सामाजिक न्याय सुसमाचार से अलग नहीं हो सकता, पोप लियो

पेरु की राजधानी लीमा में पेरु के काथलिक कलीसियाई सामाजिक सप्ताह में भाग लेने वालों को दिए गए संदेश में, पोप लियो 14 वें ने सभी लोगों में ईश्वर की छवि देखने हेतु संतों के प्रेम को याद किया
पेरु की राजधानी लीमा में पेरु के काथलिक कलीसियाई सामाजिक सप्ताह में भाग लेने वालों को दिए गए संदेश में, पोप लियो 14 वें ने सभी लोगों में ईश्वर की छवि देखने हेतु संतों के प्रेम को याद किया तथा सामाजिक न्याय के कामों में लगे लोगों से हिंसा और उदारता के खिलाफ अपराध से बचने का आग्रह किया।
देश के जटिल सामाजिक मुद्दों पर प्रतिक्रिया की तलाश में राजधानी लीमा में पेरु के काथलिक प्रतिनिधियों ने 14 से 16 अगस्त तक अपना सामाजिक सप्ताह मनाया।
सन्तों का स्मरण
स्पानी भाषा में प्रेषित सन्त पापा लियो का सन्देश गुरुवार को प्रतिभागियों के समक्ष पढ़ा गया। इसमें सन्त पापा ने पेरु के महान सन्तों, जैसे लीमा की सन्त रोज़, सन्त मार्टिन दे पोर्स, सन्त जॉन मचियास और मोगरोवेहो के सन्त तूरिबियुस का स्मरण दिलाया तथा सामाजिक न्याय के प्रति उनकी अद्वितीय देखभाल के उदाहरणों पर प्रकाश डाला। सन्त जॉन मचियास की सन्त घोषणा के अवसर पर कहे सन्त पापा पौल षष्टम के शब्दों के उद्धृत कर उन्होंने कहा कि वे लोगों से प्यार करते थे तथा उनमें ईश्वर की छवि के दर्शन करते थे।
पोप ने कहा कि आज सामाजिक न्याय के क्षेत्र में काम करनेवालों को भी इन्हीं सन्तों के सदृश ग़रीब और हाशिये पर जीवन यापन करनेवालों के पक्षधर होना चाहिये। उन्होंने कहा, "हमें सुसमाचार से विचलित नहीं होना चाहिए, न ही हिंसा के माध्यम से अधिक न्याय पाने के लिए दान के नियम को तोड़ना चाहिए।"
न्यायपूर्ण बनें
प्रतिभागियों से उन्होंने आग्रह किया कि वे अपनी सामाजिक संरचनाओं में रचनात्मक परिवर्तन लायें ताकि अधिक न्यायपूर्ण और मानवीय बन सकें। उन्होंने 16 वीं शताब्दी के सन्त तिबेरियुस का उदाहरण दिया जिन्होंने अपनी सारी शक्ति समाज के परिसर में निवास करनेवाले ज़रूरतमन्दों के लिये लगा दी थी। उन्होंने कहा कि ग़रीबों की मदद हेतु सन्त तिबेरियुस की शक्ति का स्रोत था उनकी सतत् प्रार्थना और ईश्वर के साथ आध्यात्मिक साक्षात्कार।
पेरु की वर्तमान आर्थिक, राजनैतिक एवं सांस्कृतिक चुनौतियों के विषय में सन्त पापा ने कहा कि इनका उत्तर केवल ख्रीस्त के सुसमाचार में मिल सकता है, इसलिये उन्होंने कहा, "हमारे अनेक भाइयों और बहनों द्वारा सहे गए अन्याय और बहिष्कार के कारण उत्पन्न पीड़ा, सभी बपतिस्मा प्राप्त लोगों से आग्रह करती है कि वे ऐसी प्रतिक्रिया दें जो सुसमाचार के मूल में समय के संकेतों के अनुरूप हों।"