पोप लियो 14 वें रोम के 267 वें धर्माध्यक्ष

पोप लियो 14 वें नाम ग्रहण कर अमरीका के 69 वर्षीय रॉबर्ट फ्राँसिस प्रेवोस्त, रोम के 267 वें धर्माध्यक्ष एवं विश्वव्यापी काथलिक कलीसिया के नये परमाध्यक्ष नियुक्त किये गये हैं।
पोप लियो 14 वें नाम ग्रहण कर अमरीका के 69 वर्षीय रॉबर्ट फ्राँसिस प्रेवोस्त, रोम के 267 वें धर्माध्यक्ष एवं विश्वव्यापी काथलिक कलीसिया के नये परमाध्यक्ष नियुक्त किये गये हैं।
विश्व के लगभग एक अरब चालीस करोड़ काथलिक धर्मानुयायियों के नये परमधर्मगुरु लियो 14 वें का जन्म 14 सितम्बर सन् 1955 को अमरीका के शिकागो प्रान्त के इलिनियोस में हुआ था। आपके पिता लुई मारिया प्रेवोस्त फ्रांसीसी और इतालवी मूल के थे और माता मिल्ड्रेड मार्टिनेज स्पेनिश मूल की थीं। लुई मार्टिन और जॉन जोसेफ नये सन्त पापा के भाई हैं।
बाल्यकाल और अध्ययन
बाल्यवस्था एवं किशोरावस्था परिवार के साथ व्यतीत करने के उपरान्त आपने सन्त अगस्टीन को समर्पित धर्मसमाज के लघुगुरुकुल में और फिर पेनसिलवेनिया के विलानोवा विश्वविद्यालय में अध्ययन कर 1977 में गणित में डिग्री हासिल की और दर्शनशास्त्र का भी अध्ययन किया। तदोपरान्त आपने शिकागो के अगस्टिनियन धर्मसमाज में प्रवेश किया और 29 अगस्त सन् 1981 को पवित्र शपथें ग्रहण कीं। शिकागो के काथलिक ईशशास्त्रीय एवं धर्मतत्व वैज्ञानिक संगठन में अध्ययन करने के बाद 27 वर्ष की आयु में रॉबर्ट फ्राँसिस प्रेवोस्त सेंट थॉमस एकवायनुस, एंजेलिकम परमधर्मपीठीय विश्वविद्यालय में कलीसियाई कानून के अध्ययन हेतु रोम भेज दिये गये, जहाँ 19 जून सन् 1982 में आपका पुरोहिताभिषेक सम्पन्न हुआ।
1984 में लाइसेंसिएट के उपरान्त अपने डॉक्टरेट थीसिस की तैयारी करते समय ही आपको पेरू के चुलुकानास, पिउरा के अगस्टिनियन मिशन में भेज दिया गया। 1987 में, आपने "सन्त अगस्टीन धर्मसमाज के पुरोहित की भूमिका" पर डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की, जिसके बाद अमरीका के इलिनोइस में ओलंपिया फील्ड्स स्थित "मदर ऑफ गुड काउंसिल" अगस्टिनियन धर्मसमाजी प्रांत के बुलाहट केन्द्र के निदेशक और मिशन प्रमुख नियुक्त किए गए।
पेरू में
सन् 1988 से 1992 तक पेरू में अगस्टिनियन धर्मसमाज द्वारा कुलुकानास, इक्वीतोस और अपूरीमाक में संचालित प्रशिक्षण योजनाओं में आप सेवारत रहे। इन वर्षों में आप अगस्टीन धर्मसमाज के मठाध्यक्ष, प्रशिक्षण निदेशक, व्रतधारी सदस्यों के प्रशिक्षक तथा त्रूहिल्लो महाधर्मप्रान्त में विवेचनात्मक प्रतिनिधि रूप में सेवाएँ अर्पित करते रहे। साथ ही त्रुहिल्लो के सान कारलोस एवं सान मारचेल्लो गुरुकुल में कलीसियाई कानून एवं नैतिक ईशशास्त्र के प्राध्यापक रहे। सन् 1988 से 1999 तक शहर के उपनगर स्थित सन्त रीता गिरजाघर के पल्ली पुरेहित तथा 1992 से 1999 तक आर लेडी ऑफ मोनसेरात पल्ली के प्रेरितिक प्रशासक रहे।
सन् 1999 में रॉबर्ट फ्राँसिस प्रेवोस्त शिकागो में अगस्टिनियन धर्मसमाज के प्रान्ताध्यक्ष एवं मदर ऑफ गुड काऊन्सल मठ के मठाध्यक्ष नियुक्त किये गये और 2007 में इसी पद पर आप पुनः नियुक्त किये गये।
चिकलायो के धर्माध्यक्ष
2014 में सन्त पापा फ्रांसिस ने आपको पेरू के चिकलायो धर्मप्रान्त का प्रेरितिक प्रशासक नियुक्त किया। 26 सितम्बर, 2015 को आप चिकलायो के धर्माध्यक्ष नियुक्त कर दिये गये। इन इल्लो ऊनो ऊनुम आपकी धर्माध्यक्षीय प्रेरिताई का आदर्श वाक्य है। यह वही वाक्य है जिसे सन्त अगस्टीन ने स्तोत्र ग्रन्थ के 127 वें भजन पर चिन्तन करते हुए समझाया था कि हालाँकि हम ख्रीस्तीय अनेक हैं, ख्रीस्त में हम सब एक हैं।
2019 में सन्त पापा फ्रांसिस ने धर्माध्यक्ष प्रेवोस्त को परमधर्मपीठीय धर्मसंघ के सदस्य तथा 2020 में परमधर्मपीठीय धर्माध्यक्षीय धर्मसंघ के सदस्य और साथ ही पेरू के काल्लो धर्मप्रान्त का प्रेरितिक प्रशासक नियुक्त किया था।
30 जनवरी 2023 को सन्त पापा फ्राँसिस ने आपको रोम आमंत्रित कर परमधर्मपीठीय धर्माध्यक्षीय धर्मसंघ का अध्यक्ष एवं लातीनी अमरीका के लिये गठित परमधर्मपीठीय आयोग अध्यक्ष नियुक्त किया तथा महाधर्माध्यक्ष का पद प्रदान किया।
2024 को बने कार्डिनल
30 सितम्बर 2024 को कर्डिनल परिषद की घोषणा के दौरान सन्त पापा फ्राँसिस द्वारा रॉबर्ट फ्राँसिस प्रेवोस्त कार्डिनल एवं कलीसिया के राजकुमार पद पर सम्मानित किये गये थे। कार्डिनल प्रेवोस्त रोम में 2023 एवं 2024 में सम्पन्न विश्व धर्माध्यक्षीय धर्मसभा की सभी आम सभाओं मौजूद थे। इन वर्षों में आप सुसमाचार प्रचार सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद, विश्वास एवं धर्मसिद्धान्त सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद, याजकवर्ग एवं समर्पित जीवन सम्बन्धी धर्मसमाजों, संस्कृति एवं शिक्षा सम्बन्धी परमधर्मपीठीय धर्मसंघ तथा वाटिकन राज्य के विधायी पाठ सम्बन्धी आयोग के सदस्य पर कार्य करते रहे थे।
सन्त पापा फ्राँसिस के रोम स्थित जेमेल्ली अस्पताल में इलाज के दौरान 03 मार्च को कार्डिनल प्रेवोस्तने सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में आयोजित रोज़री माला विनती की अध्यक्षता की थी।