फरवरी माह में पोप की प्रार्थना लाइलाज रोगियों के लिए
पोप फ्राँसिस ने फरवरी माह की प्रार्थना की प्रेरिताई हेतु विश्वासियों का आह्वान किया है कि हम लाइलाज रोगियों के लिए प्रार्थना करें। उन्होंने इलाज संभव नहीं होने पर भी उनकी देखभाल करते रहने का प्रोत्साहन दिया है।
जब लोग असाध्य रोग के बारे बात करते हैं, वे अक्सर दो शब्दों से भ्रमित होते हैं:
लाइलाज और असाध्य। लेकिन वे एक जैसे नहीं हैं।
जब इलाज की बहुत कम संभावना मौजूद हो, तब भी प्रत्येक बीमार व्यक्ति को मनोवैज्ञानिक सहायता, आध्यात्मिक सहायता और डॉक्टर की सहायता पाने का अधिकार है।
कभी-कभी वे बात नहीं कर पाते; कभी-कभी हमें लगता है कि वे हमें नहीं पहचानते। लेकिन अगर हम उन्हें हाथ में लेते हैं, तो हम जान सकते हैं कि वे हमसे जुड़े हुए हैं।
इलाज हमेशा संभव नहीं है लेकिन हम बीमार व्यक्ति की देखभाल हमेशा कर सकते हैं, उन्हें दुलार सकते हैं।
पोप जॉन पॉल द्वितीय कहा करते थे, “यदि संभव हो तो इलाज करें; पर देखभाल हमेशा करें।"
और यहीं पर उपशामक देखभाल आती है। यह रोगी को न केवल चिकित्सा देखभाल की गारंटी देती है, बल्कि मानवीय सहायता और निकटता की भी गारंटी देती है।
परिवारों को ऐसे कठिन समय में अकेले नहीं छोड़ा जाना चाहिए।
यह भूमिका निर्णायक है। उन्हें उचित शारीरिक, आध्यात्मिक और सामाजिक सहायता प्रदान करने के लिए पर्याप्त साधनों तक पहुंच की आवश्यकता है।
आइए, हम प्रार्थना करें कि असाध्य रूप से बीमार लोगों और उनके परिवारों को हमेशा आवश्यक चिकित्सा और मानवीय देखभाल एवं सहायता मिले।