बेथलेहम के मेयर ने पोप से मुलाकात की, आशा एवं एकजुटता की अपील की

बेथलेहम के महापौर ने बुधवार को आमदर्शन समारोह के बाद पोप लियो 14वें से मुलाकात की और युद्ध को रोकने तथा पवित्र भूमि में ख्रीस्तीय उपस्थिति को बनाए रखने के लिए समर्थन की अपील की।
बेथलहम के नवनियुक्त महापौर, माहेर निकोला कनावती ने बुधवार सुबह आमदर्शन समारोह के बाद पोप लियो 14वें से मुलाकात की। वे अपने साथ अपने लोगों की चिंताओं और पवित्र भूमि में शांति और आशा की अपील लेकर आए थे।
उन्होंने कहा, "दरअसल, बेथलहम का महापौर बनने के बाद मैंने जो पहला पत्र लिखा था, वह पोप के लिए था, क्योंकि मेरा मानना है कि यहाँ से हम बहुत कुछ कर सकते हैं और अपने लोगों का समर्थन कर सकते हैं। तथा सबसे महत्वपूर्ण बात उन्हें आशा दे सकते है।"
महापौर ने बताया कि बेथलेहम और अन्य फ़िलिस्तीनी शहरों से पलायन जारी है, जिससे पवित्र भूमि से ख्रीस्तीयों की उपस्थिति कम हो रही है।
उन्होंने कहा, "लोग बेथलेहम छोड़ रहे हैं, फ़िलिस्तीन छोड़ रहे हैं क्योंकि जो कुछ हो रहा है और जो चल रहा है, उसके कारण।" उन्होंने यह भी कहा कि बेथलेहम के आसपास की बस्तियाँ अब शहर की आबादी से भी ज़्यादा हो गई हैं और संसाधनों पर बहुत दबाव डाल रही हैं।
पोप से मुलाकात
मई में नियुक्त मेयर कनावती ने कहा कि पोप लियो 14वें ने व्यक्तिगत मुलाक़ात के उनके अनुरोध का जवाब दिया।
उन्होंने कहा, "मुझे पोप को यह समझाने का अवसर मिला कि फिलिस्तीन, गज़ा और बेथलहम में जो कुछ हो रहा है, उसमें हस्तक्षेप करना और पवित्र भूमि के जीवित पत्थरों को सुरक्षित करना कितना जरूरी है, क्योंकि जीवित पत्थरों के बिना पवित्र भूमि बस एक संग्रहालय है।"
और संत पापा के साथ अपनी मुलाकात का वर्णन करते हुए उन्होंने आगे कहा, "बेथलहम के बारे में बात करने से पहले, मैं हमेशा प्रार्थना करता हूँ। और पोप से मेरा पहला वाक्य यही था: हस्तक्षेप करें ताकि हम इस युद्ध को रोका जा सकें, गज़ा में हमारे लोगों के साथ जो हो रहा है उसे रोक सकें। और मुझे लगता है कि यही सर्वोच्च प्राथमिकता है जिस पर हमने वास्तव में बात की थी, और उन्होंने इस पर सहमति जताई।"
बेथलहम और दबाव में ख्रीस्तीय
मेयर ने बेथलहम में जीवन की एक स्पष्ट तस्वीर पेश की। उन्होंने समझाया, "बेथलहम पहले 37 वर्ग किमी में फैला हुआ था। (लेकिन) अब, विलय, बस्तियों और बेथलहम को उसकी बहन और उसके हृदय - येरुशलम - से इतिहास में पहली बार अलग करनेवाली दीवार के बाद, इसका मतलब है कि बेथलहमवासियों के रूप में हम कई समस्याओं से जूझ रहे हैं।"
उन्होंने एक बार फिर फिलिस्तीनी क्षेत्रों में फिलिस्तीनी ख्रीस्तीयों की घटती संख्या पर अपनी चिंता व्यक्त की।
उन्होंने कहा, "पवित्र भूमि में अब केवल 1,68,000 फिलिस्तीनी ईसाई बचे हैं, जबकि दुनियाभर में 40 लाख से ज्यादा फिलिस्तीनी ख्रीस्तीय हैं। यह अपने आप में दिखाता है कि ख्रीस्तीयों पर कितना दबाव है।"
