पोप : दुनिया की प्यास, आत्मा की शांति
पोप फ्रांसिस ने वेरोना की अपनी एकदिवसीय प्रेरितिक यात्रा के दौरान वेनतेगोदी के स्टेडियम में यूख्रारिस्तीय बलिदान अर्पित किया।
पोप ने कहा कि प्रभु वचन का जिसका श्रवण हमने किया है हमारे इस दिन को आलोकित करता है। यह हमें न्याय और शांति पर गहराई से चिंतन करने को अग्रसर करता है।
हम पेन्तेकोस्त का समारोह मनाते हैं, हम इसकी पूर्व संध्या में हैं जो हमें प्रतीक्षा और प्रार्थना के पूरे दिन में बनाये रखता है। यह धर्मग्रंथ के कुछ एक शब्दों में हमारे लिए व्यक्त होता है जिसे हमने सुना जिसकी चर्चा नबी योएल “सपनों”, “दर्शनों” के रूप में करते हैं। वहीं संत पौलुस इसे “आशा” और “प्रतीक्षा” कहते जबकि सुसमाचार इसे “प्यास” की संज्ञा देता है। ये सारी चीजों हमें पवित्र आत्मा की ओर इंगित करते हैं जो पेन्तेकोस्त और कलीसिया के नायक हैं, जिसे हम अभी इस धर्मविधि में भी पाते हैं।
पोप ने नबी योएल पर चिंतन करते हुए कहा कि आपने मुझे युवाओं और बुजुर्गों के बीच फलदायक संबंध पर कई बार बातें करते सुना है। बुजुर्ग सपने देखते युवा अपने दादा-दादियों के सपनों को अपने नये जोश और सृजनात्मक शक्तियों में आगे ले चलते हैं। लेकिन पेन्तेकोस्त की पूर्व संध्या में हमें पूरे जोश में इस भविष्यवाणी को अपने हृदय में स्वागत करते हुए अपने को नवीन बनाने की जरुरत है। ईश्वर प्रतिज्ञा करते हैं कि वे सब शरीरधारियों पर अपना आत्मा उतारेंगे।(3.1) यह कितनी आश्चर्य की बात है। यह एक वैश्विक प्रतिज्ञा है जिसमें हम कोई एक विशेष व्यक्ति या लोगों का चुनाव नहीं पाते हैं। वास्तव में, ईश्वर कहते हैं “उन दिनों में मैं दास-दासियों पर भी अपना आत्मा उतारूँगा।” हम वर्तमान की दासता के बारे में विचार कैसे न करेंॽ गुलामी एक सामाजिक स्थिति है जो अभी नहीं के बराबर पाई जाती है लेकिन कितने ही नर और नारियाँ हैं यहाँ तक की बच्चे भी जो आज भी अपने में गुलाम हैं। ईश्वर उनमें से किसी एक को नहीं भूलते बल्कि वे हम प्रत्येक जन को पवित्र आत्मा प्रदान करते हैं।
पोप ने कहा कि यह भविष्यवाणी हमें ईश्वरीय प्रजा की पवित्रता के बारे में विचार करने का आहृवान करती है जहाँ हरएक व्यक्ति ईश्वर के आत्मा के कारण बहुतायत में फल उत्पन्न करता है। हम जानते हैं कि कलीसिया पापी है और सदैव पवित्र किये जाने की आवश्यकता का अनुभव करती है, यद्यपि वह अपने हृदय से शुद्ध है। पवित्रता वैश्विक कलीसिया की एक पहचान है लेकिन यह एकरूपता नहीं है। यह बहुरूपी है क्योंकि हम पवित्र आत्मा में बपतिस्मा प्राप्त पवित्रता हेतु बुलाये गये हैं। हम अपने में अभूतपूर्व हैं और यह पवित्र आत्मा का चमत्कार है जो आनेकता में हमारे बीच एकता उत्पन्न करते हैं।
प्रिय बेरोनावासियों पोप ने कहा कि हम आपकी कलीसिया, संत जेनो की पवित्रता की प्रशंसा करते हैं। उनके चेहरे की प्रशंसा करते हैं जो आपके और आपके बेटे-बेटियों के चेहरे के संग इस भूमि पर चमकती है। इस ख्रीस्तीय प्रजा ने बहुत से संतों को हर पीढ़ी के लिए दिया है। फैसियो के शिल्पाकार, शहीद पिएत्रो, एंजेला मेरिसी, कोनोसा की मगदालेना, गैस्पारे बर्टोनी, दनियल कॉम्बोनी, मारिया दोमेनिका मंतोवानी, जोवान्नी कैलाब्रिया, और बहुत सारे धन्य जिनमें हम आद्रेंया दा पेसीकेरा, विंनचेन्सा मारिया पोलोनी, ज़ेफिरिनो एगोस्तीनी, जूसेप्पे बाल्डो, जूसेप्पे नाशिम्बेनी सहित कई अन्यों को पाते हैं। ये ईश्वर की जीवित निशानियाँ हैं जो हमें उनकी प्रतिज्ञा पूरी होने को व्यक्त करती है, कि ईश्वर ने हर पुरुष और महिला पर अपना आत्मा उंडेला है।
पोप फ्रांसिस ने कहा कि संत पौलुस रोमियों के नाम अपने पत्र में “सतर्कता” के मनोभाव की चर्चा करते हैं जो हमें इस बात की याद दिलाती है कि हम सभी “आशा” में बचाये गये हैं। सारी सृष्टि पवित्र आत्मा में “ईश्वर का प्रथम फल” है। यह इस भांति जीवनयापन करती है मानो वह प्रसव वेदना से कराह रही हो, मानो हम येसु ख्रीस्त में मिली मुक्ति के आने की राह देख रहे हों। हम यहाँ एक संघर्ष को देखते हैं जो मानवता और पूरी प्रकृति में निरंतर जारी है। एक विपत्ति जो पृथ्वी और इसमें निवास करने वालों विशेषकर अति निर्धनों और संवेदनशील लोगों को कष्ट में पुकारने हेतु बाध्य करती है।