मॉस्को में आतंकवादी हमला, कम से कम 60 मरे और 145 घायल
कलाश्निकोव, ग्रेनेड और आग लगाने वाली बोतलों से लैस अज्ञात संख्या में लोगों ने मॉस्को के बाहरी इलाके में एक बड़े थिएटर के अंदर नरसंहार किया। आईएसआईएस-के ने ली जिम्मेदारी, दो हफ्ते पहले ही अमेरिका ने जारी किया था अलर्ट।
राष्ट्रपति चुनाव के कुछ दिनों बाद मॉस्को में आतंक की वापसी हुई, जिसकी पुष्टि राष्ट्रपति पुतिन ने की। रूसी राजधानी के सबसे बड़े थिएटर में एक शो शुरू होने से कुछ समय पहले छलावरण सूट पहने चार या पांच लोगों ने कलाश्निकोव, हथगोले और आग लगाने वाली बोतलों से लैस होकर नरसंहार किया। इसमें महिलाएं और बच्चों सहित कम से कम 60 लोग मारे गए हैं, 145 घायल हुए हैं, लेकिन घंटे बीतने के साथ मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है।
पिछले कुछ वर्षों में ये रूस में हुआ सबसे बड़ा हमला है। क्रोकस सिटी हॉल के कॉन्सर्ट हॉल में एक संगीत कार्यक्रम के लिए लोगों की भीड़ जमा थी। इसी दौरान हथियारों से लैस आतंकी हॉल में घुस आए और लोगों को निशाना बनाकर गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। इसके बाद उन्होंने बिल्डिंग में आग लगा दी।
समाचार एजेंसी रिया ने मॉस्को के गवर्नर एंड्री वोरोब्योव के हवाले से कहा कि 110 वयस्कों और पांच बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जिनमें से 60 वयस्कों की हालत गंभीर है।
आतंकवादी समूह ने इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) ने हमले की जिम्मेदारी ली है। समूह से जुड़ी एजेंसी आमाक ने टेलीग्राम पर पोस्ट कर इसकी जानकारी दी है। पोस्ट में बताया है कि हमलावर बाद में भागने में सफल रहे थे।
रूस के नेशनल गार्ड्स ने क्रोकस सिटी हॉल पर हमला करने वालों की तलाश शुरू कर दी है। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि तलाशी के दौरान आतंकी नहीं मिले।
घटनास्थल से वीडियो सामने आए हैं, जिसमें बंदूकधारी स्वचालित हथियारों से फायरिंग कर रहे हैं। वहीं, घबराए लोग अपने को बचाने के लिए भाग रहे हैं। एक प्रत्यक्षदर्शी ने स्पुतनिक को बताया कि हमलावर लोगों को सीधे गोली मार रहे थे।
अमेरिका अलर्ट
7 मार्च को, मॉस्को में अमेरिकी दूतावास ने शहर में अमेरिकी नागरिकों के लिए एक सुरक्षा अलर्ट जारी किया क्योंकि उसे "रिपोर्ट मिली थी कि चरमपंथियों" के पास मॉस्को में संगीत समारोहों सहित लोगों की बड़ी सभाओं को निशाना बनाने की आसन्न योजना थी। दूतावास के मुताबिक, यह अलर्ट 48 घंटे यानी 9 मार्च तक वैध रहा। कुछ दिन पहले रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने इन अलार्मों को कम महत्व देते हुए कहा था कि ये पश्चिम की ओर से "उकसावे" थे जिनका इरादा "हमारे समाज को डराने और अस्थिर करने" का था।