कॉमेक धर्माध्यक्षों ने किया युद्ध समाप्ति का आह्वान

यूरोपीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के संघ ने युद्ध पीड़ितों के प्रति गहन सहानुभूति का प्रदर्शन कर युद्धों की समाप्ति का आह्वान किया है।
यूरोपीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के संघ ने युद्ध पीड़ितों के प्रति गहन सहानुभूति का प्रदर्शन कर युद्धों की समाप्ति का आह्वान किया है।
यूरोप के धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के संघ के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष मारियोनो क्रोश्याता द्वारा जारी एक अधिनोट में, यूरोपीय संघ के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों का प्रतिनिधित्व करने वाले धर्माध्यक्षों ने कहा कि वे और उनकी कलीसियाएं, "सभी पीड़ितों, विशेष रूप से, गाज़ा और पवित्र भूमि, यूक्रेन और सूडान में युद्धों के कारण पीड़ित लोगों के साथ निकटता और एकजुटता व्यक्त करते हैं।" उन्होंने कहा कि वे शांति स्थापना के लिए प्रार्थना का एक जीवंत और सक्रिय हिस्सा बनना चाहते हैं।
न्याय-संगत शाति का आह्वान
धर्माध्यक्ष इस सप्ताह यूरोपीय धर्माध्यक्षों की शरदकालीन पूर्ण सभा में भाग ले रहे थे, जहां फिलिस्तीन और यूक्रेन में चल रहे युद्ध चर्चा का मुख्य विषय रहे।
वाटिकन रेडियो से बातचीत में यूरोप के धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों के संघ के उपाध्यक्ष फादर मानुएल बार्रियोस प्रीयेतो ने बताया कि धर्माध्यक्षों ने यूक्रेन के पर्यवेक्षकों से बात की, जिन्होंने यूक्रेनी लोगों की कठिनाइयों और पीड़ा बयान की। साथ ही, धर्माध्यक्ष गाज़ा और सूडान सहित दुनिया के अन्य हिस्सों में चल रहे संघर्षों को लेकर भी चिंतित हैं।
फादर प्रीयेतो ने कहा कि इसी चिंता के चलते एक अपील की गई जिसमें पीड़ित लोगों और युद्ध का अंत चाहने वालों के प्रति धर्माध्यक्षों की निकटता व्यक्त की गई। धर्माध्यक्षों ने यूरोपीय संघ से "इन युद्धों को समाप्त करने और सभी के लिए एक स्थिर और न्यायपूर्ण शांति स्थापित करने के लिए हर संभव प्रयास करने" का आह्वान किया है।
कलीसिया के साथ संवाद
फादर प्रीयतो ने बताया कि धर्माध्यक्षीय शरदकालीन सभा के दौरान, धर्माध्यक्षों को नागर संस्थाओं के प्रतिनिधियों से भी बात करने का अवसर मिला, जिनमें यूरोपीय संसद की उपाध्यक्ष आन्तोनेल्ला बर्ना भी शामिल थीं, जो कलीसियाओं के साथ संवाद की प्रभारी हैं।
यूरोपीय संस्थाओं के साथ संवाद के बारे में फादर प्रीयेतो ने कहा कि संवाद सदैव कलीसिया की अपनी सामाजिक शिक्षा से शुरू होता है। उन्होंने कहाः "हम यूरोपीय संस्थाओं के साथ अपने सभी संवादों में हमेशा मानव गरिमा को सबसे आगे रखते हैं।"
इसके अतिरिक्त, उन्होंने कहा कि कलीसिया यूरोपीय संघ में लोकलुभावनवाद के उदय, यूरोप में ग़ैरकानूनी ढंग से रहने वाले लोगों के लिये "वापसी नीति" से जुड़ी कठिनाइयों और मानव तस्करी के मुद्दों से भी अवगत हैं। इस तथ्य पर उन्होंने बल दिया कि सभी स्थितियों में कलीसिया सबसे पहले मानव गरिमा का सम्मान करने का आग्रह करती है।