युद्ध, जलवायु परिवर्तन आदि ने रोका धारणीय विकास को

न्यूयॉर्क में राष्ट्रों के प्रतिनिधियों को सम्बोधित कर परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक ने कहा कि धारणीय विकास की दिशा में कई बाधाएँ आयीं जिनमें सशस्त्र संघर्ष, जलवायु परिवर्तन, आर्थिक कमजोरी और महामारी शामिल हैं।

न्यूयॉर्क में “2030 तक के पांच वर्ष – धारणीय विकास के लिए बहुपक्षीय समाधान” विषय पर आयोजित विचार विमर्श में राष्ट्रों के प्रतिनिधियों को सम्बोधित कर परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष गाब्रिएल काच्या ने कहा कि धारणीय विकास की दिशा में कई बाधाएँ आयीं।  सशस्त्र संघर्ष, जलवायु परिवर्तन, आर्थिक कमजोरी और महामारी जैसे कारकों के कारण बाधा उत्पन्न हुई है।

विकास सर्वव्यापी मानदण्ड
महाधर्माध्यक्ष काच्या ने कहा कि जिस संदर्भ में राज्यों ने 2030 एजेंडा को अपनाया है, उसमें महत्वपूर्ण परिवर्तन आया है। तथापि, उन्होंने कहा कि इन महत्वपूर्ण कदमों के बावजूद सशस्त्र संघर्ष, जलवायु परिवर्तन, आर्थिक कमजोरी और महामारी जैसे कारकों के कारण बाधा उत्पन्न हुई है।

राष्ट्रों के प्रतिनिधियों से उन्होंने कहा कि इस संबंध में, मेरा प्रतिनिधिमंडल इस बात पर ज़ोर देता है कि धारणीय अथवा सतत विकास तभी प्रामाणिक माना जा सकता है जब यह समग्र विकास को बढ़ावा दे, अर्थात प्रत्येक व्यक्ति और संपूर्ण व्यक्ति का विकास हो सके। परिणामस्वरूप, विकास को केवल आर्थिक दृष्टि से नहीं समझा जा सकता;  सभी लोगों के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विकास को भी बढ़ावा देना भी इसमें ज़रूरी रूप से शामिल होना चाहिये। अस्तु, समग्र विकास वह सर्वव्यापी मानदंड है जिसके आधार पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामूहिक प्रयासों को मापा जाना चाहिए।

ग़रीबी उन्मूल्न अनिवार्य
उन्होंने कहा कि यह दृष्टिकोण गरीबी के सभी रूपों और आयामों को मिटाने की अनिवार्यता पर ज़ोर देता है, जिसे सबसे बड़ी वैश्विक चुनौती और धारणीय विकास के लिए एक अनिवार्य आवश्यकता माना गया है।

इसके अलावा, उन्होंने कहा, गरीबी उन्मूलन एक नैतिक अनिवार्यता भी है। गरीबी, अपने विभिन्न रूपों में, प्रत्येक मानव की ईश्वर प्रदत्त गरिमा पर एक महत्वपूर्ण अतिक्रमण का प्रतिनिधित्व करती है, जो व्यक्ति की क्षमता को बाधित करती है और सामुदायिक जीवन में पूर्ण भागीदारी से वंचित करती है,  इसलिए, जब विकास की बात की जाती है तब  गरीबी उन्मूलन एक गौण विचार नहीं हो सकता; इसे इसकी केंद्रीय और प्राथमिक प्राथमिकता बनी रहनी चाहिए।