अप्रवासियों की सहायता में अमेरिकी धर्माध्यक्षों को पोप फ्राँसिस

पोप फ्राँसिस ने अमेरिका के धर्माध्यक्षों को एक पत्र लिखकर प्रवासियों के अधिकारों और सम्मान की रक्षा के उनके प्रयासों के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया है।

अमेरिकी धर्माध्यक्षों का कहना है कि ट्रम्प के कुछ कार्यकारी आदेश 'बहुत परेशान करनेवाले' हैं। 10 फरवरी 2025 को लिखे एक पत्र में, और धर्माध्यक्ष के रूप में अपने भाइयों को संबोधित करते हुए, पोप फ्राँसिस ने प्रवासियों और शरणार्थियों के साथ खड़े होने में अमेरिकी धर्माध्यक्षों के काम को स्वीकारा है और प्रत्येक व्यक्ति की मौलिक गरिमा को बनाए रखने के उनके प्रयासों के लिए अपना समर्थन व्यक्त करते हुए, विस्थापन का सामना करनेवालों के लिए प्रेरितिक साथ के महत्व पर प्रकाश डाला है।

पोप ने पवित्र परिवार के मिस्र पलायन की याद करते हुए उनके अनुभव एवं आज के अनेक प्रवासियों के अनुभव के बीच समानता दर्शायी है।

उन्होंने कहा कि उनकी यात्रा “इतिहास में एक निर्णायक क्षण के रूप में प्रवास की घटना” पर प्रकाश डालती है और “न केवल ईश्वर में हमारे विश्वास की पुष्टि करती है, बल्कि प्रत्येक मानव व्यक्ति की असीम और पारलौकिक गरिमा की भी पुष्टि करती है।”

अप्रवासियों की देखभाल पर पोप पीयुस 12वें के प्रेरितिक संविधान पर प्रकाश डालते हुए, जो पवित्र परिवार को उन सभी के लिए एक मॉडल के रूप में वर्णित करते हैं, जिन्हें सुरक्षा और स्थिरता की तलाश में अपनी मातृभूमि छोड़नी पड़ती है, पोप लिखते हैं "अप्रवासियों की रक्षा में आपका काम मसीह के मिशन और कलीसिया के इतिहास में गहराई से निहित है।"

मानवीय प्रतिष्ठा को बनाये रखें
अपने पत्र में, संत पापा कहते हैं कि उन्होंने "अमेरिका में बड़े पैमाने पर निर्वासन के कार्यक्रम की शुरुआत के साथ होनेवाले प्रमुख संकट पर ध्यान दे रहे हैं" और धर्माध्यक्षों के प्रयासों की सराहना करते हुए जोर दिया कि ख्रीस्तीय प्रेम कानूनी स्थिति की परवाह किए बिना सभी लोगों की गरिमा को मान्यता देने की मांग करता है।

प्रवासन नीतियों से जुड़ी जटिल वास्तविकताओं को स्वीकार करते हुए, उन्होंने धर्माध्यक्षों को याद दिलाया कि एक न्यायपूर्ण समाज का मापदंड यह है कि वह अपने सबसे कमजोर सदस्य के साथ कैसा व्यवहार करता है।

उन्होंने लिखा, "प्रवासन के वैध विनियमन से व्यक्ति की गरिमा को कभी भी कम नहीं किया जाना चाहिए।"

पोप ने प्रवासियों को अपराधी बनानेवाली कहानियों के खिलाफ धर्माध्यक्षों की पहल की भी सराहना की और नीतियों में मानवाधिकारों का सम्मान सुनिश्चित करने में उनकी भूमिका पर जोर दिया।

उन्होंने कहा, "जिन लोगों को कम मूल्यवान, कम महत्वपूर्ण या कम मानव माना जाता है, उनकी सुरक्षा और बचाव के लिए आप जो कुछ भी करेंगे, ईश्वर उसका भरपूर प्रतिफल देगा।"

कलीसिया के मिशन को मजबूत करना
वर्तमान चुनौतियों के मद्देनजर, पोप फ्रांसिस ने धर्माध्यक्षों से अपने काम में दृढ़ रहने का आग्रह किया और सामाजिक और राजनीतिक दबावों सहित उनके सामने आनेवाली बाधाओं के बावजूद, उन्हें एकजुटता और करुणा को बढ़ावा देने का प्रोत्साहन दिया।

उन्होंने कहा, "आपकी प्रेरिताई उन लोगों के लिए आशा की किरण है जो परित्यक्त और बहिष्कृत महसूस करते हैं।"

कलीसिया के मिशन की पुष्टि करते हुए, पोप ने धर्माध्यक्षों से समावेशी और न्यायपूर्ण समाज को बढ़ावा देने में उदाहरण पेश करने का आह्वान किया।

उन्होंने लिखा, "आपकी गवाही के माध्यम से, विश्वासियों को याद दिलाया जाता है कि सच्ची ख्रीस्तीय पहचान भाईचारे और मानवीय गरिमा की अटूट रक्षा में व्यक्त होती है।"

शक्ति और मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना
पोप फ्राँसिस ने अपने पत्र का अंत में धर्माध्यक्षों और उनके द्वारा सेवा प्रदान किए जाने वाले प्रवासियों को ग्वादालूपे की माता मरियम की सुरक्षा में सौंपते हुए कहा: वे "हम सभी को भाइयों और बहनों के रूप में, अपने आलिंगन में मिलने की अनुमति दें, और इस प्रकार हम एक ऐसे समाज के निर्माण में एक कदम आगे बढ़ा सकें जो अधिक भाईचारापूर्ण, समावेशी और सभी की गरिमा का सम्मान करनेवाला हो।"