पोप : हम आवाजहीनों की आवाज बनें

पोप लियो ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह की धर्मशिक्षा माला में उन लोगों की आवाज बनने का आहृवान किया जिनकी आवाज नहीं है।

पोप लियो 14वें ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों सुप्रभात और स्वागतम्।

इस जयंती वर्ष की विषयवस्तु आशा के संदर्भ में हम पुनर्जीवित येसु के संग अपने संबंध और समकालीन दुनिया में, अपनी को आने वाली चुनौतियों के बारे में चिंतन कर रहे हैं। कभी-कभी, जीवित येसु हमें भी यह पूछना चाहते हैं, “तुम क्यों रोते होॽ” तुम किसे खोजते होॽ वास्तव में, चुनौतियों का सामना हम अकेले में नहीं कर सकते हैं और आंसू हमारे लिए एक उपहार की भांति है जो हमारी आँखों को शुद्ध और हमारी निगाहों को स्वतंत्र करते हैं।

पोप लियो ने कहा कि सुसमाचार लेखक संत योहन हमारा ध्यान एक व्याख्या की ओर कराते हैं जिसे हम अन्य दूसरे सुसमाचारों में नहीं पाते हैं- खाली कब्र के निकट रोती हुई, मरियम मगदलेना ने पुनर्जीवित येसु को नहीं पहचाना, वह उसे माली समझती है। वास्तव में, पुण्य शुक्रवार को, सूर्यास्त के समय येसु के दफन की चर्चा हमारे लिए स्पष्ट है, “जहाँ ईसा क्रूस पर चढ़ाये गये थे, वहाँ एक बारी थी और उस बारी में एक नयी कब्र, जिसमें अब तक कोई नहीं रखा गया था। उन्होंने ईसा को वहीं रख दिया, क्योंकि वह यहूदियों के लिए तैयारी का दिन था, और वह कब्र निकट ही थी।”

मानव का वास्तविक कार्य
इस भांति, विश्राम दिवस की शांति और एक वाटिका की सुन्दरता में, अंधेरे और ज्योति के मध्य संघर्ष जिसकी शुरूआत धोखा, गिरफ्तारी, परित्याग, दोषारोपण, अपमान और ईश पुत्र के मारे जाने में हुई, अपनी चरम में पहुंचती है, जहाँ उन्होंने दुनिया में रहने वाले अपनों को मरते दम तक प्रेम किया। वाटिका की देखरेख और उसमें खेती-बारी करना जो वास्ताविक कार्य है, येसु उस कार्य को परिपूर्णतः प्रदान करते हैं। क्रूस पर उनका अंतिम वाक्य, “सबकुछ पूरा हो चुका है”- हम सभों को उसी कार्य को पुनः करने का निमंत्रण देता है, जो हमारे लिए उनका कार्य है। यही कारण है कि वे अपने सिर झुकाते और मर जाते हैं।

ख्रीस्त वाटिका के रक्षक
प्रिय भाइयो एवं बहनों, पोप लियो ने कहा कि मरियम मगदलेना इस तरह अपने में पूरी तरह गलत नहीं थी, वह इस बात पर विश्वास करती है उनकी भेंट माली से हुई। वास्तव में, वह अपने नाम को पुनः सुनती और नवीनता प्राप्त किये गये व्यक्ति द्वारा अपने कार्यों के बारे में जानती है, जैसे कि सुसमाचार लेखक योहन दूसरी जगह कहते हैं, “देखो, मैं सारी चीजों को नया बना देता हूँ।”(प्रका, 21.5)। संत पापा फ्रांसिस अपने विश्व पत्र “लौदातो सी” में हमें चिंतन रूपी दृष्टिकोण की अति आवश्यकता को दिखलाते हैं- यदि वे वाटिका की रक्षा नहीं करते तो मानव उसका विनाशक होता। इसलिए ख्रीस्तीय आशा उन चुनौतियों का जवाब देती है, जिनका सामना आज पूरी मानवता को करना पड़ रहा है, क्रूसित व्यक्ति को उस वाटिका में एक बीज के रुप में दफनाया गया था, ताकि वह फिर से जी उठे और बहुत सारे फल ला सके।

येसु,पारिस्थितिकी आध्यात्मिकता के क्रेन्द-बिन्दु
हम स्वर्ग को नहीं खोते बल्कि उसे पुनः प्राप्त करते हैं। इस भांति, येसु की मृत्यु और पुनरूत्थान सम्पूर्ण पारिस्थितिकी रुपी एक आध्यात्मिकता की आधारभूत शिला है, जिसके बाहर हम विश्वास और विज्ञान के शब्दों की सत्यता को हृदय के बाहर पाते हैं। “पारिस्थितिक संस्कृति को प्रदूषण, पर्यावरणीय क्षय और प्राकृतिक संसाधनों की कमी जैसी तात्कालिक समस्याओं के लिए तत्काल और आंशिक प्रतिक्रियाओं की एक श्रृंखला तक सीमित नहीं किया जा सकता है। हमें उन चीजों को एक विशिष्ट रूप में सोचने, निधि-निर्धारण, शौक्षणिक कार्यक्रम, एक जीवनशैली और एक आध्यात्मिक स्वरुप में देखने की जरुरत है जो एक साथ मिलकर रोकथाम उत्पन्न करते हैं।”