पोप : ईश्वर हमारा स्पर्श करते हैं
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पोप फ्रांसिस ने रविवारीय देवदूत प्रार्थना के पूर्व रविवारीय धर्मविधि के पाठों में चिंतन करते हुए कहा कि ईश्वर हमें अपने को स्पर्श करने देते और स्वयं हमारा स्पर्श करते हैं।
पोप फ्रांसिस ने अपने रविवारीय देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो और बहनो, सुप्रभात।
आज की धर्मविधि का सुसमाचार हमारे लिए दो चमत्कारों का जिक्र करता है जो एक दूसरे से जुड़े हुए लगते हैं। येसु मंदिर के एक नेता, जैरुस के घर की ओर जा रहे होते हैं जिसकी बेटी बहुत जोर से बीमारी थी, रास्ते में एक महिला जो रक्तस्राव से पीड़ित थी उनके वस्त्र का स्पर्श करती है। वे रूक कर उन्हें चंगा करते हैं। वहीं, हमें बतलाया जाता है कि जैरूस की बेटी मर चुकी है, लोकिन येसु वहाँ जाने से नहीं रूकते हैं। वे घर पहुंचते, लड़की के कमरे में जाते और उसका हाथ पकड़ कर उठाते और उसे जीवित करते हैं। दो चमत्कारों में, एक को हम चंगाई और दूसरे को एक नया जीवन देने के रुप में पाते हैं।
क्यों शारीरिक स्पर्श?
पोप ने कहा ये दो चंगाई को हमारे लिए एक ही दृश्य में प्रस्तुत किया जाता है। दोनों में हम शारीरिक रुप से एक स्पर्श को पाते हैं। वास्तव में, स्त्री येसु के कपड़ों का स्पर्श करती है और येसु लड़की का हाथ पकड़ कर उसे उठाते हैं। यहाँ शारीरिक स्पर्श क्यों महत्वपूर्ण है? यह इसलिए क्योंकि दोनों नारियाँ अपने में अशुद्ध हैं और उन्हें छूआ नहीं जा सकता है। उनमें एक रक्तस्राव से ग्रस्ति है तो दूसरी अपने में मृत है। इसके बावजूद येसु अपने को स्पर्श करने देने और स्वयं एक का स्पर्श करने से भयभीत नहीं होते हैं। इसके पहले की वे शारीरिक चंगाई के कार्य को पूरा करें वे झूठी धार्मिक विश्वास को खारिज करते हैं मानो ईश्वर शुद्ध को अशुद्ध से अलग करते हों। वास्तव में, इसके बदले ईश्वर हमारे संग कोई अलगाव नहीं करते हैं क्योंकि हम सभी उनकी संतान हैं। अशुद्धता हमारे लिए भोजन, बीमारी या मृत्यु से नहीं आती है, वरन अशुद्धता एक अशुद्ध हृदय से आती है।
ईश्वर की कार्य शैली
पोप ने कहा कि हम इस शिक्षा को अपने में ग्रहण करें कि शारीरिक और आध्यात्मिक दुःख, वे घाव जिन्हें हम अपने हृदय में धारण करते हैं, वे परिस्थितियाँ जहां हम अपने को कुचला पाते हैं, यहाँ तक की पापों की स्थिति में भी ईश्वर अपने को हम से दूर नहीं करते हैं। ईश्वर हम से लज्जित नहीं होते हैं। ईश्वर हमारा न्याय नहीं करते हैं। इसके विपरीत, वे हमारे निकट आते और अपने को हमारे द्वारा स्पर्श करने देते हैं और हमारा स्पर्श करते हैं। वे हमें सदैव मृत्यु की स्थिति से उठाते हैं। वे हमारा हाथ पकड़ कर उठाते और कहते हैं, “पुत्र,पुत्री उठो” आगे बढ़ो। संत पापा ने कहा कि अपने को पापी घोषित करने पर भी ईश्वर हमें अपने प्रेम का आश्वासन देते हैं। “मैंने तुम्हारे पापों के कारण सभी चीजों को सहा है।” यह अपने में कितना सुन्दर है।
ईश्वर की छवि को धारण करें
पोप ने कहा कि हम येसु की छवि जिसे वे हमें देते हैं उसे अपने हृदय में धारण करें। यह ईश्वर हैं जो हमें हाथ पकड़ कर उठाते और आगे ले चलते हैं। वे हमें हमारी दर्दभरी परिस्थिति में अपने को छूने देते और स्वयं हमारा स्पर्श करते और पुनः जीवन प्रदान करते हैं वे हममें से किसी के संग भेदभाव नहीं करते हैं क्योंकि वे हमें प्रेम करते हैं।
हमारा व्यवाहर कैसा है?
उन्होंने कहा, अतः हम अपने आप से पूछ सकते हैं, क्या हम विश्वास करते हैं कि ईश्वर ऐसे हैं? क्या हम अपने को येसु ख्रीस्त के द्वारा, उनके शब्दों और प्रेम से स्पर्श करने देते हैं? क्या हम अपने भाई-बहनों के संग अपने को संयुक्त करते और उन्हें उठाने के लिए उनकी ओर अपनी हाथों को बढ़ाते हैं या हम उन्हें अपने से दूर करते और अपनी इच्छा के अनुसार उनका चुना करते हैं? हम लोगों को स्तरों में बांटते हैं। संत पापा ने सभों से एक सावल करते हुए कहा, “क्या ईश्वर, येसु लोगों को विभिन्न रुपों में बांटते हैं? हम सब इसका उत्तर दें। क्या ईश्वर हम विभिन्न रुपों में बांटते हैं? क्या हम निरंतर लोगों को विभिन्न स्तरों पर रखते हुए जीवन यापना करते हैं?
पोप ने कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, आइए हम ईश्वर के हृदय की ओर देखें, जिससे कलीसिया और समाज में कोई भी परित्यक्त न हो, न ही कोई अशुद्ध के रूप में देखा जाये। हम हर व्यक्ति को चाहें उसका अतीत कैसा भी क्यों न हो, प्रेम करें बिना भेदभाव के, बिना किसी विभाजन के।
हम कुंवारी मरियम से निवेदन करें, वे जो कोमलता की माता हैं हमारे लिए और सारी दुनिया के लिए प्रार्थना करें।