पोप : येसु हमें मृत्यु के गर्त से उठाते हैं

पोप लियो ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह की धर्मशिक्षा माला में पुण्य शनिवार के रहस्य पर चिंतन करते हुए कहा कि ईश्वर मृत्यु के गर्त में उतरते हैं जिससे वे सारी मानवता को वहाँ से निकाल सकें।
पोप लियो ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर विभिन्न देशों के आये हुए विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों।
आज हम पुनः पुण्य शनिवार के रहस्य पर चिंतन करेंगे। यह पास्का रहस्य का वह दिन है जहाँ हर चीज अपने में रूकी और शांत जान पड़ती है, लेकिन वास्तव में हम एक अदृश्य मुक्ति के कार्य को अपने में पूरा होता पाते हैं। ख्रीस्त मृत्यु के गर्त में उतरते जिससे वे पुनरूत्थान के संदेश को सभों के लिए ला सकें जो अपने को अंधकार और मृत्यु की छाया में पाते हैं।
पोप लियो ने कहा कि यह घटना जिसे धर्मविधि और परंपरा हमें सौंपी है, हमारे लिए ईश्वर के अद्वितीय और मूलभूत प्रेम की निशानी को, मानवता के लिए व्यक्त करता है। वास्तव में, केवल यह कहना या विश्वास करना की येसु हमारे लिए मर गये अपने में काफी नहीं है, हमें इस बात को पहचाना जरुरी है कि उस निष्ठामय प्रेम ने हमें वहाँ से खोज निकाला जहाँ हम खो गये थे, वहाँ उस अंधेरे प्रांत में केवल ज्योति की एक शक्ति प्रवेश करने के योग्य थी।
ईश्वर की पहुंच
धर्मग्रँथ की अवधारणा में अधोलोक एक स्थान नहीं बल्कि एक अस्तित्वगत स्थिति है: वह स्थिति जहाँ जीवन समाप्त हो जाता है, जहाँ पीड़ा, अकेलेपन, आत्म-ग्लानि के साथ हम अपने को ईश्वर तथा अन्य लोगों से विखंडित पाते हैं। ख्रीस्त अंधकारमय प्रांत के द्वार से पार होते हुए हमारे लिए गहरी खाई में भी पहुंचते हैं। कहा जाये तो वे मृत्यु के निवास में प्रवेश करते हैं, जिससे वे उसे खाली कर सकें, वहाँ वे निवासियों को, एक-एक जन का हाथ पकड़ कर वहाँ से निकाल सकें। यह ईश्वर की नम्रता है जहाँ वे पापों के आगे नहीं रूकते हैं, वे मानव के कटु परित्याग से भयभीत नहीं होते हैं।
प्रेरित संत पेत्रुस के पहले पत्र से लिया गया छोटा पद जिसे हमें अभी सुना, हमें येसु के बारे में कहता है, जो पवित्र आत्मा में पुनर्जीवित किये जाते हैं, वे वहाँ तक मुक्ति की खबर को ले जाते जहाँ हम आत्मों को कैद पाते हैं। यह एक अति मार्मिक निशानियों में एक है जिसे हम प्रमाणित सुसमाचार में नहीं बल्कि जो निकोदेमुस के अप्रामणिक सुसमाचार कहलाता है। परंपरा के अनुसार, ईश्वर का पुत्र घोर अंधेरे में प्रवेश करते हैं जिससे वे अंतिम भाई-बहनों तक पहुंच सकें, उनके लिए भी अपनी ज्योति ला सकें। इस निशानी में हम पास्का संदेश की सभी शक्ति और कोमलता को पाते हैं- मृत्यु अपने में कभी भी अंतिम शब्द नहीं है।
पापः मृत्यु की स्थिति में जीना है
प्रिय मित्रों, पोप लियो ने कहा कि ख्रीस्त का यह उतरना अपने में केवल अतीत से संबंधित नहीं है बल्कि यह हम सभों के जीवन को स्पर्श करता है। पाप की दुनिया केवल मृत्यु की स्थिति नहीं है, बल्कि उनकी स्थिति है जो बुराई और पाप के कारण मृत्यु में जीवन जीते हैं। यह प्रतिदिन के जीवन में अकेलेपन का नरक है, शर्म, परित्यक्त और जीवन का संघर्ष है। ख्रीस्त इन सभी अंधेरी सच्चाइयों में प्रवेश करते हैं जिससे वे पिता के प्रेम का साक्ष्य दे सकें। वे हमारा न्याय नहीं बल्कि हमें स्वतंत्र करते हैं। वे हमें दोषी करार नहीं देते बल्कि मुक्ति प्रदान करते हैं। वे इसे शांतिमय ढ़ग से, पंजों के बल करते हैं वैसे ही जैसे कोई अस्पताल के कमरे में सांत्वना और सहायता देने हेतु प्रवेश करता हो।
ईश्वर और मानव का मिलन
कलीसिया के आचार्यों, सुन्दरता के अतिविशेष पन्नों में इस क्षण को एक मिलन स्वरुप जिक्र करते हुए इसे ख्रीस्त और आदम बीच मिलन की संज्ञा देते हैं। एक मिलन जो हमारे लिए ईश्वर और मानव के बीच सभी मिलनों की संभावना की निशानी है। ईश्वर वहाँ उतरते हैं जहाँ मानव डर से छुपा गया, वे उसे नाम लेकर पुकारते हैं, उसका हाथ पकड़कर लेते, उठाते और ज्योति में लेकर आते हैं। वे ऐसा पूर्ण अधिकार के साथ करते हैं साथ ही अनन्य कोमलता में, उसी भांति जैसा एक पिता बेटे के साथ करता है जो अपने में यह अनुभव करता है कि वह प्रेम नहीं किया जाता है।