सिनोडः इंस्ट्रुमेंतुम लाबोरिस-2 हेतु कार्य शुरू

धर्माध्यक्षीय धर्मसभा के द्वितीय सत्र हेतु इंस्ट्रुमेंटुम लाबोरिस के लिए विशेषज्ञों के कार्य शुरू हो गये हैं।

विश्व से करीबन बीस ईशशास्त्रीगण ने धर्माध्यक्षों की 16वें  महासभा के द्वितीय सत्र हेतु इंस्ट्रुमेंटम लेबोरिस में अपने कार्यों की शुरूआत कर दी है।

विगत दिसंबर में विश्व के सभी धर्माध्यक्षों को भेजे गए दस्तावेज़ 'अक्टूबर 2024 की ओर'  के साथ, धर्मसभा के महासचिव ने स्थानीय कलीसिया और कलीसियाई समूहों से संश्लेषित रिपोर्ट की मांग की है जो धर्मसभा के विषय हेतु मौलिक हैं,  जो पूरे धर्मसभा की प्रक्रिया में इस प्रश्न से शुरू होती है: “कलीसिया की प्रेरिताई में हम एक धर्मसभा कलीसिया कैसे बनेंॽ”

पिछले महीनों में व्यक्तिगत स्थानीय कलीसियाओं ने अपने कार्यों को पूरा करते हुए इसकी रूपरेख को धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों, पूर्वी काथलिक कलीसियाओं और अंतरराष्टीय धर्माध्यक्षीय संघों को सुपूर्द किया है। 

“मैं आत्मपरिक्षण के इस प्रक्रिया में स्थानीय कलीसियाई समुदाय की सहभागिता को लेकर विशेष रूप से प्रभावित हूँ”, उक्त बातें कार्डिन ग्रेच, सिनोड सचिवालय के अंतरिम सचिव ने कही। "पहले सत्र की संश्लेषित रिपोर्ट से उत्पन्न होने वाले प्रतिबिंबों के अलावे, प्राप्त सामग्री इस बात का वास्तविक साक्ष्य प्रस्तुत करती है कि कैसे विशेष कलीसिया न केवल सिनोडलिटी को समझती है,  बल्कि वे पहले से ही इस शैली को किस रुप में व्यवहार में ला रहे हैं। सिनॉडल कलीसिया एक सपना नहीं है जिसे साकार किया जाना है, बल्कि यह पहले से ही एक जीवित वास्तविकता है जो एक ही स्थानीय समुदाय के भीतर या विभिन्न कलीसियाओं या कलीसियाई समूहों के बीच रचनात्मकता और नए संबंधपरक स्वरुपों को उत्पन्न करती है।

धर्मसभा के सचिव ने कहा कि धर्मसमाज सुपरियर जेनरलों/ सुपरियर जेनरलों के अंतरराष्ट्रीय संघों और अंतरराष्ट्रीय वास्तविकताओं, विश्वविद्यालय संकायों,  संस्थानों के संघों या व्यक्तिगत समुदायों और व्यक्तियों की ओर से टिप्पणियों का एक सुसंगत योगदान मिला है। चिंतन का एक और महत्वपूर्ण स्रोत धर्मसभा के लिए पल्ली पुरोहितों के द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली रिपोर्टो होंगी जो हाल ही में हुई अंतरराष्ट्रीय बैठक के तीन दिवसीय कार्य सत्र के दौरान तैयर की गई है।

मंगलवार, 04 जून 2024 से ईशशास्त्रीगण, विभिन्न संकायों के विशेषज्ञों द्वारा विभिन्न विषयों पर विश्लेषण किया जायेगा। कार्डिनल ग्रेच ने कहा, “हम किसी भी विषयवस्तु को नहीं छोड़ रहे हैं, सभी दस्तावेजों का अध्ययन ध्यानपूर्वक किया जा रहा है, जिससे इस सत्र के अंत में दलों द्वारा चिंतन हेतु सवालों और जमीनी स्तरों से आने वाले विवेकपूर्ण विचारों को प्रस्तुत किया जायेगा।”

16वें धर्माध्यक्षीय धर्मसभा सम्मेलन के विशेष सचिव पुरोहित जाकोमो कोस्टा येसु समाजी ने इस बात को स्पष्ट करते हुए कहा,“यह धर्मसभा के दूसरे सत्र के लिए इंस्ट्रुमेंटम लाबोरिस लिखने का सवाल नहीं है, बल्कि यह स्थानीय समुदायों द्वारा कार्यान्वित की गई रिपोर्टों और अच्छे अभ्यासों का प्रारंभिक विश्लेषण की प्रक्रिया है। इसके उपरांत प्रश्नों पर सामान्य आत्मानिरिक्षण और धर्मशास्त्रीय चिंतन किये जायेंगे जिससे  इंस्ट्रुमेंटुम लाबोरिस के लिए वास्तविक मार्ग तैयार किये जा सके।

बंद दरवाजों के पीछे चल रहे इस अंतरराष्ट्रीय दल का काम आधे दिन की आध्यात्मिक मिलन से शुरू हुई और यह 13 जून तक चलेगी। इन दिनों में कार्य के अलग-अलग क्षण होंगे (व्यक्तिगत, समूह, पूर्ण सत्र)। इस दौरान दैनिक यूख्ररीस्तीय और व्यक्तिगत प्रार्थना के क्षण यह सुनिश्चित करेंगे कि यह कार्य विवेकपूर्ण माहौल में पूरा होगा।    

इंस्ट्रुमेंटुम लाबोरिस लिखने की प्रक्रिया आगे के चरणों के साथ जारी रहेगी: एक बार धर्मशास्त्रीगण प्राप्त सामग्री की पहचान निश्चित भविष्य के दस्तावेज़ की संरचना स्वरुप करते, तो  साधारण परिषद मसौदा तैयार किये जाने पर अपने प्रारंभिक आत्मनिरिक्षण जारी करेंगे। इसके बाद वास्तविक दस्तावेज़ का मसौदा तैयार करने के चरण होंगे, जिसका व्यापक सत्यापन किया जायेगा, फिर जनरल सचिवालय की साधारण परिषद दस्तावेज को मंजूरी देगी जो अंतिम स्वीकृति हेतु संत पापा के समक्ष प्रस्तुत किया जायेगा।