फादर हेमल, ईशनिंदक हिंसा के खिलाफ एक रोशनी

पोप फ्रांसिस ने फ्राँस के लूर्द शहर में आयोजित हत्या के शिकार बने फादर जैक्स हैमल को समर्पित एक पुरस्कार समारोह में संदेश भेजकर एक बार फिर दिवंगत आत्मा के प्रति श्रद्धान्जलि अर्पित की। 26 जुलाई 2016 को दो इस्लामी चरमपंथियों ने  एक गिरजाघर के भीतर फ्राँसिसी पुरोहित फादरजैक्स हैमेल की हत्या कर डाली थी।

बुधवार को लूर्द शहर में सन्त फ्राँसिस दे सेल्स को समर्पित अंतर्राष्ट्रीय दिवस का 27 वाँ संस्करण शुरु हुआ। इस अवसर पर आयोजित फादर जैक्स हैमल को समर्पित एक पुरस्कार समारोह में पोप फ्राँसिस का सन्देश फ्राँस में परमधर्मपीठीय प्रेरितिक राजदूत महाधर्माध्यक्ष चेलेस्तीनो मिलियोरे द्वारा पढ़ा गया। सन्देश में सन्त पापा ने कहा, "दयालु, सौम्य और भ्रातृभाव से परिपूरित एक बुजुर्ग पुरोहित को ईश्वर के नाम पर कथित बर्बर और अंधी हिंसा का सामना करना पड़ा।"

इस वर्ष फादर जैक्स हैमेल पुरस्कार से कनाडा की पत्रकार सारा-क्रिस्टीन बौरिहेन और इटली की पत्रकार रोमिना गोब्बो को सम्मानित किया गया।

हिंसा का बहिष्कार
अपने संदेश में, पोप फ्रांसिस ने मारे गए फ्रांसीसी पुरोहित की "अपूर्णीय गवाही" को फैलाने के महत्व को याद किया और इसे "हिंसा, असहिष्णुता, घृणा और दूसरों की अस्वीकृति की ज्यादतियों के लिए एक मारक" कहा, जिसे दुर्भाग्यवश वर्तमान विश्व समाज में तेजी से देखा जा रहा है।

फादर जैक्स हैमल को समर्पित पुरस्कार का उद्देश्य शांति और अंतरधार्मिक संवाद को बढ़ावा देना है, और सन्त पापा ने इसे "उन लोगों को प्रोत्साहित करने, समर्थन करने और पुरस्कृत करने का एक अच्छा साधन कहा है जो सभी धर्मों एवं विश्वासों का सम्मान करते हुए एक अधिक भाईचारे वाले विश्व के निर्माण की दिशा में काम करते हैं।"

पोप ने इस बात पर विचार किया कि कैसे ग़लत सूचना हमारे समय की एक अनोखी चुनौती बन गई है। उन्होंने कहा, ग़लत सूचना का उद्देश्य "लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करना है, जो उन लोगों द्वारा विश्वसनीयता के साथ प्राप्त की जाती है जो आलोचनात्मक विवेक की भावना खो चुके हैं या जो उनकी कमजोरी और ज़रूरत की स्थिति का फायदा उठाते हैं।"

उन्होंने सचेत किया कि यह कट्टरपंथ की घटनाओं के लिए उपजाऊ ज़मीन है, विशेष रूप से कुछ धार्मिक समूहों में, जो ईश्वर के नाम पर हिंसा का प्रचार करते हैं, जो ईशनिंदा है। सन्त पापा ने कहा इसी वजह से "सच्चाई और प्रामाणिकता अंतरधार्मिक संवाद की सेवा में पत्रकारिता की एक अनिवार्य आवश्यकता है।"