पोप : हम आशा में बने रहें
पोप फ्रांसिस ने वेरोना की अपनी प्रेरितिक यात्रा के दौरान बेरोना के कैदियों और कैदखाने में कार्यरत सभी लोगों से भेंट की।
पोप ने जेल के अधिकारियों, कार्यकर्ताओं सुरक्षा कर्मियों और स्वंयसेवी सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि कैदखाने में प्रवेश करना मेरे लिए सदैव एक विशेष क्षण होता है क्योंकि यह मानवता के लिए एक बहुत बड़ा स्थल है। यहाँ हम मानवता की परीक्षा को पाते हैं जो मुश्किलों में, ग्लानि की भावना, दण्डों, नसमझी और दु-खों में घिरा पाते हैं लेकिन इसके साथ ही यह हमारे लिए शक्ति भरा क्षण होता है, जहाँ हम क्षमा की चाह और मुक्ति की आशा को पाते हैं।
इस मानवता में हम सभों के लिए, हम ईश्वर के चेहरे को उपस्थित पाते हैं, जो ईश्वर की करूणा और क्षमाशीलता के प्रतिरुप हैं।
पोप ने कहा कि हम कैदखानों की स्थिति से वाकिफ हैं वे कैसे भीड़-भाड़ वाले स्थल होते हैं जो तनाव और थकान उत्पन्न करते हैं। यही कारण है कि मैं आप से यह कहना चाहता हूँ कि मैं आप के निकट हूँ, और मैं इस बात को दुहराता हूँ कि विशेष कर वे जो इस क्षेत्र में कार्य कर सकते हैं, यहाँ के जीवन को सुधारने हेतु निरंतर प्रयास करें।
पोप ने कहा कि आप के संस्थान के समाचारों को सुनते हुए मुझे दुःख हुआ कि दुर्भाग्यवश इस समय कुछ लोगों ने जीवन की परित्याग कर दिया। यह अपने में एक बड़े दुःख की बात है जो विषाद औऱ निराशा में भरे दुःख के कारण होता है। अतः आपके परिवार के सदस्यों संग प्रार्थना करते हुए मैं आप से आग्रह करता हूँ कि आप निराश न हों। जीवन सदैव जीने लायक है, जहाँ हम हमेशा आशा को पाते हैं यद्यपि सारी चीजों खत्म होने जैसी क्यों न लगती हों। जीवन हममें से हर किसी के लिए महत्वपूर्ण है, विशेषकर ईश्वर के लिए जो हमें कभी नहीं छोडते हैं, जो हमारी बातों को सुनना जानते और हमारी हँसी और आंसू में सहभागी होते हैं। उनके संग हमारा चलना हमें निराशा पर विजय होने को मदद करता है, और जीवन को नये सिरे से शुरू करने को प्रेरित करता है। अतः अपने जीवन के सबसे बुरे क्षणों में भी, हम अपने को बंद न करें, लेकिन हम ईश्वर से अपने दुःखों के बारे में बातें करें, और एक दूसरे के संग, अपने मित्रों और अच्छे लोगों के संग जो हमारे अगल-बगल रहते हैं आगे बढ़ें। मदद मांगना हमारी कमजोरी नहीं है, हम इसे नम्रता और विश्वास के साथ करें। हमें एक दूसरे की जरुरत है और हम आशा में बने रहने का अधिकार है चाहे हमारा इतिहास और हमारी गलती या असफलता कुछ भी क्यों न हो।
कुछ महीने बाद पवित्र साल की शुरूआत होगी, यह एक परिवर्तन का साल, नवीनता और सारी कलीसिया के लिए मुक्ति का साल होगा, एक करूणा का वर्ष जहाँ हम अपने अतीत जीवन के भार को अलग रखते हुए नये उत्साह से भविष्य की ओर देखेंगे, जहाँ जरूरी है वहाँ अपने में परिवर्तन लाते हुए हम बेहतर रुप में नये जीवन की शुरूआत करेंगे। यह हमारे लिए साहयता की निशानी हो जिससे हम उठ सकें और अपने जीवन को हर दिन नये विश्वास में जी सकें।
पोप फ्रांसिस ने इस भेंट के लिए सभों के प्रति कृतज्ञता के भाव प्रकट करते हुए कहा कि हम एक साथ चलना जारी रखें, क्योंकि प्रेम सारी दूरियों के बावजूद हमें एक साथ जोडता है। उन्होंने कहा, “मैं आप को अपनी प्रार्थना में याद करूंगा, मेरे लिए भी प्रार्थना कीजियेगा।”