इस्राएल एवं फिलीस्तीन के लिये दो राज्य समाधान ही उचित

न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य- देशों की तीन दिवसीय बैठक के दौरान, इस्राएल और फिलीस्तीन के बीच शांति पर विचार-विमर्श किया गया जिसमें परमधर्मंपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक ने कहा कि स्थायी शांति केवल दो-राज्य समाधान से ही मिल सकती है।
28 से 30 जुलाई तक सदस्य देश उच्च स्तरीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल हुए जिसमें फिलिस्तीन के प्रश्न का शांतिपूर्ण समाधान और दो-राज्य समाधान का कार्यान्वयन विचाराधीन मुद्दा रहा।
आतंकवाद स्वीकार्य नहीं
वाटिकन के वरिष्ठ धर्माधिकारी तथा संयुक्त राष्ट्र संघ में परमधर्मंपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष गाब्रिएल काच्चिया ने कहा, "इस क्षेत्र की भयानक मानवीय पीड़ा के आलोक में" परमधर्मपीठ हमास द्वारा 7 अक्टूबर 2023 को किए गए आतंकवादी हमले की "स्पष्ट रूप से" निंदा करती है। उन्होंने कहा, "आतंकवाद को कभी भी उचित नहीं ठहराया जा सकता।" हालांकि उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि आत्मरक्षा को "आवश्यकता और आनुपातिकता की पारंपरिक सीमाओं" के भीतर ही रखा जाना चाहिए।
महाधर्माध्यक्ष काच्चिया ने कहा कि परमधर्मपीठ गाज़ा पट्टी में बिगड़ते मानवीय संकट को लेकर बेहद चिंतित है। उन्होंने उन अत्याचारों पर प्रकाश डाला जो "पहले से ही संकटग्रस्त समुदाय को और भी ज़्यादा घायल कर रहे हैं"—जिसमें बड़ी संख्या में बच्चे मारे गए हैं और घरों तथा अस्पतालों के साथ-साथ आराधना स्थल भी नष्ट हो गए हैं।
परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह स्थिति "बेहद चिंताजनक है क्योंकि इस क्षेत्र में ईसाइयों ने लंबे समय से एक मध्यस्थ और स्थिर उपस्थिति के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है तथा संवाद और शांति को बढ़ावा दिया है।"
स्थायी शांति का एक ही रास्ता
परिवारों के व्यापक विस्थापन, महत्वपूर्ण सेवाओं के पतन, बढ़ती भूख और कठिनाई के मद्देनजर, महाधर्माध्यक्ष ने तत्काल "युद्ध विराम, सभी इस्राएली बंधकों की रिहाई, मृत शवों की वापसी, अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के अनुसार सभी फिलिस्तीनी नागरिकों की सुरक्षा और मानवीय सहायता तक निर्बाध पहुंच" का आह्वान किया।
परमधर्मपीठ एवं वाटिकन के दृढ़ विश्वास को व्यक्त करते हुए महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि "सुरक्षित और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं पर आधारित, दो-राज्य समाधान, न्यायसंगत और स्थायी शांति की ओर एकमात्र व्यवहार्य और न्यायसंगत मार्ग है।"
साथ ही महाधर्माध्यक्ष महोदय ने जैरूसालेम की स्थिति पर विचार प्रकट करते हुए कहा, "चूंकि जैरूसालेम शहर ईसाई, इस्लाम और यहूदी धर्म के लिए एक पवित्र शहर है, इसलिए इसे एक ऐसे दर्जे की आवश्यकता है जो राजनैतिक विभाजन से ऊपर उठे और इस शहर की अनूठी पहचान को संरक्षित रख सके।"