अतिरिक्त शुल्क मामले में काथलिक पुरोहित को मिली ज़मानत
जबलपुर में, अतिरिक्त स्कूल फीस घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाए जाने तथा कथित गिरफ्तारी का सामना कर रहे एक काथलिक पुरोहित को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की जबलपुर पीठ ने अग्रिम ज़मानत दे दी है। 27 अगस्त को एक काथलिक धर्मप्रान्तीय संचालित स्कूल के प्रबंधक फादर एस जी विल्सन को अग्रिम जमानत दे दी गई। अग्रिम ज़मानत पुलिस को आरोपी को गिरफ्तार करने से रोकती है।
आरोप
फादर विल्सन उन चार जबलपुर धर्मप्रान्तीय पुरोहितों में से एक हैं, जिन पर स्कूली छात्रों से कथित तौर पर अत्यधिक ट्यूशन फीस वसूलने का आरोप है। कुल मिलाकर, 11 निजी स्कूलों से जुड़े 51 लोगों पर निजी स्कूलों द्वारा ली जाने वाली फीस पर मध्य प्रदेश सरकार के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने का आरोप है, जिनमें तीन काथलिक और चार चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया (सीएनआई) स्कूल शामिल हैं।
पुलिस ने 27 मई को 22 लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनमें जबलपुर डायोसिस के सीएनआई धर्माध्यक्ष, एक काथलिक पुरोहित, प्रधानाचार्य और प्रबंधक शामिल हैं, ये सभी स्कूलों में निर्णय लेने की प्रक्रिया का हिस्सा थे।
20 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने ईसाई स्कूलों के धर्माध्यक्ष, पादरी और 10 अन्य लोगों को ज़मानत दे दी थी।
जबलपुर धर्मप्रान्त के प्रतिधर्माध्यक्ष फादर डेविस जॉर्ज ने 29 अगस्त को ऊका समाचार से कहा, "हमें खुशी है कि हमारे एक पुरोहित को गिरफ्तारी से सुरक्षा मिल गई है।" उन्होंने बताया कि दो और पुरोहितों की अग्रिम ज़मानत की अर्जी हाई कोर्ट में लंबित है और एक या दो दिन में सुनवाई होने की संभावना है।"
पुलिस ने स्कूल अधिकारियों पर छात्रों से अतिरिक्त स्कूल फीस लेने और अत्यधिक कीमतों पर पाठ्यपुस्तकें बेचने में शामिल होने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज किया है। कलीसियाई अधिकारियों ने आरोपों से इनकार किया और पुलिस कार्रवाई को राज्य सरकार द्वारा प्रतिशोध की कार्रवाई निरूपित किया है।
मध्य प्रदेश में हिंदू समर्थक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का शासन है। ईसाई नेताओं का कहना है कि राज्य सरकार ईसाई विरोधी कदमों को चुपचाप अनुमति देती है, जैसे कि राज्य के सख्त धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत ईसाइयों के खिलाफ झूठे मामले दर्ज किये जाते हैं।
काथलिक कलीसिया तथा ख्रीस्तीय संस्थाएं आदिवासी लोगों की मदद के लिए कई शैक्षणिक संस्थानों का संचालन करती हैं, जो मध्य प्रदेश की 7.2 करोड़ की कुल आबादी का 21 प्रतिशत से अधिक हिस्सा हैं। मध्यप्रदेश राज्य में ख्रीस्तीय धर्मानुयायी जनसंख्या का मात्र 0.27 प्रतिशत हैं।