पोप : मुसीबतों में येसु से संयुक्त रहें

पोप ने अपने रविवारीय देवदूत प्रार्थना के पूर्व दिये गये संदेश में, जीवन की कठिनाइयों में येसु के संग संयुक्त रहने का आहृवान किया।

पोप फ्रांसिस ने अपने रविवारीय देवदूत प्रार्थना के पूर्व सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, शुभ रविवार।

आज का सुसमाचार हमें येसु को तेबेरियस झील में उनके शिष्यों के संग नाव में प्रस्तुत करता है। अचानक एक प्रचंड आंधी उठती और नाव डूबने की स्थिति में आ जाती है। येसु जो सो रहते होते उठाते हैं और वायु को डांटते और सभी चीजें पुनः शांत हो जाती हैं।

तूफानों का अनुभव
पोप ने कहा कि वास्ताव में येसु नहीं आंधी में येसु नहीं जगते बल्कि उन्हें जगाया जाता है। शिष्य डर के मारे उन्हें जगाते हैं। उसकी अगली शाम को, येसु स्वयं अपने शिष्यों को नाव में चढ़ते हुए झील पार करने को कहते हैं। शिष्यगण अपने में मंजे हुए थे, क्योंकि वे मछुवारे थे, और वे उन परिस्थितियों में जीवन यापना करते थे, लेकिन एक तूफान उन्हें मुश्किल में डाल देता है।

पोप ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि येसु उनकी परीक्षा ले रहे होते हैं।  यद्यपि वे उन्हें अकेला नहीं छोड़ते हैं, वे उनके संग नाव में होते हैं, अपने में शांत वास्तव में, वे आराम से सो जाते हैं। और जब तूफान आता है वे उन्हें अपनी उपस्थिति से सुनिश्चित कराते हैं, वे उनका प्रोत्साहित करते हैं, वे उन्हें अपने विश्वास में और अधिक मजबूत होने को कहते और जोखिम के पार ले जाते हैं। येसु उन्के संग ऐसा क्यों करते हैं।

जीवन की कठिनाइयाँ, मजबूती के कारण  
पोप ने कहा कि वे अपने शिष्यों के विश्वास को मजबूत करते हैं और उन्हें अधिक सहासिक बनाते हैं। वास्तव में, वे इस अनुभव के द्वारा अपने में येसु की शक्ति और अपने बीच में उनकी उपस्थिति से अवगत होते हैं। इस भांति वे जीवन की कठिनाइयों और मुसीबतों का सामना करने हेतु अपने को और अधिक तैयार और मजबूत पाते हैं, यहाँ तक की वे सुसमाचार की घोषणा हेतु अपने को बाहर ले जाने के भय से विजय होते हैं। येसु के संग इस मुसीबत पर उनका विजय होना उन्हें जीवन की अन्य दूसरी बहुत सारी बातों का सामना करने के योग्य बनाता है, यहाँ तक कि दूसरों के बीच सुसमाचार को ले जाने में, वे क्रूस उठाने और शहीद होने को भी तैयार हो जाते हैं।

यूख्रारिस्त की शक्ति
पोप ने कहा कि येसु हम सभों के संग भी ऐसा ही करते हैं, विशेष कर अपने यूख्रारिस्त के द्वारा। वे हमें अपने चारों ओर एकत्रित करते हैं, वे हमें अपने वचनों को देते, वे हमें अपने शरीर और रक्त से पोषित करते और हमें बाहर जाने का निमंत्रण देते हैं जिससे हम अपनी उन सारी चीजों को बांट सकें जिसे हमने सुना है, उन चीजों को जिसे हमने एक दूसरे से अपने दैनिक जीवन में पाया है, चाहे यह हमारे लिए मुश्किल भर क्यों न हो। वे हमारे जीवन मे आने वाले तूफानों का विरोध नहीं करते बल्कि वे हमारी मदद करते हैं जिससे हम चीजों का सामना कर सकें। इस भांति हम भी, उनकी सहायता से जीवन की मुसीबतों में विजय होते हुए उनके संग अपने को और अधिक रुप में संयुक्त करना सीखते हैं। हम अपने को उनकी शक्ति में समर्पित करते जो हमें हमारी क्षमताओँ के परे ले चलती है, और हम अपनी अनिश्चिताओँ और हिचकिचाहटों, बंद होने और चिंताओं पर विजय होते हैं। हम अपने में साहस का अनुभव करते और अपने हृदय के खुलेपन में लोगों को ईश्वरीय राज्य की उपस्थिति के बारे में बतलाते हैं जो हमारे बीच में है। इस भांति हम येसु के संग एक साथ मिलकर इसे बढ़ने में मदद करते हैं जो सारी अड़चनों के बाद भी अपने में परे जाता है।

पोप फ्रांसिस ने कहा कि इस भांति हम अपने में पूछें, मुसीबत की घड़ी में, क्या में उन समयों की याद कर सकता हूँ जब मैंने अपने जीवन में ईश्वर की सहायता का अनुभव किया। जब एक तूफान उठता है तो क्या मैं अपने को उसकी आंधी में निराश पाता हूँ या प्रार्थना में बने रहते हुए येसु के संग संयुक्त रहता हूँ। उन्होंने कहा कि हमारे अंदर बहुत सारी तूफान है क्या हम प्रार्थना, शांति में उनके वचनों को सुनते हुए, आराधना और भातृत्व की भावना में विश्वास को साझा करते हुए, उनसे आने वाली शांति और चैन का अनुभव करते हैं।

मरियम जिन्होंने ईश्वर की इच्छा को नम्रता और साहस में ग्रहण किया हमारे जीवन की कठिन परिस्थितियों में हमें शांति में अपने को उनके हाथों समर्पित होने की कृपा प्रदान करें।

इतना कहने के बाद पोप फ्रांसिस ने सभों के संग देवदूत प्रार्थना का पाठ किया और सभों को अपना प्रेरितिक आशीवार्द प्रदान किया।