पोप फ्राँसिस : ईश्वर की क्षमाशीलता को कलीसिया के केंद्र में रखें
पोप फ्राँसिस ने "प्रभु के लिए 24 घंटे" पहल शुरू करने हेतु रोम के संत पीयुस पाँचवें पल्ली में एक प्रायश्चित की धर्मविधि की अध्यक्षता की, और कहा कि पुनर्मिलन संस्कार हमें नए जीवन के पथ पर वापस लाता है जो बपतिस्मा से शुरू हुई है।
पुनर्मिलन या पापस्वीकार संस्कार, ईश्वर की क्षमाशीलता का संस्कार है, हमें नये जीवन की यात्रा फिर शुरू करने में मदद करता है। उक्त बात संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार को प्रायश्चित की धर्मविधि के दौरान कही।
धर्मविधि, जिसका उद्घाटन 8 मार्च को पोप फ्राँसिस ने संत पीयुस पाँचवें पल्ली किया, "प्रभु के लिए 24 घंटे" वार्षिक पहल की शुरुआत है, जिसको पोप फ्राँसिस ने एक चालीसा काल की पहल के रूप में स्थापित किया है। इसका उद्देश्य है प्रार्थना एवं पापस्वीकार संस्कार के लिए गिरजाघरों को 24 घंटे खुला रखना।
शुक्रवार की इस प्रायश्चित धर्मविधि के दौरान अपने चिंतन में संत पापा ने पहल के लिए इस वर्ष की विषयवस्तु पर प्रकाश डाला, “नये जीवन में आगे बढ़ना”।
पोप ने कहा, हमारे दैनिक जीवन की यात्रा में, हम अक्सर ख्रीस्त में अपने नए जीवन की सुंदरता को खो देते हैं, जिसके परिणाम ईश्वर और दूसरों के साथ हमारे संबंधों पर हानिकारक होते हैं।
उन्होंने कहा, "हम अपने रास्ते पर बने रहें, इसके लिए हमें अपने बपतिस्मा के रास्ते, अपनी मूल सुंदरता, आगे बढ़ने की भावना को फिर से खोजने में मदद करने के लिए एक नए साइनपोस्ट, गति में बदलाव, दिशा की जरूरत है।"
पोप ने कहा, “भाइयो एवं बहनो, नए जीवन की राह पर फिर चलना शुरू करने का तरीका क्या है? यह ईश्वर की क्षमा का मार्ग है।" ईश्वर की क्षमा "हमें फिर से एक साथ लाती है... हमें भीतर से शुद्ध करती, हमें हमारे बपतिस्मा संबंधी पुनर्जन्म की स्थिति में वापस लाती है।"
लेकिन, पोप ने कहा, हमारे लिए खुला और पश्चातापी हृदय आवश्यक है - जैसे उस कोढ़ी ने येसु को पुकारा, "यदि आप चाहें, तो मुझे शुद्ध कर सकते हैं" - हमारे स्वयं के प्रयास पर्याप्त नहीं हैं। “केवल ईश्वर ही जानते हैं और हृदय को ठीक कर सकते हैं; केवल वही इसे बुराई से बचा सकते हैं।”
पोप फ्राँसिस ने इस बात पर जोर दिया कि येसु हमारे लिए यही चाहते हैं, ताकि हम नवीनीकृत, स्वतंत्र, खुश और अपने नए जीवन के पथ पर आगे बढ़ने में सक्षम हो सकें।
पोप ने कहा, “आइए हम उन्हें दुखी न करें; उनकी क्षमाशीलता के साथ हमारी मुलाकात को न छोड़ें, क्योंकि केवल जब वे हमें हमारे पैरों पर खड़ा करेंगे तभी हम रास्ते पर वापस आ सकते हैं और अपने पापों की पराजय देख सकते हैं, जो हमेशा के लिए नष्ट हो गए हैं।'' "आइए हम ईश्वर की क्षमा, मेल-मिलाप के संस्कार को न छोड़ें," जो केवल एक भक्तिपूर्ण अभ्यास नहीं है, बल्कि "ख्रीस्तीय जीवन की नींव है।"
पोप ने पापमोचक पुरोहितों को सम्बोधित कर कहा कि वे “ईश्वर की क्षमाशीलता को कलीसिया के केंद्र में रखें।”
उन्होंने पुरोहितों का आह्वान किया कि वे क्षमा मांगनेवालों को हमेशा क्षमा प्रदान करें और उन लोगों की मदद करें जो अपने पापों को स्वीकार करने से डरते हैं, “ताकि वे चंगाई एवं खुशी के संस्कार तक साहस के साथ पहुँच सकें।”
अंत में, पोप ने विश्वासियों को याद दिलाया कि येसु हमारे सभी पोपों को शुद्ध कर सकते हैं, और उन्होंने उन्हें प्रार्थना के साथ पुनर्मिलन संस्कार में आने के लिए आमंत्रित किया, "येसु, मुझे विश्वास है कि आप शुद्ध कर सकते हैं। मेरा मानता है कि मुझे आपकी क्षमा की आवश्यकता है। मुझे नवीनीकृत करें, और मैं फिर से नया जीवन में आगे बढ़ूँगा।”