पल्ली पुरोहितों से पोप : आपके समर्पण के बिना कलीसिया नहीं चल सकती
पोप फ्राँसिस ने पल्ली पुरोहितों को एक पत्र भेजा है जो इन दिनों “सिनॉड के लिए पल्ली पुरोहितों” के अंतरराष्ट्रीय सभा में भाग ले रहे हैं।
पुरोहितों को सम्बोधित अपने संदेश में उनके प्रति स्नेह प्रकट करते हुए पोप फ्राँसिस ने कहा कि कलीसिया उनके प्रेम, विश्वास, समर्पण और आपकी प्रेरितिक सेवा के बिना आगे नहीं बढ़ सकती।
उन्होंने कहा, "कलीसिया आपके समर्पण और आपकी प्रेरितिक सेवा के बिना नहीं चल सकती।"
दुनियाभर से पल्ली पुरोहित रोम के बाहर, साक्रोफ़ानो में, सुनने, प्रार्थना करने और आत्मपरख के लिए समर्पित पांच दिवसीय सभा में एकत्रित हैं। जिसमें "मिशन पर एक स्थानीय सिनॉडल कलीसिया कैसे बनें" सवाल का हल करने का प्रयास किया गया। इस अंतर्राष्ट्रीय सभा का समापन बृहस्पतिवार को पोप फ्राँसिस के साथ मुलाकात से हुई।
पल्ली पुरोहितों ने एक साथ चलने का अनुभव साझा किया
पोप ने दुनिया भर में सुसमाचार के बीज बोने के लिए पुरोहितों के प्रतिदिन के उदार कार्यों के लिए आभार और सराहना व्यक्त की।
उन्होंने इन पुरोहितों के सामने आनेवाली वास्तविकताओं की एक बड़ी विविधता को स्वीकार किया और कहा कि उनके अलग-अलग दृष्टिकोणों और अनुभवों को लाने से धर्मसभा की प्रक्रिया और अधिक समृद्ध होती है।
पुरोहित ईश प्रजा के जीवन को अंदर से जानते हैं
उन्होंने जोर देकर कहा कि पल्ली पुरोहित ईश प्रजा के जीवन के बारे में जानते हैं, जिसमें उनकी खुशियाँ, कठिनाइयाँ, संसाधन और ज़रूरतें भी शामिल हैं।
पोप ने जोर देकर कहा, "यही कारण है कि एक सिनॉडल कलीसिया को अपने पल्ली पुरोहितों की आवश्यकता है," उन्होंने कहा कि पुरोहितों के बिना, हम कभी भी एक साथ चलना और धर्मसभा के मार्ग पर आगे बढ़ना नहीं सीख पाएंगे।
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा "यदि पल्ली एक साथ नहीं चलती (सिनॉडल) और मिशनरी नहीं हैं, तो क्या कलीसिया रह सकती है?"
पोप ने प्रोत्साहित किया कि पुरोहितों को उन समुदायों के साथ जाने के लिए बुलाया जाता है जिनकी वे धर्मसभा प्रक्रिया में सेवा करते हैं, साथ ही, वे प्रार्थना, आत्मपरख और प्रेरितिक उत्साह के साथ खुद को समर्पित करते हैं।
प्रभु अपनी कृपा के बिना हमें कभी नहीं छोड़ेंगे
पोप ने कहा, “प्रभु आज हमसे अपनी आत्मा की आवाज सुनने और उस दिशा में आगे बढ़ने के लिए कहते हैं जो वे हमें बताते हैं। हम एक बात पर निश्चिंत हो सकते हैं कि वे हमें अपनी कृपा के बिना कभी नहीं छोड़ेंगे।"
पोप फ्राँसिस ने पल्ली पुरोहितों को उनकी गतिविधि और मिशन में प्रेरित करने के लिए तीन सुझाव दिए।
सबसे पहले, पोप ने उनसे आग्रह किया कि वे अपने विशिष्ट प्रेरितिक करिश्मे को उन विविध वरदानों की सेवा में जियें जिसको पवित्र आत्मा ईश प्रजा में बोते हैं।
अपने लोगों के वरदानों की खोज करना
उन्होंने अपना विश्वास व्यक्त करते हुए कहा, "लोकधर्मियों के विभिन्न विशिष्ट वरदानों की खोज, विश्वास के साथ करना जरूरी है, जो हर मानवीय परिस्थितियों और संदर्भों में सुसमाचार प्रचार के लिए अपरिहार्य हैं।" ऐसा करके वे कई छिपे खजानों को प्रकाश मे लायेंगे और सुसमाचार प्रचार करने के इस मंगलिक कार्य में कम एकाकी महसूस करेंगे।
उन्होंने कहा, "आप सच्चे पिता होने की खुशी का अनुभव करेंगे, जो दूसरों पर हावी नहीं होते, बल्कि पुरुषों और महिलाओं में समान रूप से महान और अनमोल संभावनाएँ लाते हैं।"
दूसरे बिन्दु पर, उन्होंने उनसे सामुदायिक आत्मपरख करने की कला का अभ्यास करने का आग्रह किया, इस उद्देश्य के लिए "आत्मा में बातचीत" की विधि को नियोजित किया, जो कि धर्मसभा यात्रा और स्वयं सिनॉडल सभा की कार्यवाही में बहुत मददगार साबित हुई है।
उन्होंने कहा, "मुझे यकीन है कि आप इससे कई अच्छे फल प्राप्त करेंगे, न केवल पैरिश काउंसिल जैसी सहभागी संरचनाओं में, बल्कि कई अन्य क्षेत्रों में भी।"
अंत में, पोप ने उनसे आग्रह किया कि वे जो कुछ भी करें, वह आपस में और अपने धर्माध्यक्षों के साथ साझा करने पर और भाईचारे की भावना पर आधारित हो।
उन्होंने कहा, "हम तब तक सच्चे पिता नहीं हो सकते, जब तक कि पहले बेटे और भाई नहीं बन जाते।" "और हम हमारी देखभाल के लिए सौंपे गए समुदायों में साम्य और भागीदारी को बढ़ावा तब तक नहीं दे सकते, जब तक, उन सच्चाइयों को हम खुद नहीं जीते।"
'मैं आपके साथ हूँ'
पोप ने जोर देकर कहा कि सिनॉडल और मिशनरी कलीसिया एवं 2021-2024 धर्मसभा की चल रही प्रक्रिया, "एक सिनॉडल कलीसिया के लिए : सहभागिता, भागीदारी, मिशन" के लिए पल्ली पुरोहितों एवं उनकी आवाज की जरूरत है।
इसलिए, पोप ने अंतर्राष्ट्रीय सभा में भाग लेनेवाले पुरोहितों को निमंत्रण दिया कि वे कलीसिया में एक साथ चलने के मिशनरी बनें, सबसे पहले आपस में और घर लौटने पर, अपने साथी पल्ली पुरोहितों के साथ।
संत पापा ने आश्वस्त किया, "प्रिय भाइयो, मैं इस प्रक्रिया में आपके साथ हूँ, जिसमें मैं स्वयं भाग ले रहा हूँ।"
पोप फ्राँसिस ने अंत में उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया और उन्हें माता मरियम के करीब रहने का प्रोत्साहन दिया जो हमेशा हमें रास्ता दिखाती हैं।