कनावती, जो स्वयं एक ख्रीस्तीय हैं, ने बताया कि क़ानूनन बेथलहम के महापौर को ख्रीस्तीय होना चाहिए, इस प्रावधान का फिलिस्तीनी नेताओं ने समर्थन किया है "क्योंकि वे ख्रीस्तीय समुदाय को, दुनिया के सबसे पुराने ख्रीस्तीय समुदाय को, जो बेथलहम में, पवित्र भूमि में, फिलिस्तीन में रहता है, सुरक्षित रखना चाहते हैं।"
फिर भी कई लोग अभी भी वहाँ से जा रहे हैं। उन्होंने कहा, "किसी के भी बेथलेहम छोड़ने पर मेरा दिल टूट जाता है," उन्होंने बताया कि पिछले एक साल में ही 1,000 से ज्यादा ख्रीस्तीयों को "कनाडा, अमेरिका और अन्य देशों में प्रवास की मंजूरी" मिली है।
पर्यटन और अर्थव्यवस्था का पतन
तीर्थयात्रा और पर्यटन पर निर्भर बेथलहम की अर्थव्यवस्था 7 अक्टूबर 2023 को युद्ध छिड़ने के बाद से तबाह हो गई है।
कनावती ने कहा, "अब, 7 अक्टूबर के बाद, हमारे यहाँ एक बड़ी गिरावट आई है, यह करीब 0% चल रही है। सभी होटल, यानी 84 होटल, पूरी तरह से बंद हैं। स्मारिका (सोभनीर) की दुकानें, वे कार्यशालाएँ जहाँ खूबसूरत जैतून की लकड़ी, मोती और बेथलहम में हमारे द्वारा बनाए जानेवाले आभूषण बनते हैं, बंद हैं। पूरी तरह से बंद।"
उन्होंने बढ़ती बेरोजगारी का वर्णन किया। "बेरोजगारी दर 14% से बढ़कर 65% हो गई है और जैसा कि आप जानते हैं, लोगों को इस्राएली क्षेत्रों में काम करने से वंचित रखा जा रहा है।"
उन्होंने कहा कि 1,20,000 से ज़्यादा बेथलेहमवासी शहर के बाहर काम करते थे, "उनमें से कुछ पर कर्ज़ था, और अब उनके पास खाने के लिए रोटी भी नहीं है।"
पानी
पानी की कमी और आवाजाही पर प्रतिबंध ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है, जिससे लोगों का दम घुट रहा है। कनावती ने बताया कि बेथलेहम में फिलिस्तीनियों को पानी खुद खोदकर निकालने की अनुमति नहीं है, इसलिए पानी का राशनिंग किया जाता है: "हम अपना पानी इस्राएलियों से खरीदते हैं, और वे हमें एक व्यक्ति की प्रतिदिन की जरूरत का पाँचवाँ हिस्सा ही बेचते हैं।"
महापौर ने दुःख जताते हुए कहा, "बेथलहम के कुछ इलाकों में 50-60 दिनों तक पानी नहीं मिलता।" उन्होंने आगे कहा कि 134 से ज्यादा बैरियर और चेकपॉइंट - यहाँ तक कि शहर के अंदर भी - आवाजाही में बाधा डालते हैं, जिससे लोग न केवल अपनी आजादी से वंचित होते हैं, बल्कि अपने परिवारों का भरण-पोषण करने और भविष्य बनाने के साधनों से भी वंचित होते हैं।
एकजुटता और आशा की अपील
माहेर कनावती ने कहा कि इटली और अन्य देशों में हाल ही में उन्होंने जो एकजुटता का उभार देखा है, उससे एक ठोस बदलाव आया है: "मुझे लगता है कि इससे लोगों में और भी ज्यादा उम्मीद जगी है, कि कोई है जो हमारी परवाह करता है, और वे हमें भूले नहीं हैं।"
उन्होंने लैटिन प्राधिधर्माध्यक्ष और स्थानीय पुरोहितों के समर्थन को "बेथलहम में इस समय सबसे अच्छी उम्मीद" बताया।