सभी धर्म मिलकर शांति सेतुओं की करें खोज, पोप फ्राँसिस
वाटिकन में गुरुवार को पोप फ्राँसिस ने अल्बानिया के सूफी मुसलमान बेक्ताशी दरवेश आदेश के प्रतिनिधिमंडल के साथ मुलाकात कर लोगों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के निर्माण में अंतरधार्मिक संवाद की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
अल्बानिया के सूफी मुसलमान नेताओं के समक्ष पोप ने इस तथ्य की पुनरावृत्ति की कि संघर्ष और विभाजन से ग्रस्त विश्व में अंतरधार्मिक संवाद और सहयोग की पहले से कहीं अधिक आज आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, "जब भी धार्मिक नेता आपसी सम्मान की भावना में एकत्र होते हैं और संवाद, आपसी समझ एवं सहयोग के माध्यम से मुलाकात की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं, तो एक बेहतर एवं अधिक न्यायपूर्ण विश्व के लिए हमारी आशा नवीनीकृत और पुष्ट होती है।"
अल्बानिया, कोसोवो, मेसेडोनिया और मोंटेनेग्रो में निवास करनेवाली अल्बानियाई आबादी सूफी मुसलमान बेक्ताशी दरवेश सम्प्रदाय की अनुयायी है। बेक्ताशी एक प्रसिद्ध मुस्लिम सूफी संप्रदाय है, जिसका उदय 13वीं शताब्दी में तुर्की में हुआ था और जो सम्पूर्ण ऑटोमन साम्राज्य में फैल गया। बेक्ताशी दरवेश सम्प्रदाय प्रेम, सहिष्णुता और आध्यात्मिक ज्ञान पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए प्रसिद्ध है तथा वाटिकन स्थित अंतरधार्मिक वार्ता हेतु गठित परिषद के माध्यम से काथलिक कलीसिया और परमधर्मपीठ के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रखता है।
हिंसा और कलह के तर्क के विरुद्ध
सन्त पापा फ्रांसिस ने काथलिक कलीसिया तथा बेक्ताशी दरवेश सम्प्रदाय के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों को एक “आशीर्वाद” बताया और विश्वास व्यक्त किया कि ये “लोगों के बीच भाईचारे और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व” को बढ़ावा देते हुए और अधिक मजबूत होंगे।
परम पूज्य हक्सी बाबा एडमंड ब्राहिमाज के नेतृत्व में आए प्रतिनिधिमंडल को संबोधित करते हुए पोप फ्राँसिस ने कहा, "हिंसा और मतभेद के तर्क" से त्रस्त इस दुनिया में, धार्मिक विश्वास हमें "आम भलाई की खोज में मुलाकात, मैत्री और सहयोग के मौलिक मूल्यों को अधिक स्पष्ट रूप से अपनाने" में मदद कर सकते हैं, जो, हमारी साझा मानवता के लिए अनिवार्य हैं।"
पोप फ्रांसिस ने बेक्ताशी समुदाय और काथलिक कलीसिया के बीच भाईचारे के कई अवसरों को कृतज्ञता के साथ याद किया, जिसमें 1993 में पूर्व यूगोस्लाविया में युद्ध के दौरान बाल्कन में शांति के लिए प्रार्थना और असीसी में शांति के लिए 2011 का विश्व प्रार्थना दिवस शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि, अल्बानिया में अन्य मुसलमानों, ईसाइयों और अन्य सभी विश्वासियों के साथ, यह न केवल उनके देश में बल्कि पूर्व और पश्चिम के बीच भी "पुनर्मिलन और आपसी समृद्धि के सेतु के रूप में काम कर सकता है"।
पोप ने कहा, वर्तमान चुनौतियों के बावजूद, अंतरधार्मिक संवाद की “पुनर्मिलन, न्याय और शांति निर्माण में एक अद्वितीय भूमिका है, जिसकी कामना विश्व के लोग और विशेष रूप से युवा लोग बहुत उत्सुकता से करते हैं।”