परमधर्मपीठ द्वारा घातक स्वायत्त हथियारों पर रोक लगाने का आग्रह

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए, महाधर्माध्यक्ष पॉल रिचर्ड गालाघेर ने घातक स्वायत्त हथियारों पर रोक लगाने का आह्वान किया और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में मानव-केंद्रित दृष्टिकोण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता और अंतर्राष्ट्रीय शांति
कृत्रिम बुद्धिमत्ता और अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा शीर्षक के अन्तर्गत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जारी विचार विमर्श के दौरान बुधवार को राज्यों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ संबंधों के लिए वाटिकन के विदेश सचिव महाधर्माध्यक्ष गालाघेर ने चेतावनी दी कि हालांकि कृत्रिम बुद्धिमत्ता में शांति, विकास और मानव अधिकारों को आगे बढ़ाने की क्षमता है, तथापि नैतिक विचारों से अलग होने पर यह गंभीर खतरे भी उत्पन्न कर सकता है।

सर्वहित की खोज आवश्यक
महाधर्माध्यक्ष गालाघेर ने कहा, "डिजिटल क्रांति, खासकर एआई के क्षेत्र में, शिक्षा, रोज़गार, कला, स्वास्थ्य सेवा, शासन, सेना और संचार जैसे क्षेत्रों पर गहरा प्रभाव डाल रही है।" उन्होंने कहा कि ये नवाचार उन आकांक्षाओं को साकार करने में योगदान दे सकते हैं जिन्होंने 80 साल पहले संयुक्त राष्ट्र की स्थापना को प्रेरित किया था।

साथ ही, उन्होंने आगाह किया कि "अगर एआई का विकास और उपयोग मानवीय गरिमा के सम्मान और सर्वहित की खोज पर दृढ़ता से आधारित नहीं होगा, तो वह विभाजन और आक्रामकता का साधन बन सकता है और संघर्ष को बढ़ावा मिलने की संभावना का ख़तरा उभर सकता है।"

घातक हथियारों पर रोक
उठाई गई सबसे गंभीर चिंताओं में घातक स्वायत्त हथियार प्रणालियों की तैनाती शामिल थी, जिसे महाधर्माध्यक्ष ने "अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए गंभीर कानूनी, सुरक्षा, मानवीय और नैतिक चिंताएँ" बताया, क्योंकि उनमें नैतिक निर्णय लेने की अद्वितीय मानवीय क्षमता का अभाव है। उन्होंने इस तथ्य की पुष्टि की कि, "परमधर्मपीठ घातक स्वायत्त हथियार प्रणालियों के विकास या उपयोग पर तत्काल रोक लगाने के साथ-साथ एक कानूनी रूप से बाध्यकारी साधन अपनाने का पुरजोर समर्थन करती है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि जीवन और मृत्यु से संबंधित निर्णय सार्थक मानवीय नियंत्रण में रहें।"

हथियारों की होड़ के खतरे
महाधर्माध्यक्ष गालाघेर ने अंतरिक्ष संसाधनों और मिसाइल रक्षा प्रणालियों सहित सैन्य प्रणालियों में एआई के एकीकरण से जुड़ी हथियारों की होड़ के खतरों की ओर भी इशारा किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के रुझान "हथियारों और युद्ध की प्रकृति को बदलने और गलत अनुमान लगाने की संभावना के कारण अभूतपूर्व स्तर की अनिश्चितता उत्पन्न करने का जोखिम पैदा करते हैं।"

उन्होंने चेतावनी दी कि परमाणु कमान और नियंत्रण संरचनाओं में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) को शामिल किए जाने की संभावना विशेष रूप से चिंताजनक है। उन्होंने कहा, "इससे नए अज्ञात जोखिम पैदा होते हैं जो परमाणु निवारण के पहले से ही नाज़ुक और नैतिक रूप से परेशान करने वाले तर्क से कहीं आगे तक जाते हैं।"

मानव-केंद्रित दृष्टिकोण
परमधर्मपीठ के प्रतिनिधि ने सुरक्षा परिषद से आग्रह किया कि वह वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति की बारीकी से निगरानी करने की अपनी ज़िम्मेदारी संभाले और यह सुनिश्चित करे कि शांति और सुरक्षा संबंधी बहसों में अवसरों और खतरों, दोनों को ध्यान में रखा जाए।

उन्होंने कहा, "इन ज्वलंत मुद्दों के समाधान के लिए परमधर्मपीठ उभरती प्रौद्योगिकियों के विकास और उपयोग के लिए मानव-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान करती है।" उन्होंने कहा, "यह भी स्वीकार किया जाना चाहिए कि कुछ अनुप्रयोग, जैसे कि जीवन और मृत्यु के मामलों में मानवीय निर्णय की जगह लेने वाली प्रौद्योगिकी ऐसी अलंघनीय सीमाओं को पार कर जाती है जिनका कभी उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिए।"

अपना भाषण समाप्त करते हुए उन्होंने स्मरण दिलाया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता को मानवता, शांति और न्याय की सेवा की ओर उन्मुख होना चाहिए इसलिये इसे विभाजन या विनाश का वाहक बनने से रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की नितान्त आवश्यकता है।