भारतीय धर्माध्यक्षों ने ओडिशा में पुरोहितों एवं प्रचारक पर हमले की कड़ी निंदा की

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्ष सम्मेलन (सीबीसीआई) ने 6 अगस्त 2025 को ओडिशा के जलेश्वर में दो काथलिक पुरोहितों, धर्मबहनों और एक प्रचारक पर हुए चौंकाने वाले भीड़ हमले पर गहरा दुःख व्यक्त किया है और इसकी कड़ी निंदा की है।

सीबीसीआई ने 8 अगस्त को बयान जारी कर कहा, “यह घटना कोई अलग मामला नहीं है, बल्कि ईसाई अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के एक परेशान करनेवाले तरीके का हिस्सा है, जो देश में असहिष्णुता के बढ़ते माहौल को दर्शाता है।”

रिपोर्टों के अनुसार, यह हमला उस समय हुआ जब जलेश्वर स्थित संत थॉमस चर्च के पल्ली पुरोहित फादर लिजो, एक अन्य पुरोहित, दो धर्मबहनों और एक प्रचारक के साथ, पास के एक गाँव स्थित एक काथलिक घर में प्रियजनों की मृत्यु की दूसरी बरसी के उपलक्ष्य में पवित्र मिस्सा अर्पित करने के बाद पैरिश लौट रहे थे। स्थानीय महिलाओं ने धर्मबहनों को तो बचा लिया, लेकिन पुरोहितों और प्रचारक को रोक लिया गया, उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया, हाथापाई की गई और उन पर धर्मांतरण का झूठा आरोप लगाया गया। फादर लिजो का मोबाइल फोन जबरन छीन लिया गया और वापस नहीं किया गया। प्रचारक श्री दुर्योधन को बेरहमी से पीटा गया और उनकी मोटरसाइकिल क्षतिग्रस्त कर दी गई। लगभग 70 लोगों की भीड़ में कई बाहरी लोग थे।

धर्माध्यक्षों ने कहा है कि “इस तरह की हरकतें अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों और मानवीय गरिमा का घोर उल्लंघन हैं। भीड़ हिंसा की बढ़ती प्रवृत्ति सभी समुदायों की सुरक्षा, संरक्षा और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए गंभीर खतरा पैदा करती है।”

सीबीसीआई ने ओडिशा सरकार से आग्रह किया है कि “वह अपराधियों की पहचान कर उन पर मुकदमा चलाने के लिए त्वरित और निर्णायक कार्रवाई करे, और सभी अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। हम अधिकारियों से संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों की रक्षा करने का भी आग्रह करते हैं, ताकि प्रत्येक नागरिक बिना किसी भय के अपने धर्म का पालन कर सके।”

सीबीसीआई स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है और सभी नागरिकों, विशेषकर ईसाई समुदाय के अधिकारों, सम्मान और सुरक्षा की रक्षा करने की अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग रहेगा।