पोप लियोः जीवन रूपी धन का विनिमय करें

पोप लियो अपने रविवारीय देवदूत प्रार्थना के पूर्व दिये गये संदेश में जीवन रूपी धन का विनिमय करने का आहृवान किया।

पोप लियो ने रविवारीय देवदूत प्रार्थना हेतु संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों, शुभ रविवार।

आज का सुसमाचार हमें इस बात पर चिंतन करने को निमंत्रण देता है कि हम जीवन रूपी धन का विनिमय अपने में कैसे करें। यह हमें कहता है, “जो कुछ अपने पास है उसे बेचो और दान कर दो।”

जीवन के उपहारों को बांटें
इस भांति यह हमारा आहृवान ईश्वर के मिले उपहारों को अपने लिए रखने को नहीं बल्कि उन्हें उदारता में दूसरों की भलाई हेतु देने को कहता है विशेष कर उनके लिए जिन्हें उनकी हमसे अधिक जरूरत है। यह हमें अपने भौतिक चीजों को केवल बाँटने को नहीं कहता है बल्कि यह हमें अपनी योग्यताओं,समय,प्रेम,अपना समय और हमारी सहानुभूति को दूसरों के संग साझा करने को कहता है। संक्षेप में, वे सारी चीजें जिनसे हमारा जीवन बना है, ईश्वर की योजना में जीवन की एक अद्वितीय, एक मूल्यवान सजीव संपत्ति है, जो अपने में विकसित होने हेतु बोये जाने और विनिमय किये जाने की मांग करती है, यदि ऐसा नहीं होता तो यह मुरझा जाता और अपने मूल्य को खो देता है, या यह दूसरों के द्वारा जैसे चोरों के द्वारा लूट लिया जाता है, और उसका उपयोग उपभोक्ता मात्र एक चीज के रुप में किया जाता है।

ईश्वर के उपहारों को व्यर्थ न करें
पोप ने कहा कि ईश्वर का उपहार जो हम सभी है अपने में इस भांति नष्ट होने के लिए नहीं है। हमें एक-दूसरे का साथ, स्वतंत्रता और संबंधों की जरुरत है जिससे हम अपने को व्यक्त करते हुए अपनी पूर्णत को प्राप्त कर सकें। हमें प्रेम की जरुरत है जो हममें परविर्तन लाता और सभी रुपों में हमारे जीवन के अस्तित्व को अर्थपूर्ण बनाता है, जहाँ हम अपने को अधिक से अधिक ईश्वर के रूप में बनता पाते हैं। येसु के ये वचन येरूसालेम के मार्ग में, जहां वे अपने को क्रूस में हमारी मुक्ति के लिए अर्पित करते हैं, कोई संयोग से नहीं आते हैं।

करूणा के कार्यों की महानता
करूणों के कार्यों को हम सबसे सुरक्षित और सबसे लाभप्रद बैंक के रुप में पाते हैं जहाँ हम अपने जीवन के अस्तित्व की निधि को जमा करते हैं क्योंकि वहाँ, जैसे कि सुसमाचार हमें बतलाता है, यहाँ तक कि “दो अधेलों” में भी एक गरीब विधवा अपने में दुनिया की सबसे धनी व्यक्तित्व बनती है।

संत अगुस्टीन अपनी प्रस्तावना में कहते हैं, “कोई व्यक्ति एक पाउंड काँसे से एक पाउंड चाँदी बनाता, या एक पाउंड चाँदी से एक पाउंड सोना बनता तो वह अपने में संतुष्ट होता है, लेकिन जो कुछ वह देता है, वास्तव में, उसे कुछ अलग मिलता है, सोना या चाँदी नहीं, बल्कि अनंत जीवन”। और वे इसका कारण बतलाते हैं: “जो चीज दी जाती है वह बदल जाएगी क्योंकि देनेवाला हममें परिवर्वतन लाता है।”

एक धनी माता
संत अगुस्टीन के विचारों को स्पष्ट करते हुए संत पापा लियो ने कहा, “इसका अर्थ समझने के लिए हम एक माता के बारे में विचार कर सकते हैं      जो अपने बच्चों को गले लगाती है। क्या वह दुनिया की सबसे सुन्दर और धनी माता नहीं है? या दो सगाईशुदा जोड़े, जब एक साथ होते हैं, तो क्या उन्हें एक राजा और रानी होने जैसा एहसास नहीं होता है?” इसके और भी कई उदाहरण दिए जा सकते हैं।

दूसरों के प्रति संवेदनशीलता
इसलिए,आइए हम अपने परिवारों में, अपने पल्ली में, विद्यालय में, और अपने कार्यस्थलों पर, हम जहाँ भी हों, हम प्रेमूपर्ण कार्य करने हेतु कोई भी अवसर न खोयें। यही वह सतर्कता है जिसकी मांग येसु हम सभों से करते हैं: एक-दूसरे के प्रति सचेत हों, अपनी चेतना और संवेदनशीलता को दूसरों के लिए प्रकट करें, जैसे कि ईश्वर हमारे संग हर पल पेश आते हैं।

प्रिय भाइयो एवं बहनों संत पापा लियो ने कहा कि हम इस इच्छा और इस प्रतिबद्धता को माता मरियम को सौंप दें: वह, भोर का तारा हैं, हमें इस दुनिया में, जो इतने सारे विभाजनों से चिह्नित है, दया और शांति के “प्रहरी” बनने में मदद करें, जैसा कि संत जॉन पॉल द्वितीय ने हमें सिखाया है, और जैसा कि जंयती के लिए रोम आए युवाओं ने हमें बहुत खूबसूरती से साक्ष्य दिया।