कार्मिक विरोधी बारूदी सुरंगों पर वाटिकन प्रतिनिधिमण्डल का वकतव्य

जिनिवा में कार्मिक और मानव विरोधी बारूदी सुरंगों सम्बन्धी समझौते पर पाँचवे पनरावलोकन सम्मेलन में गुरुवार 20 जून को महाधर्माध्यक्ष यानूस ऊरबानज़िक के नेतृत्व में वाटिकन के शिष्टमण्डल ने कार्मिक-विरोधी खानों के निषेध पर समझौते के लागू होने की 25वीं वर्षगांठ को याद किया।

जिनिवा में कार्मिक और मानव विरोधी बारूदी सुरंगों सम्बन्धी समझौते पर पाँचवे पनरावलोकन सम्मेलन में गुरुवार 20 जून को महाधर्माध्यक्ष यानूस ऊरबानज़िक के नेतृत्व में वाटिकन के शिष्टमण्डल ने  कार्मिक-विरोधी खानों के निषेध पर समझौते के लागू होने की 25वीं वर्षगांठ को याद किया तथा कम्बोडिया आदि देशों में इस दिशा में किये जा रहे कार्यों की सराहना की।

पीड़ितों के प्रति सामीप्य
कार्मिक विरोधी बारूदी सुरंगों पर सन्त पापा प्रांसिस के शब्दों की पुनरावृत्ति करते हुए वाटिकन के शिष्ट मण्डल ने स्पष्ट किया सन्त पापा फ्राँसिस कार्मिक एवं मानव विरोधी बारूदी सुरंगों के शिकार बने सभी लोगों के निकट हैं, जो हमारा ध्यान युद्ध की क्रूरता और निर्दोष नागरिकों पर पड़नेवाले इसके दुष्प्रभावों की ओर आकर्षित करती है।  

परमधर्मपीठीय प्रतिनिधिमण्डल ने इस बात पर गहन चिन्ता व्यक्त की कि चल रहे संघर्षों की त्रासदी के बीच, कुछ राज्यों और सशस्त्र समूहों द्वारा कार्मिक-विरोधी बारूदी सुरंगों और पीड़ित-सक्रिय विस्फोटक उपकरणों का उपयोग जारी है। उन्होंने कहा कि बड़ी चिंता के साथ, हम यूक्रेन, सीरिया और म्यांमार में संघर्ष के संदर्भ में ऐसे हथियारों के अंधाधुंध प्रसार को देख रहे हैं।  

सुरंगें जीवन विरोधी
वाटिकन के वरिष्ठ महाधर्माध्यक्ष ऊरबानज़िक ने कहा कि संघर्ष, अपने आप में, पहले से ही "एक मानव परिवार के रूप में, एक ही शरीर साझा करने वाले साथी यात्रियों के रूप में" जीने में मानवता की विफलता का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये सभी से भाइयों और बहनों के रूप में जीवन यापन के मौके को छीन लेते हैं तथा जीवन की गरिमा को बनाए रखने में विफल होते जो ईश्वर द्वारा प्रदत्त प्रेमपूर्ण उपहार है। इसके अतिरिक्त, कार्मिक-विरोधी बारूदी सुरंगें भय की एक अतिरिक्त भावना जोड़ती हैं जो आजीविका को बाधित करती है और मेल-मिलाप, शांति और समग्र विकास को रोकती है, जिससे नागरिकों को हमेशा पीड़ा का खामियाजा भुगतना पड़ता है।

राष्ट्रों से आग्रह
महाधर्माध्यक्ष ऊरबानज़िक ने कहा कि इन्हीं कारणों से, परमधर्मपीठ उन सभी राज्यों और देशों से दृढ़ता से आग्रह करती है जिन्होंने अभी तक समझौते तक पहुंचने के लिए ऐसा नहीं किया है। हमारा आग्रह है कि वे बिना किसी देरी के बारूदी सुरंगों के उत्पादन और उपयोग को रोकें।

उन्होंने कहा, "बारूदी सुरंगों की मानवीय लागत चौंका देने वाली है। अत्यंत चिंता के साथ हम कह सकते हैं कि पीड़ितों की संख्या में वृद्धि हुई है, पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को मार दिया जा रहा है या अपंग बना दिया जा रहा है। बच्चे अपने अंग खो दे रहे हैं। माता-पिता अपने बच्चों को खो रहे हैं। जब ऐसा होता है तो हम सभी की हानि होती है क्योंकि मानव जीवन पवित्र है।"