रोम धर्मप्रान्त से पोप सबके स्वागत को प्रोत्साहित करें

रोम स्थित सन्त जॉन लातेरान महागिरजाघर में याजकवर्ग एवं लोकधर्मी विश्वासियों को शुक्रवार को सम्बोधित कर पोप लियो 14 वें ने प्रत्येक के स्वागत को अपनी प्रेरिताई का हिस्सा बनाने का सन्देश दिया।

स्वागत के लिये तत्पर  
रोम धर्मप्रांत के पुरोहितों एवं काथलिक विश्वासियों को उन्होंने आमंत्रित किया कि वे ईश प्रजा के साथ चलें तथा अपनी प्रेरिताई को "एक ऐसी प्रेरिताई बनायें जो सहायक, सहानुभूतिपूर्ण, विवेकशील, ग़ैर-आलोचनात्मक होते हुए सभी का स्वागत करने में सक्षम हो।"

अपने सम्बोधन में, उन्होंने पोप फ्रांसिस द्वारा शुरू की गई और इस समय जारी धर्मसभा प्रक्रिया को बरकरार रखा, और उपस्थित पुरोहितों, धर्मसंघियों एवं धर्मसमाजियों तथा आम श्रद्धालुओं को "धर्मसभाई सहभागिता, सह-ज़िम्मेदारी और मिशन में आगे बढ़ने के लिए" आमंत्रित किया।

रोम धर्मप्रान्त के विश्वासियों के समर्पण एवं साक्ष्य हेतु धन्यवाद ज्ञापित करते हुए पोप लियो ने स्मरण दिलाया कि कलीसिया के "परमाध्यक्ष ही रोम के धर्माध्यक्ष हैं तथा रोम के विश्वासियों से मिलना "धर्माध्यक्ष का अपने लोगों के साथ एक महान आलिंगन" है।

सहायक कलीसिया
पोप लियो ने विशेष रूप से परिवारों और युवाओं के प्रति पुरोहितों के दृष्टिकोण को नवीनीकृत करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने चेतावनी दी, "हमें हमेशा की तरह एक ही बात दोहराकर संतुष्ट नहीं होना चाहिए, बल्कि विश्वास में एक नया प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिए, जो लोगों को ख्रीस्तीय जीवन से परिचित कराये, जीवन के विभिन्न चरणों में साथ दे और सार्थक मानवीय संबंधों को बुन सके।"

उन्होंने इस तथ्य की पुनरावृत्ति की कि "एक ऐसी पौरोहित्य प्रेरिताई स्थापित करना अत्यावश्यक है जो सहायक, सहानुभूतिपूर्ण, विवेकशील, निष्पक्ष और सभी का स्वागत करने में सक्षम हो।"

परिवार और युवा
पोप ने कहा कि कठिनाइयों के बोझ तले दबे परिवार अक्सर विश्वास का संचार करने की अपनी भूमिका से पीछे हटने का प्रलोभन महसूस करते हैं। उन्होंने कहा, "कलीसया का कार्य उनकी जगह लेना नहीं, बल्कि उनके साथ चलना, उनकी यात्रा में साथी बनना और ईश्वर की खोज के लिए साधन प्रदान करना है।"

युवाओं की ओर अभिमुख होकर उन्होंने कलीसिया को रचनात्मकता और समझदारी से उन्हें जोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा: "बिना किसी निर्णय के सुनने में सक्षम प्रेरिताई युवाओं को वह मार्गदर्शन प्रदान कर सकता है जिसकी उन्हें तलाश है और उन्हें विश्वास के समुदाय में एक शरणस्थल प्रदान कर सकता है।"

प्रशिक्षण एवं मिशन
पोप ने प्रशिक्षण एवं मिशन पर भी चर्चा की तथा पुरोहितों एवं याजकवर्ग के सभी सदस्यों से धर्मसभा की भावना में एकता एवं सहभागिता में एक साथ चलने का आग्रह किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि रोम धर्मप्रान्त “धर्मसभाई भावना, सहभागिता, सह-जिम्मेदारी और मिशन” में आगे बढ़ता रहेगा तथा प्रार्थना की: “विश्वास और आशा की कुँवारी मरियम "सालुस पोपुली रोमानी" हमारी यात्रा में हमारा साथ दें और हमारी रक्षा करें।”