जन्मदर की स्थिति पर सम्मेलन के प्रतिभागियों से पोप 

रोम के कॉनचिलियात्सोने रंगभावन में शुक्रवार को इटली में जन्मदर की सामान्य स्थिति पर आयोजित सम्मेलन के प्रतिभागियों को पोप फ्रांसिस ने सम्बोधित कर कहा कि जन्मस्थिति का मुद्दा उनके दिल के बहुत क़रीब है, क्योंकि हर बच्चे का जन्म हमें स्मरण दिलाता है कि ईश्वर को मानवता पर भरोसा है।

रोम के कॉनचिलियात्सोने रंगभावन में शुक्रवार को इटली में जन्मदर की सामान्य स्थिति पर आयोजित सम्मेलन के प्रतिभागियों को पोप फ्रांसिस ने सम्बोधित कर कहा कि जन्मस्थिति का मुद्दा उनके दिल के बहुत क़रीब है, क्योंकि हर बच्चे का जन्म हमें स्मरण दिलाता है कि ईश्वर को मानवता पर भरोसा है।  

पोप ने कहाः  प्रतिष्ठित प्राधिकारी, नागरिक समाज के प्रतिनिधि तथा प्रिय भाइयो और बहनो मैं आपका हार्दिक अभिवादन करता हूँ तथा आपका ध्यान इस सम्मेलन के आदर्श वाक्य की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ और वह यह कि "जितने युवा होंगे उतना ही भविष्य सुरक्षित होगा।" इन शब्दों से इटली में जन्मदर की सामान्य स्थिति पर आयोजित सम्मेलन के प्रतिभागियों को सम्बोधित कर सन्त पापा ने कहा कि यथार्थवाद, दूरदर्शिता और साहस के साथ जन्म दर को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि उक्त तीन शब्दों पर वे विचार करना हम सबके लिये हितकर मानते हैं।  

पोप ने कहा कि वास्तव में किसी बच्चे का जन्म एक महान और अनूठी घटना है कि इसलिये कि यह संयोग का परिणाम नहीं है, बल्कि यह इसलिये घटी कि ईश्वर ने इसे चाहा है और हम में से प्रत्येक के लिये ईश्वर की एक विशिष्ट योजना है।  

यथार्थवाद
यथार्थवाद शब्द पर चिन्तन करते हुए सन्त पापा ने कहा, "अतीत में, ऐसे अध्ययनों और सिद्धांतों की कोई कमी नहीं रही जो पृथ्वी पर निवासियों की संख्या के बारे में चेतावनी देते रहे थे, क्योंकि बहुत अधिक बच्चों के जन्म से आर्थिक असंतुलन, संसाधनों की कमी और प्रदूषण पैदा होता है।"

उन्होंने कहाः "मैं हमेशा इस बात से चकित रह जाता हूं कि कैसे ये शोध प्रबंध, जो अब पुराना हो चुका है और लंबे समय से अप्रचलित हैं, इंसानों के बारे में ऐसे बात करता है जैसे कि वे समस्याएं हों। इसके विपरीत, मानव जीवन कोई समस्या नहीं है, एक उपहार है और दुनिया में प्रदूषण और भुखमरी का आधार पैदा होने वाले बच्चे नहीं हैं, बल्कि उन लोगों की पसंद हैं जो केवल अपने बारे में सोचते हैं, यह एक अंधा और अनियंत्रित भौतिकवाद का प्रलाप है, एक उपभोक्तावाद का प्रलाप, जो एक दुष्ट वायरस की तरह लोगों और समाज के अस्तित्व को कमज़ोर करता है।"

पोप ने कहा, "समस्या यह नहीं है कि दुनिया में कितने लोग हैं, बल्कि समस्या यह है कि हम कौन सी दुनिया का निर्माण कर रहे हैं; बच्चे समस्या की जड़ नहीं हैं, बल्कि मनुष्य का स्वार्थ समस्या है, जो सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक प्रणालियों के बीच अस्वास्थ्यकर अन्योन्याश्रितताओं को जोड़ने की हद तक अन्याय और पाप की संरचनाओं का निर्माण करता है।

पोप फ्रांसिस ने कहा कि यह स्मरण रखना आवश्यक है कि जन्मों की संख्या लोगों की आशा का पहला संकेतक है, क्योंकि बच्चों और युवाओं के बिना, कोई भी देश भविष्य के प्रति अपनी इच्छा खो देता है।

दूरदर्शिता
दूरदर्शिता की आवश्यकता पर बल देते हुए पोप फ्रांसिस ने कहा कि संस्थागत स्तर पर, प्रभावी एवं साहसी नीतियों तथा ठोस और दीर्घकालिक विकल्पों की आवश्यकता है। सभी सरकारों की ओर से अधिक प्रतिबद्धता की आवश्यकता है, ताकि युवा पीढ़ी अपने वैध सपनों को साकार करने में सक्षम हो सके।

उन्होंने कहा कि यह परिवार के पक्ष में गंभीर और प्रभावी विकल्प चुनने के बारे में है। उदाहरणार्थ, नौकरी और अपने बच्चों की देखभाल के बीच चयन न करने की स्थिति में एक माँ को कभी नहीं रखा जाना चाहिये; इसी प्रकार, युवा दम्पत्तियों को नौकरी की असुरक्षा और घर खरीदने में असमर्थता के बोझ से मुक्त किया जाना चाहिये।

साहस
तीसरा शब्द, पोप ने कहा है: साहस। उन्होंने कहा, "यहां मैं विशेष रूप से युवाओं को संबोधित कर रहा हूं। मैं जानता हूं कि आप में से कई लोगों के लिए भविष्य चिंताजनक लग सकता है, और जन्म दर, युद्ध, महामारी और जलवायु परिवर्तन के बीच आशा को जीवित रखना आसान नहीं है। तथापि, हार मत मानिये, विश्वास रखिए, क्योंकि कल कुछ अपरिहार्य नहीं है: हम इसे एक साथ मिलकर बनाते हैं, और इस "एक साथ" में सबसे पहले हम प्रभु ईश्वर को पाते हैं।