पोप ने स्कूल के मिशनरियों से कहा: ‘संवाद और आध्यात्मिक आनंद बोयें'

पोप फ्राँसिस ने सिएना की संत काथरीन की स्कूल मिशनरियों को संबोधित करते हुए, दोमिनिकन धर्मबहनों को पवित्रता, तैयारी और मिलनसारिता में खुलेपन के साथ अपने मिशन को जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया।

पोप फ्राँसिस ने शनिवार 4 जनवरी को वाटिकन के संत क्लेमेंटीन सभागार में सिएना की संत काथरीन की स्कूल मिशनरियों के संघ के 15वें सामान्य महासभा के प्रतिभागियों से मुलाकात की।

पोप ने सिएना की संत काथरीन की स्कूल मिशनरियों के संघ के 15वें सामान्य महासभा के प्रतिभागियों को उनके संघ की स्थापना की शताब्दी के अवसर पर उनसे मिलने की खुशी को जाहिर किया। संत पापा ने महासभा के लिए चुने गये विषय “कलीसिया के साथ मार्ग पर संघ के भविष्य को समझने के लिए वर्तमान को समझना” को उनकी संस्थापिका ईशसेविका लुइजा टिंकानी द्वारा दी गई विरासत के अनुरूप कहा। पोप ने कहा कि उनकी संस्थापिका ने तीन दृष्टिकोण प्रस्तावित किए, जिन्हें पोप जॉन पॉल द्वितीय ने संक्षेप में इस प्रकार प्रस्तुत किया: "अपने स्वयं के पवित्रीकरण के लिए निरंतर प्रतिबद्धता, गहरा ईशशास्त्रीय और व्यवसायिक तैयारी और एक ऐसी जीवन शैली जो सभी के प्रति, विशेष रूप से युवा लोगों के प्रति मिलनसार और प्रेमपूर्ण हो।" पोप ने कहा कि उन्हें "दयालु और प्रेमपूर्ण जीवनशैली" पसंद है। वे अपने जीवन में कुछ ऐसी धर्मबहनों से मिले हैं जिसका चेहरा "सिरका" जैसा था और सिरका चेहरे को बदसूरत बना देता है यह मिलनसार नहीं है, यह लोगों को आकर्षित नहीं करती है।

इसके बाद पोप ने उनके साथ तीन शब्दों पर अपने विचार साझा किया : पवित्रता, तैयारी और मिलनसारिता।

पवित्रता के लिए सामान्य बुलाहट
पोप ने कहा कि पवित्रता एक चुनौतीपूर्ण शब्द है, जो डरावना हो सकता है, इस हद तक कि हम अक्सर इसे खुद पर लागू करने के लिए संघर्ष करते हैं। फिर भी यह वह बुलाहट है जो हम सभी को एकजुट करता है और हमारे जीवन का आवश्यक उद्देश्य है। लेकिन पवित्रता एक आनंददायक चीज़ है, पवित्रता आकर्षित करती है, पवित्रता आध्यात्मिक आनंद है। यह सच है कि पवित्रता पाना आसान नहीं है, लेकिन ईश्वर की कृपा से हम यह कर सकते हैं। यह मिशन आज कितना महत्वपूर्ण है, खासकर युवाओं के लिए! आप, समर्पित व्यक्तियों के रूप में, सर्वप्रथम ईसा मसीह के अनुयायी बनकर, धर्मसमाजी जीवन में प्रतिदिन प्रार्थना, ईश्वर के वचन को सुनने एवं मनन ध्यान करके पवित्रता को प्राप्त कर सकते हैं।

ज़हर घोलने वाले गपशप से दूर रहें
पोप ने कहा कि पवित्रता को हासिल करने का एक बहुत बड़ा दुश्मन है, ‘गपशप’। कृपया, गपशप से सावधान रहें। गपशप जानलेवा होती है, गपशप जहर देती है। कृपया, आपके बीच कोई गपशप नहीं होनी चाहिए।

हमारे समाजों की "अच्छाइयों" को जानना
पोप ने कहा कि दूसरा दृष्टिकोण ‘तैयारी’ है और इसे हम आधुनिक शब्द में "व्यावसायिकता" कह सकते हैं, हालांकि कार्यात्मक दक्षता के कम करने वाले अर्थ में नहीं, बल्कि समर्पण के सुसमाचारी अर्थ में, अपने ज्ञान और क्षमताओं के अध्ययन और निरंतर गहनता में, व्यक्तिगत तुलना और सीखी गई सच्चाइयों के बारे में भाईचारे के साथ साझा करने में, शिक्षण और संचार विधियों के अद्यतन में, अपने स्वयं के "आज की सामाजिक गतिशीलता में जो कुछ भी अच्छा है" उसे बनाने में, सबके प्रति खुलेपन और संवाद के साथ।

पोप ने कहा कि प्रभु ने हमें दिखाया कि वह हर किसी से बात करते थे, सिवाय... एक व्यक्ति था जिसके साथ प्रभु ने कभी बात नहीं की: शैतान। और जब शैतान उन प्रश्नों को पूछने के लिए उसके पास आया, तो प्रभु ने उससे कोई बातचीत नहीं की। उसने उसे ईश्वर के वचन, धर्मग्रंथ से उत्तर दिया। संत पापा ने कहा कि वे भी शैतान को छोड़कर सभी से बात करें। शैतान समुदाय में आता है, एक दूसरे से ईर्ष्या कराता है। शैतान के साथ कोई संवाद नहीं करें।

मिलनसारिता के संदेशवाहक
पोप ने कहा कि वे मिलनसारिता के संदेशवाहक बनें, यह आत्मा का उपहार है और इस आनंद का, हर मुलाकात को दूसरे के लिए उसकी पवित्र विशिष्टता में कृतज्ञता के साथ जीयें।

अंत में पोप ने वहाँ उपस्थित धर्मबहनों की ओर दृष्टि दौड़ाते हुए कहा कि युवा धर्मबहनों की कमी है... दुनिया में आपके पास कितने नौसिखिए हैं? [वे जवाब देती हैं: “लगभग दस”] यह पर्याप्त नहीं है। बुलाहटीय प्रेरिताई की तलाश करें! अपने काम को खुलेपन और साहस के साथ जारी रखें, जहाँ आवश्यक हो, अपने आप को नवीनीकृत करने के लिए तैयार रहें, जीवन की पवित्रता, तैयारी और मिलनसारिता के साथ।