पोप : द्ररिद्रों में ईश्वर का स्वागत करें

पोप लियो ने कस्तेल गंदोल्फो के मरिया देला रोतोंदो में मिस्सा बलिदान अर्पित करते हुए गरीबों में येसु का स्वागत करने का संदेश दिया।

पोप लियो ने कस्तेल गंदोल्फो में गरीबों की सहायता करने वालों और धर्मप्रांत के कारितास कार्यकर्ताओं के संग मिस्सा बलिदान अर्पित किया।

पोप ने अपने प्रवचन में कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों, एक साथ रहना हमारे लिए एक खुशी की बात है और मिलकर रविवार मिस्सा बलिदान अर्पित करना हमारी खुशी को और भी गहरी बना देती है। वास्तव में, सच्चे भाई-बहनों के रूप में एक दूसरे के निकट रहना और एक दूसरे की आंखों में देखते हुए दूरियों को दूर करना हमारे लिए एक उपहार है, तो ईश्वर में मृत्यु पर विजय हासिल करना हमारे लिए एक और भी बड़ा उपहार है। येसु ने मृत्यु पर विजय पाई- रविवार उनका दिन है, पुनरूत्थान का दिन और हम उनके संग मृत्यु पर पहले से ही जीत हासिल कर चुके हैं। इस भांति- हममें से हर कोई अपनी कुछ छोटे और बड़े चिंताओं तथा भय के साथ प्रभु के घर में आते हैं- हम तुरंत अपने को अकेला नहीं पाते हैं, हम एक होते और ईश्वर के वचन तथा उनके शरीर को ग्रहण करते हैं। यह हमारे हृदयों को जीवन प्रदान करता है जो हमें मृत्यु से परे ले जाता है। यह पवित्र आत्मा हैं, पुनर्जीवित येसु की आत्मा जो हममें और हमारे बीच गुप्त में इसे रोज दिन और हर रविवार को करते हैं।

ईश मंदिर में हमारा एहसास
हम अपने को एक प्राचीन गिरजाघर की चाहरदीवारी में पाते हैं जो हम सभों का आलिंगन करती है। यह रोतोंदो कहती है और इसका स्वरुप संत पेत्रुस के प्रांगण और हमारे दूसरों गिरजाघरों नये और पुराने की भांति है जो हमें इस बात का एहसास दिलाता है कि हम ईश्वर की बांहों में हैं। बाहर से गिरजाघर जैसे मानवीय सच्चाई की भांति अपने में रूखड़ा दिखाई देती है। यद्यपि इसकी दिव्य सत्यता हमारे लिए तब प्रकट होती है जब हम इसके आंगन को पार करते और स्वीकार किये जाते हैं। तब हमारी दरिद्रता, हमारी संवेदनशीलता और उनसे भी बढ़कर हमारी असफलताएं जिसके कारण हम तिरस्कार और दोष का शिकार होते हैं- जिसके कारण हम कभी-कभी स्वयं से घृणा करते और अपने को दोष देते हैं, अंततः ईश्वर की कोमल शक्ति में समाहित हो जाती है, एक ऐसा प्रेम जो अपरिष्कृत और शर्तहीन है। येसु की माता, मरियम, हमारे लिए ईश्वरीय मातृत्व का प्रतीक और प्रत्याशा हैं। उनमें, हम एक मातृत्वमय कलीसिया बनते हैं, जो दुनियावी शक्ति के बल पर नहीं, बल्कि प्रेम की शक्ति से उत्पन्न और पुनर्जीवित होती है।

