पोप फ्राँसिस : आशा को शांति में बदलने का प्रयास करें

छठे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन "विश्व संतुलन के लिए" अपने संदेश में, पोप फ्राँसिस ने प्रतिभागियों को "साहस के साथ काम करने के लिए आमंत्रित किया ताकि आशा विश्व के लिए शांति में परिवर्तित हो सके।"

पोप फ्राँसिस ने कहा, "विश्व संतुलन के लिए" मंच की "खुली, बहुलवादी और बहु-विषयक होने की आकांक्षा" इसे "आज के पुरुषों और महिलाओं के दिलों को छूनेवाले कारणों पर गौर करने" की क्षमता देती है।

28 से 31 जनवरी तक क्यूबा के हवाना में आयोजित सम्मेलन के प्रतिभागियों को प्रेषित संदेश में संत पापा ने जयंती वर्ष की विषयवस्तु "आशा" पर ध्यान केंद्रित किया है, जो ख्रीस्तीयों को "येसु मसीह के प्रति विश्वास और प्रेम प्रदान करती है" तथा उन्हें उन संघर्षों में भाग लेने के लिए तैयार होने की अनुमति देती है जो प्रत्येक व्यक्ति और समाज के जीवन के हिस्से हैं।

आशा को शांति में बदलने के लिए काम करना
जयंती वर्ष की अपनी घोषणा को याद करते हुए, पोप ने "समय के संकेतों" में आशा के संकेतों की ओर इशारा किया, तथा प्रतिभागियों को दुनिया में अच्छाई को पहचानने के लिए आमंत्रित किया, ताकि वे "खुद को बुराई और हिंसा से पराजित मानने" के दबाव में न आएँ।

उन्होंने कहा कि यह धारणा हमें हिंसा के तर्क को छोड़ने के लिए आमंत्रित करता है और हमें वार्ता तथा संवाद और लोकतंत्र के लिए काम करने हेतु प्रतिबद्ध करता है “ताकि साहस और रचनात्मकता के साथ स्थायी शांति के लिए जगह बनाया जा सके।”

भविष्य को आशा के साथ देखना
पोप ने स्पष्ट किया कि इसके लिए जीवन में कठिनाइयों का सामना कर रहे सभी लोगों को "भविष्य की ओर आशा के साथ देखने" में मदद करना आवश्यक है, जिसमें बदले में उन "पहलों और रास्तों" का समर्थन करना है जो गरीबों और बहिष्कृत लोगों को "खुद पर और समाज में" आत्मविश्वास हासिल करने में मदद कर सकते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा, "गरीब और बीमार, युवा और बुजुर्ग, प्रवासी और विस्थापित लोग, यहाँ तक कि अपनी स्वतंत्रता से वंचित लोगों को हमारे चिंतन के केंद्र में होना चाहिए, ताकि कोई भी बहिष्कृत न हो और सभी की मानवीय गरिमा का सम्मान किया जाए।"

पोप ने कहा कि ख्रीस्त की चेतावनी, “जो तुमने मेरे इन छोटे से छोटे भाइयों के लिए किया वह तुमने मेरे लिए किया,” ख्रीस्तीयों को निमंत्रण देता है कि हम ईश्वर की छवि को हर पुरूष और स्त्री में पहचानें, जो मानव परिवार में भाई और बहन एवं ईश्वर की संतान कहलाते हैं।   

आमहित के लिए सहयोग
जो लोग ईसा मसीह में विश्वास नहीं करते, उनके लिए भी पोप ने कहा, "यह अभिवाचन अपनी पूरी ताकत बनाए रखता है, क्योंकि हम सभी को भाईचारे के साथ रहने के लिए बुलाया गया है, और हम जो कुछ भी दूसरों के लिए करते हैं, उसका व्यक्तिगत और सामाजिक रूप से हम पर प्रभाव पड़ता है।"

अंत में, संत पापा ने कहा, "आइये, हम प्रेम से यह सबक सीखें, ऐसी आशा का निर्माण करें जो यह प्रयास करे कि सभी को वह मिले जो आवश्यक है, लोगों को गरीबों के साथ बांटना तथा उनका उदारतापूर्वक स्वागत करने के लिए अपने आपको खोलना सिखायें, ताकि हम सीख सकें कि हम जो हैं और जो हमारे पास है, उसे आम भलाई के लिए कैसे बांटा जाए।"