंद्रित होना, महत्वपूर्ण नैतिक चिंताओं को जन्म देता है।
उन्होंने कहा कि ग्लोबल डिजिटल कॉम्पैक्ट में प्रस्तावित कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैज्ञानिक पैनल के संदर्भ की शर्तों का मसौदा तैयार करने हेतु जारी प्रक्रिया एक संतुलित और जोखिम-आधारित दृष्टिकोण की दिशा में सही दिशा में पहला कदम दर्शाती है। नैतिक नियामक ढांचे को यह सुनिश्चित करना होगा कि एआई यानि कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रणाली वास्तविक प्रगति को बढ़ावा दे और सभी कानूनी संस्थाएँ पारदर्शिता, गोपनीयता और जवाबदेही के लिए उचित सुरक्षा उपायों के साथ एआई के उपयोग और इसके सभी परिणामों के लिए जवाबदेह रहें।