येसु की शांति
पोप ने कहा कि आज के सुसमाचार में येसु की बातों ने शायद हमें चौंका दिया होगा। हम शांति की चाह करते हैं, और हमने सुना: “क्या तुम समझते हो कि मैं पृथ्वी पर शांति लेकर आया हूँ? नहीं, मैं तुमसे कहता हूँ, बल्कि विभाजन लाने आया हूँ" (लूका 12:51)। और हम इसके उत्तर में कहते हैं- “लेकिन प्रभु, यह कैसे? आप भी? हमारे बीच पहले से ही बहुत सारे विभाजन हैं। क्या आप वही नहीं है जिन्होंने अंतिम भोज में कहा था: “मैं तुम्हारे लिए शांति छोड़ जाता हूँ, अपनी शांति तुम्हें प्रदान करता हूँ। “हाँ”, प्रभु उत्तर देते हैं, वह मैं ही हूँ। हालाँकि, याद रखो कि उस शाम, अंतिम व्यारी में, मैंने शांति के बारे में तुरंत कहा था: “जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता। तुम्हारा मन घबराये नहीं और तुम भयभीत न हो।”

येसु का बपतिस्मा
पोप ने कहा प्रिय मित्रों, विश्व हमें शांति को आराम में, अच्छाई को शांति में बदलने के आदी बनता है, जिससे ईश्वर की शांति हमारे बीच आ सके, येसु कहते हैं, “मैं पृथ्वी पर आग लेकर आया हूँ और मेरी कितनी अभिलाषा है कि वह धधक उठे।” शायद हमारे अपने परिवार जैसे कि सुसमाचार हमें कहता है और हमारे मित्र इस बात से असहमत होंगे। कुछ लोग हमें यह भी सुझाव देंगे कि हम जोखिम न लें, खुद को बचाएँ, क्योंकि शांत रहना ज़रूरी है और दूसरे प्रेम के योग्य नहीं हैं। हालाँकि, येसु ने साहसपूर्वक स्वयं को हमारी मानवता में डुबो दिया। यही वह “बपतिस्मा” है जिसकी बारे में वे कहते हैं (पद 50): यह क्रूस का बपतिस्मा है, उस जोखिम में अपने को डूबोना जिसमें एक प्रेम भरा है। और जब हम, जैसा कि वे कहते हैं, “परमप्रसाद ग्रहण करते हैं”, तो हम उनके इस साहसिक उपहार से पोषित होते हैं। मिस्सा हममें इस निर्णय को पोषित करता है। यह एक निर्णय है जहाँ हम अपने लिए नहीं जीते, बल्कि दुनिया में आग फैलाने को जाते हैं। हथियारों की आग नहीं, न ही उन शब्दों की आग जो दूसरों को भस्म करती है। बल्कि प्रेम की आग, जो स्वयं को विनम्र बनाती और सेवा करती है, जो उदासीनता का विरोध देखभाल से और अहंकार का विरोध विनम्रता से करती है; भलाई की आग, जो कीमत हथियारों की तरह नहीं है, लेकिन यह दुनिया को स्वतंत्रता से नवीनीकृत करती है। इसकी कीमत गलतफहमी, उपहास, यहाँ तक कि उत्पीड़न भी हो सकती है, लेकिन उस लौ को अपने भीतर रखने से बड़ी कोई शांति नहीं है।

दीवारों को तोड़ें
पोप ने धर्माध्यक्ष विनचेन्सो के संग अल्बानो धर्मप्रांत के सभी लोगों के प्रति अपने कृतज्ञता के भाव प्रकट किये जो विभिन्न रूपों में अपने को करूणा के कार्यों में संलग्न करते हैं। उन्होंने कहा, “आप सेवा करने वाले और सेवा किये जाने वालों के बीच में कोई भेदभाव न करें, वे जो देते हैं और वे जो अपने में प्राप्त करते हैं, वे जो गरीब हैं और वे जो अपना समय, सेवा और सहायता दूसरों के लिए देते हैं। हम ईश्वर की कलीसिया है, गरीबों की कलीसिया, हम सभी मूल्यवान हैं, सभी ईश्वर के वचनो के वाहक हैं। हर कोई दूसरे के लिए एक उपहार है।” हम दीवारों को तोड़ें।