देवदूत प्रार्थना में पोप : शांति की सभ्यता बनाने के लिए जीवन की रक्षा करें
ईश्वर की माता, धन्य कुंवारी मरियम के पर्वदिन नए साल के पहले देवदूत प्रार्थना के दौरान, पोप फ्राँसिस ने प्रार्थना की, मां मरिया "हमें अपने दिलों में सुसमाचार की खुशी बनाए रखना और दुनिया में इसकी गवाही देना सिखाएँ।"
पोप फ्रांसिस ने नये वर्ष 2025 का प्रथम देवदूत प्रार्थना विश्वासियों और तीर्थयात्रियों के संग किया। पोप ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में एकत्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हुए कहा:
प्रिय भाइयो एवं बहनों नव वर्ष की शुभकामनाएं।
ख्रीस्त जयंती की खुशी और आश्चर्य को हम आज के सुसमाचार में जारी पाते हैं जो हमारे लिए चरवाहों के बेतलेहम, गोहार घर में पहुंचने का जिक्र करता है। स्वर्गदूतों की घोषणा उपरांत वास्तव में, वे बिना देर निकल पड़ते और मरियम, जोसेफ और बालक येसु को चरनी में पाते हैं। यह मिलन उन्हें आश्चर्य से भर देता है क्योंकि चरवाहे उनकी बातों को कहते हैं जो बालक के बारे में उन्हें कहा गया था, नवजात बालक मुक्तिदाता है, वे ख्रीस्त प्रभु हैं।
पोप फ्रांसिस ने कहा कि हम चरवाहों का बेतलेहेम भेंट अर्थात येसु से मिलन पर थोड़ा चिंतन करें और इसके साथ ही उन बातों के बारे में जिसे उन्होंने नहीं देखा कहने का अर्थ मरियम के हृदय को जिसमें वे बहुत सारी बातों को संजोये रखती और उन पर चिंतन करती थी।
ईश्वर हमें बचाते है
पोप ने बालक येसु के बारे में चिंतन करते हुए कहा कि इब्रानी भाषा में इसका अर्थ ईश्वर हमें बचाते हैं, जैसे कि हमारे संग करते हैं। मुक्तिदाता वास्तव में, दुनिया में इसलिए आये कि वे अपने जीवन को दे सकें। हम इस बात पर विचार करें- सारी मानव ईश्वर की संतान हैं, लेकिन हममें से किसी ने जन्म लेने का चुनाव नहीं किया है। वहीं ईश्वर हमारे लिए जन्म लेने का चुनाव करते हैं- येसु हमारे लिए अनंत और असीमित प्रेम की निशानी हैं जो दुनिया में शांति लेकर आते हैं।
माता मरियम का हृदय
पोप ने कहा कि नवजात मुक्तिदाता, जो हमारे लिए पिता की करूणा को प्रकट करते हैं, मरियम के हृदय को व्यक्त करते हैं, जो कुंवारी माता है। इस हृदय के कान हैं जिसने स्वर्गदूत गब्रियेल के संदेश को सुना, यह हृदय एक दूल्हन का हाथ है जो जोसेफ को दिया गया, यह हृदय एक आलिंगन है जो एलिजबेथ को बुजुर्गवास्था में ढ़क लेती है। मरियम का हृदय सभी प्राणियों के लिए मुक्तिदायी आशा की धड़कन है।
माताओं का हृदय
पोप ने कहा कि माताओं का हृदय सदैव अपनी संतानों के लिए है। आज साल के प्रथम दिन में, जो शांति के लिए समर्पित है, हम उन सभी माताओं के बारे में विचार करें जिनका हृदय दुःखों से भरा है क्योंकि उनके बच्चे युद्ध के कारण, घमंड और घृणा के कारण दूर कर दिये गये हैं। शांति कितना सुन्दर है जो लोगों के जीवन को खुशी प्रदान करती है। युद्ध अपने में कितनी अमानवीय चीज है जो माताओं के हृदय को तोड़ देती है।
सुसमाचार की खुशी को जीना
अंत में, पोप ने सुझाव दिया कि हम इन विषयों पर स्वयं आत्मनिरीक्षण करें, सबसे पहले येसु के जन्म पर विचार करते हुए मौन रहने की अपनी क्षमता पर गौर करें और देखें कि क्या मैं चुपचाप रहकर येसु के जन्म पर चिंतन कर सकता हूँ? और क्या मैं ख्रीस्त जयंती की इस घटना, इसके सुन्दर और मुक्तिदायी संदेश को अपने हृदय में रखने का प्रयास करता हूँ? और मैं इस महान उपहार का बदला शांति, क्षमा, मेल-मिलाप के मुफ्त भाव से कैसे चुका सकता हूँ?
“मरियम ईश्वर की पवित्र माता, हमें सुसमाचार की खुशी को अपने हृदय में रखने और उसे विश्व के सामने साक्ष्य स्वरुप प्रस्तुत करने की शिक्षा दें।”