युद्ध और प्राकृतिक आपदाएँ बना रही हैं कमज़ोर अफ्रीका को

सेनेगल के डाकार शहर में 17 से 21 फरवरी तक साहेल के लिये जॉन पौल द्वितीय परमधर्मपीठीय न्यास के निर्देशक अपने 43 वें सत्र के लिये एकत्रित हुए हैं ताकि सन्त पापा फ्रांसिस द्वारा रोमन क्यूरिया में हाल ही में किए गए सुधार के आलोक में अशांत अफ्रीकी क्षेत्र में चल रही विकास परियोजनाओं पर चर्चा की जा सके।
साहेल के लिये
सन्त पापा जॉन पॉल द्वितीय ने 1980 में अफ्रीका की अपनी पहली प्रेरितिक यात्रा के बाद 1984 में उक्त परमधर्मपीठीय न्यास की स्थापना की थी, जिसका उद्देश्य, स्थानीय कलीसियाओं और समुदायों के सहयोग से, नौ साहेल देशों में सूखाग्रस्त आबादी को परमधर्मपीठ का ठोस समर्थन प्रदान करना था। साहेल के अन्तर्गत बुर्किना फासो, केप वेरदे, गाम्बिया, गिनी बिसाऊ, माली, मॉरितानिया, नाइजर, सेनेगल तथा चाड शामिल हैं, जो दुनिया के सबसे गरीब क्षेत्रों में से एक है।
न्यास के कार्यों का संचालन स्थानीय धर्माध्यक्षों के सिपुर्द किया गया है और यह समग्र मानव विकास को बढ़ावा देने के लिये गठित परमधर्मपीठीय विभाग का भी हिस्सा है, जो मरुस्थलीकरण से निपटने, सूखा पीड़ितों की सहायता करने तथा पर्यावरण संरक्षण, कृषि, जल प्रबंधन और नवीकरणीय ऊर्जा में परियोजनाओं का समर्थन करके सतत विकास को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
सशस्त्र संघर्ष एवं प्राकृतिक आपदाएँ
17 से 21 फरवरी तक जारी साहेल न्यास के उक्त सत्र में इस तथ्य पर बल दिया जा रहा है कि सशस्त्र संघर्ष एवं प्राकृतिक आपदाएँ अफ्रीका को और अधिक कमज़ोर बना रहीं हैं। मंगलवार, 18 फरवरी को प्रतिभागियों को संबोधित कर वाटिकन सचिवालय के सामान्य मामलों के अवर सचिव महाधर्माध्यक्ष रॉबेर्तो कैम्पिसी ने कहा, यदि न्यास को इन चुनौतियों का सामना करते हुए अपने मिशन को प्रभावी ढंग से पूरा करना है, तो उसे समग्र मानव विकास पर ध्यान केंद्रित करना होगा, साथ ही रोमन क्यूरिया में सुधार करने वाले प्रेरितिक संविधान प्रेदिकाते इवांजेलियम में सन्त पापा फ्रांसिस द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के आधार पर अपनी पहलों को संरचित करना होगा।
संघर्षों पर रोक और विकास को बढ़ावा
18 फरवरी के सत्र में समग्र मानव विकास को बढ़ावा देने वाले विभाग की सचिव सि. आलेस्सान्द्रा स्मेरिल्ली ने कहा कि साहेल में संघर्षों के मूल में निहित अन्याय को दूर करने की आवश्यकता है। उन्होंने गरीबी से लड़ने, समग्र मानव विकास को बढ़ावा देने और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक प्रयासों का आग्रह किया। उनकी टिप्पणियों ने इस विचार को पुष्ट किया कि साहेल न्यास का काम तत्काल सहायता प्रदान करने तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि ऐसे स्थायी समाधान भी तलाशे जाने चाहिए जो मानवीय गरिमा और सामाजिक सद्भाव को बनाए रखें।
सन्त पापा फ्रांसिस द्वारा हाल ही में किए गए परमधर्मपीठीय सुधारों द्वारा प्रस्तुत नए दृष्टिकोणों पर विचार करते हुए, सि. स्मेरिल्ली ने आशा व्यक्त की कि शुरू की गई पहल "न्याय, एकजुटता और करुणा के सार्वभौमिक मूल्यों को प्रतिबिंबित करेगी, आम भलाई की ओर निर्देशित होगी, शांति और सामाजिक मित्रता के लिए काम करेगी तथा ऐसे परिवर्तन लाएगी जो सहेल में मानवता के समग्र विकास को बढ़ावा देगी।"