कोप29 : जलवायु परिवर्तन ग्रह के महत्वपूर्ण जल चक्र को प्रभावित कर रहा है

कोप29 के पहले वाटिकन न्यूज ने यूनेस्को के जल विशेषज्ञ बॉन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मरियेले एवर्स से बात की, जिसमें उन्होंने बताया कि किस प्रकार जलवायु परिवर्तन ग्रह पर जल के स्वरूप को बदल रहा है, जिसके परिणामस्वरूप अधिक बार और गंभीर बाढ़ या सूखा पड़ रहा है, जिससे लाखों लोगों की आजीविका प्रभावित हो रही है।

जलवायु पर संयुक्त राष्ट्र का 29वाँ वार्षिक सम्मेलन (कोप 29) सोमवार को अजरबैजान की राजधानी बाकू में शुरू हुआ। 11 से 22 नवंबर तक, लगभग 200 देशों के प्रतिनिधि 2015 में पेरिस समझौते द्वारा निर्धारित दीर्घकालिक वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने और भविष्य के जलवायु परिवर्तन के लिए तैयारी करने के तरीकों पर चर्चा कर रहे हैं। वार्ता का मुख्य केंद्रबिन्दु जलवायु वित्त पर होगा, जो वैश्विक जलवायु कार्रवाई की आधारशिला है।

जलवायु परिवर्तन के सबसे स्पष्ट प्रभावों में से एक दुनियाभर में जल के पैटर्न में नाटकीय बदलाव है। जैसे-जैसे वैश्विक तापमान बढ़ रहा है, ग्लेशियर, पर्माफ्रॉस्ट और बर्फ के पहाड़ क्रेयोस्फीयर तेजी से कमजोर होते जा रहे हैं। पानी की आपूर्ति अधिक परिवर्तनशील है और बाढ़ एवं प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ गया है, जो इस साल के असंतुलित मौसम (अत्याधिक गर्मी, ठंढ, वर्षा, हिमपात आदि) की घटनाओं से पता चलता है, जिसने दो सप्ताह पहले वालेंसिया सहित दुनिया के कई हिस्सों को प्रभावित किया है।

जल के बिना जीवन नहीं
यह महत्वपूर्ण मुद्दा कोप29 से पहले वाटिकन में जर्मन दूतावास द्वारा रोम में आयोजित “जल के बिना जीवन नहीं” शीर्षक वाले अंतर्राष्ट्रीय वार्तालाप का केंद्रबिंदु था।

वाटिकन न्यूज ने कोप 29 के एक प्रतिभागी प्रोफेसर मरियेले एवर्स से बात की जो मानव-जल-प्रणाली में यूनेस्को चेयर के अध्यक्ष हैं, जो पारिस्थितिकी-जल विज्ञान और जल संसाधन प्रबंधन के विशेषज्ञ भी हैं।

एक साक्षात्कार में उन्होंने जलवायु संकट से निपटने के लिए साहसिक कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया, जिसके बारे में उन्होंने बताया कि यह भारत और चीन सहित दुनिया के विशाल और घनी आबादी वाले क्षेत्रों में सूखे और बाढ़ को बढ़ा रहा है, तथा कृषि पर निर्भर लाखों लोगों की आजीविका को प्रभावित कर रहा है।

प्रोफेसर एवर्स ने खनन और अन्य मानवीय गतिविधियों के कारण महत्वपूर्ण जल संसाधनों के अत्यधिक दोहन, कुप्रबंधन और प्रदूषण की समस्या का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जब तक इन समस्याओं का समाधान नहीं किया जाता, “अगली पीढ़ी के लिए पर्याप्त पानी नहीं होगा,” जिससे भूख, पलायन और अन्य समस्याएँ बढ़ेंगी।

पानी जलवायु परिवर्तन का एक संवाहक है, लेकिन इसे घटाता भी है
प्रोफ़ेसर एवर्स ने जलवायु न्यूनीकरण में जल के महत्व पर प्रकाश डाला: उन्होंने समझाया कि" पानी जलवायु परिवर्तन का एक संवाहक है, लेकिन यह वनों और आर्द्रभूमि जैसे स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्रों के लिए भी आवश्यक है जो बहुत अधिक कार्बन संग्रहीत कर सकते हैं। उन्होंने कहा, "हमें इस कार्यक्षमता को बनाए रखने के लिए स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्रों की आवश्यकता है ताकि वे कार्बन के सिंक के रूप में कार्य कर सकें और कार्बन उत्सर्जन का स्रोत न बनें।"