इन्डोनेशिया, धार्मिक स्वतंत्रता हेतु कठोर कार्रवाई का आग्रह

इंडोनेशिया के काथलिक धर्माध्यक्षों ने जकार्ता सरकार से आग्रह किया है कि वह सभी प्रकार की असहिष्णुता और हिंसा के खिलाफ़ दृढ़ता से कार्रवाई करे।

इंडोनेशिया में हाल ही में ख्रीस्तीय आराधना स्थलों एवं संस्थानों पर हिंसक हमलों को दृष्टिगत रखकर देश के काथलिक धर्माध्यक्षों ने जकार्ता सरकार से आग्रह किया है कि वह सभी प्रकार की असहिष्णुता और हिंसा के खिलाफ़ दृढ़ता से कार्रवाई करे।

धर्माध्यक्षों का आग्रह
परमधर्मपीठीय सुसमाचार प्रचार एजेन्सी फीदेस की रिपोर्ट के अनुसार, धर्माध्यक्षों ने आग्रह किया कि "अराजक कृत्य करनेवाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाना चाहिये, विशेषकर जब वे देश के किसी भी हिस्से में प्रार्थना और आराधना-अर्चना गतिविधियों को निशाना बनाते हों।"

इन्डोनेशियाई धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान प्रस्तुत की गई धर्माध्यक्षों की अपील, ख्रीस्तीय समुदायों से जुड़े आराधना स्थलों और संस्थानों पर हाल ही में हुए कई हमलों के बाद आई है। इस अपील पर न केवल काथलिक नेताओं ने, बल्कि कन्फ्यूशियस धर्म की सर्वोच्च परिषद (माटाकिन) और बौद्ध तथा प्रोटेस्टेंट प्रतिनिधियों ने भी हस्ताक्षर किए हैं।  

संयुक्त वकतव्य
अपील में कानून प्रवर्तन और न्यायिक अधिकारियों से प्रार्थना स्थलों पर हिंसा, इनकार, बाधा या विनाश की हर घटना को रोकने और उसकी गहन जाँच करने का आह्वान किया गया है।

धार्मिक नेताओं के संयुक्त वक्तव्य में स्मरण दिलाया गया कि धर्मपालन और पूजा की स्वतंत्रता इंडोनेशिया के 1945 के संविधान में निहित है और अनुच्छेद 28 और 29 के तहत इसकी गारंटी दी गई है। उन्होंने कहा कानून प्रवर्तक और स्थानीय अधिकारियों का आह्वान किया कि वे इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए "दृढ़ता से हस्तक्षेप" करे।