दॉम गुएरेंजर को पोप की श्रद्धांजलि
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पोप फ्राँसिस ने फ्राँस स्थित सोलेस्मेस के फ्रांसीसी बेनेडिक्टिन धर्मसमाज के संस्थापक, प्रभु सेवक दॉम प्रॉस्पर-लुई-पास्कल गुएरेंजर को श्रद्धांजलि अर्पित की।
पोप फ्राँसिस ने फ्राँस स्थित सोलेस्मेस के फ्रांसीसी बेनेडिक्टिन धर्मसमाज के संस्थापक, प्रभु सेवक दॉम प्रॉस्पर-लुई-पास्कल गुएरेंजर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कलीसिया के प्रति उनकी गहरी धार्मिक भक्ति और निष्ठा को याद किया तथा उनकी 150वीं पुण्यतिथि के अवसर पर सभी विश्वासियों को उनकी बहुमूल्य विरासत को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया।
एक अग्रणी आध्यात्मिक प्रतिभा
फ्राँस के फ्रांसीसी बेनेडिक्टिन धर्मसमाज को दॉम गुएरेंजर के निधन की 150 वीं पुण्य तिथि पर एक सन्देश प्रेषित कर सन्त पापा फ्राँसिस ने 19वीं शताब्दी में फ्रांस में बेनेडिक्टिन मठवाद को पुनर्स्थापित करने तथा आधुनिक धर्मविधिक नवीनीकरण का बीड़ा उठाने वाले नायक दॉम गुएरेंजर के समर्पित जीवन के लिये प्रभु ईश्वर को धन्यावाद ज्ञापित किया।
काथलिक कलीसिया के परमाध्यक्षीय तंत्र से फ्रांसीसी कलीसिया के लिए अधिक स्वतंत्रता की मांग करनेवाले गैलिकनिस्ट आंदोलन के कट्टर विरोधी दॉम गुएरेंजर को 20वीं सदी में आधुनिक धर्मविधिक आंदोलन के अग्रदूत के रूप में जाना जाता है।
दॉम गुएरेंजर का योगदान
सोलेस्मेस धर्मसमाज के मठाध्यक्ष ज्योफ्रॉय केमलिन ओएसबी को संबोधित अपने संदेश में, सन्त पापा फ्रांसिस ने बेनेडिक्टिन भिक्षुओं के लिए प्रशंसा के शब्द व्यक्त किए, जो दॉम गुएरेंजर के पदचिह्नों पर चलते, उनकी विरासत के ज्ञान को संरक्षित करने एवं प्रसारित करने के लिए काम करते तथा अंत तक उनके जीवन की पहचान बनी रही गहरी आध्यात्मिकता पर प्रकाश डालते हैं।
अपने पूर्ववर्ती सन्त पापाओं के साथ मिलकर, सन्त पापा फ्रांसिस ने उनके योगदान को याद किया, विशेष रूप से पांच प्रमुख क्षेत्रों में: फ्रांस में बेनेडिक्टिन मठवासी जीवन की बहाली, आराधना अर्चना और पूजन पद्धति में उनका विद्वत्तापूर्ण कार्य, येसु के पवित्र हृदय और पवित्र कुँवारी मरियम के प्रति उनकी भक्ति, निष्कलंक गर्भागमन और कलीसिया के परमाध्यक्ष की अचूकता के सिद्धांतों को परिभाषित करने के लिए उनका समर्थन, तथा साथ ही कलीसिया की स्वतंत्रता के प्रति उनका बचाव।
पोप का संदेश विशेष रूप से उनके करिश्मे के दो पहलुओं पर केंद्रित है जो आज कलीसिया के लिए विशेष रूप से प्रासंगिक हैं, और वे हैं: पवित्र धर्मपीठ के प्रति निष्ठा, विशेष रूप से धार्मिक मामलों में, और आध्यात्मिक पितृत्व।
धर्मविधिक सुधार का अग्रदूत
सर्वप्रथम पोप फ्राँसिस ने धार्मिक आंदोलन में दॉम गुएरेंजर की महत्वपूर्ण भूमिका को याद किया, जिसने अंततः द्वितीय वाटिकन महासभा के सैक्रोसंक्टम कॉन्सिलियम संविधान में योगदान दिया और जिसके कारण रोमन धर्मविधि में सुधार हुआ। उन्होंने दॉम गुएरेंजर द्वारा कलीसिया की भाषा और उसके विश्वास की अभिव्यक्ति के रूप में धर्मविधि को पुनः खोजने के प्रयास की भूरि-भूरि प्रशंसा की। सन्त पापा ने कहा उनके इस महान कार्य ने पूजन -पद्धति के सौन्दर्य और उसकी समृद्धि को सभी के लिए सुलभ बनाया है।
पोप फ्रांसिस ने आशा व्यक्त की कि बेनेडिक्टिन मठाध्यक्ष दॉम गुएरेंजर का उदाहरण (कुम पेत्रो एत सुब पेत्रो) अर्थात् कलीसिया की धार्मिक परम्परा के प्रति नए सिरे से प्रेम और सन्त पेत्रुस के उत्तराधिकारी के साथ गहन एकता को प्रेरित करेगा।