संत जॉन लातेरन से संत मरिया मेजर तक पवित्र संस्कार का भव्य जुलूस

पोप फ्राँसिस ने प्रभु के शरीर औऱ रक्त के महोत्सव मिस्सा बलिदान की अध्यक्षता की। पवित्र मिस्सा के अंत में संत जॉन लातेरन महागिरजाधर से पवित्र संस्कार का जुलूस निकाला गया और संत मरिया मेजर महागिरजाघर के प्रांगण में लाया गया। वहाँ पोप फ्राँसिस द्वारा पवित्र संस्कार के समारोही आशीर्वाद के साथ समरोह समाप्त किया गया।

रविवार 2 जून को स्थानीय समय अनुसार शाम 5 बजे संत पापा फ्राँसिस ने रोम के संत लातेरन महागिरजाघर में प्रभु के शरीर औऱ रक्त के महोत्सव का पर्व मनाते हुए मिस्सा बलिदान अर्पित किया।

पोप फ्रांसिस ने अपने प्रवचन में पवित्र यूख्रारिस्त की स्थापना पर चिंतन करते हुए इसके तीन रहस्यों- कृतज्ञता, स्मृति और उपस्थिति पर अपने चिंतन व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यूखारिस्त शब्द का अर्थ ईश्वर के दानों के लिए कृतज्ञता, धन्यवाद देना है। अतः रोटी की यह निशानी हमारे लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमारे जीवन का दैनिक आहार है, इसके द्वारा हम अपने को और अपना जो कुछ भी है, हमारा जीवन, हमारे कार्य, सफलताएं और असफलताएं उन्हें ईश्वर की वेदी के पास लाते हैं।

"ईश्वर हमें नहीं छोड़ता, बल्कि हमेशा हमारी तलाश करता है, हमारा इंतजार करता है और हमारे साथ रहता है, यहां तक ​​कि खुद को असहाय रूप से हमारे हाथों में सौंप देता है। यूखारिस्त मसीह की वास्तविक उपस्थिति है, यह हमें एक ऐसे ईश्वर की बात करता है जो दूर नहीं है, बल्कि करीब है, जो हमें ढूंढता है, हमारा इंतजार करता है और हमारा साथ देता है, हमें अपने भाइयों के करीब रहने के लिए आमंत्रित करता है।