देवदूत प्रार्थना में पोप : दिखलायें कि प्रभु को प्यार करना कितना खूबसूरत है
रविवार को देवदूत प्रार्थना के पूर्व अपने संदेश में पोप फ्राँसिस ने स्वीकार किया कि हमारी सीमाओं के बावजूद, येसु अभी भी हमें हमारे जीवन और हमारे आनंद के माध्यम से यह देखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं कि उनसे प्यार करना कितना सुंदर है और बतलाते हैं कि सुसमाचार की घोषणा करने में कभी भी समय बर्बाद नहीं होता है।
वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण रविवार 21 जनवरी को पोप फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया।
पोप ने कहा, “आज का सुसमाचार पाठ प्रथम शिष्यों की बुलाहट का वर्णन करता है।” (मार.1,14-20) अपने मिशन में शामिल होने के लिए दूसरों को बुलाना उन पहली चीजों में से एक है जो येसु अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत में करते हैं: वे कुछ युवा मछुआरों के पास जाते हैं और उन्हें "मनुष्यों के मछुआरे बनने" के लिए अपने पीछे चलने का निमंत्रण देते हैं। (पद 17)। और यह हमें कुछ महत्वपूर्ण बात बताता है: प्रभु हमें अपने उद्धार के कार्य में शामिल करना चाहते हैं, वे चाहते हैं कि हम उनके साथ सक्रिय, जिम्मेदार और नायक बनें। अतः संत पापा ने कहा, “एक ख्रीस्तीय जो सक्रिय नहीं है, जो प्रभु की घोषणा के कार्य में जिम्मेदार नहीं है और जो अपने विश्वास का मुख्यपात्र नहीं है, वह ख्रीस्तीय नहीं है।”
ईश्वर को हमारी आवश्यकता नहीं होती, फिर भी वे बुलाते हैं यह जानने के बावजूद कि हमारी कई सीमाएँ हैं: वास्तव में, हम सभी कमजोर हैं, पापी हैं, फिर भी वे हम पर भरोसा करते हैं।
हम देख सकते हैं कि उनमें अपने शिष्यों के प्रति कितना धैर्य था: वे (शिष्य) अक्सर उनके शब्दों को नहीं समझ पाते थे। कभी कभी आपस में भी एकजुट नहीं रहते थे, लम्बे समय तक उनके उपदेश के मूल संदेश सेवा को वे स्वीकार नहीं कर पाये। फिर भी येसु ने उन्हें चुनना और उनपर विश्वास किया। यह महत्वपूर्ण है, कि प्रभु ने हमें ख्रीस्तीय बनने के लिए चुना है। और हम पापी हैं, एक के बाद एक पाप करते जाते हैं, फिर भी प्रभु हम पर विश्वास करते हैं। यह सचमुच अनुठा है।
वास्तव में, ईश्वर की मुक्ति को सभी लोगों के लिए लाना, येसु की सबसे बड़ी खुशी थी, वह उनका मिशन था, उनके जीवन का अस्तित्व, या जैसे कि वे कहते हैं उनका भोजन था। हरेक शब्द या कार्य जिनके द्वारा हम अपने आपको उनसे जोड़ते, प्रेम करने के सुन्दर साहसिक काम में, प्रकाश एवं आनन्द बढ़ता है (इसा.9:2) न केवल हमारे आसपास लेकिन हमारे अंदर भी। इसलिए, सुसमाचार का प्रचार करना समय की बर्बादी नहीं है: यह दूसरों को खुश रहने में मदद करके खुश होना है; यह दूसरों को स्वतंत्र होने में मदद करके स्वयं से मुक्त करना है; यह दूसरों को बेहतर बनने में मदद करके बेहतर बनना है!
चिंतन हेतु प्रेरित करते हुए पोप ने कहा, “आइए, हम अपने आप से पूछें: क्या मैं समय-समय पर उस खुशी को याद करने के लिए रुकता हूँ जो मेरे और मेरे चारों ओर फैली थी जब मैंने येसु को जानने और उनका साक्ष्य देने के आह्वान को स्वीकार किया था? और जब मैं प्रार्थना करता हूँ, तो क्या मैं दूसरों को खुशी देने हेतु अपने बुलावे के लिए प्रभु को धन्यवाद देता हूँ? अंत में: क्या मैं अपनी गवाही और अपनी खुशी के माध्यम से दूसरों को यह बताना चाहता हूँ कि येसु से प्रेम करना कितना सुंदर है?
इतना कहने के बाद पोप ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।