लीबिया के निकट नाव में आग लगने से कम से कम 50 सूडानी शरणार्थियों की मौत

लीबिया के पास एक शरणार्थी जहाज में आग लगने से कम से कम 50 लोगों की मौत हो गई है। इसके अलावा, एक इतालवी मानवीय संगठन ने सिसिली की एक अदालत में यूरोपीय संघ समर्थित लीबियाई सैन्य कर्मियों द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन का विवरण देते हुए नए सबूत पेश किए हैं।

अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन ने कहा है कि रविवार को लीबिया के तट पर सूडानी शरणार्थियों को ले जा रहे एक जहाज में आग लगने से कम से कम 50 लोगों की मौत हो गई। आईओएम ने कहा कि उसने 24 जीवित बचे लोगों को चिकित्सा सहायता प्रदान की है।

2011 में तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी के पतन के बाद से, लीबिया भूमध्यसागर के रास्ते यूरोप भागनेवाले प्रवासियों के लिए एक पारगमन मार्ग बन गया है। फरवरी 2025 तक, 44 देशों के लगभग 86,000 प्रवासी लीबिया में रह रहे थे।

सरकारी बलों द्वारा मानवाधिकारों का उल्लंघन
इसके अलावा, इतालवी मानवीय संगठन मेडिटेरेनिया सेविंग ह्यूमन्स ने सिसिली की एक अदालत में नए साक्ष्य प्रस्तुत किए हैं, जिनके अनुसार उनमें यूरोपीय संघ समर्थित लीबियाई सैन्यकर्मियों द्वारा मानवाधिकारों के उल्लंघन का विवरण है।

भूमध्यसागर में शरणार्थियों को बचानेवाले इस संगठन को दिवंगत पोप फ्राँसिस का लंबे समय से समर्थन प्राप्त था।

यह मामला दस शरणार्थियों से जुड़ा है, जिनके बारे में मेडिटेरेनिया का कहना है कि उन्हें कथित तौर पर 111वीं ब्रिगेड के सैनिकों द्वारा लीबियाई तट से पानी में फेंक दिया गया था, जो त्रिपोली की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार से जुड़ी है।

मेडिटेरेनिया ने ऐसी तस्वीरें और वीडियो फुटेज प्रकाशित की हैं जिनके बारे में उसका कहना है कि इनमें इटली के समर्थन से प्रशिक्षित और वित्तपोषित लीबियाई सरकारी बलों से जुड़े लोग सीधे तौर पर शामिल हैं। संगठन का आरोप है कि यूरोपीय सरकारें जानबूझकर तस्करी में शामिल समूहों के साथ सहयोग कर रही हैं, जो अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है।

मेडिटेरेनिया ने अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय को सबूत सौंपे हैं, जिनमें उन लोगों की पहचान भी शामिल है जिनके बारे में उसका कहना है कि वे इसमें शामिल थे।