मलंकारा धर्मशास्त्र संस्थान आस्था व बुद्धि का सामंजस्य स्थापित करेगा, महाधर्माध्यक्ष गलाघेर

त्रिवेंद्रम स्थित संत मरिया मलंकारा मेजर सेमिनरी में मलंकारा धर्मशास्त्र संस्थान के शिलान्यास के अवसर पर महाधर्माध्यक्ष पॉल रिचर्ड गलाघेर ने मलंकारा कलीसिया की समृद्ध विरासत और मार्ग प्रशस्त करने वाले दूरदर्शी नेताओं पर चिंतन करने के लिए प्रेरित किया। मलंकारा धर्मशास्त्र संस्थान एक ऐसा स्थान होगा जहाँ आस्था और बुद्धि का सामंजस्य स्थापित होगा, वास्तव में गहन चिंतन, गहन विद्वत्ता और परिवर्तनकारी आध्यात्मिक विकास के लिए एक आश्रय स्थल बनेगा।

वाटिकन के राज्यों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ संबंधों के सचिव महाधर्माध्यक्ष पॉल रिचर्ड गलाघेर, जो 13 से 19 जुलाई तक भारत की यात्रा पर हैं, मंगलवार 15 जुलाई को, त्रिवेंद्रम स्थित संत मरिया मलंकारा मेजर सेमिनरी में मलंकारा धर्मशास्त्र संस्थान के शिलान्यास के अवसर पर संदेश दिया।

महाधर्माध्यक्ष पॉल रिचर्ड गलाघेर ने वहाँ उपस्थित धर्माध्यक्षों, पुरोहितों, अतिथियों, संकाय के विद्यार्थियों और मलंकारा कलीसिया एवं समुदाय के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा, आज, हम संत मरिया मलंकारा मेजर सेमिनरी में एकता, विश्वास और कृतज्ञता की भावना से एकत्रित हुए हैं। यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है, एक ऐसा दिन जो कलीसिया के इतिहास के पन्नों में अंकित हो जाएगा, क्योंकि हम मलंकारा धर्मशास्त्र संस्थान की आधारशिला रख रहे हैं।

महाधर्माध्यक्ष पॉल रिचर्ड गलाघेर ने उन्हें  मलंकारा कलीसिया की समृद्ध विरासत और मार्ग प्रशस्त करने वाले दूरदर्शी नेताओं पर चिंतन करने के लिए प्रेरित किया। मलंकारा कलीसिया, जिसकी प्रेरितिक परंपरा में गहरी जड़ें हैं और सदियों से इसकी जीवंत गवाही ने हमेशा शिक्षा, आध्यात्मिक निर्माण और सेवा को उच्च महत्व दिया है। प्रार्थना, दृढ़ता और बलिदान के माध्यम से, आपके पूर्वजों ने ऐसे संस्थानों का निर्माण किया जिन्होंने अनगिनत जीवन और समुदायों को आकार दिया है।

उन्होंने कहा कि ये संस्थान जो उन्हें विरासत में मिली है उसका कुशल प्रबंधन करने की ज़िम्मेदारी भी उनकी है। उनकी विरासत हमें उनके द्वारा शुरू की गई यात्रा को जारी रखने के लिए प्रेरित करती है: ज्ञान की खोज, समझ को बढ़ावा देना और प्रेमपूर्वक सेवा करना। इस आधारशिला का रखा जाना एक प्रतीकात्मक संकेत से कहीं अधिक है; यह भविष्य के प्रति हमारी प्रतिबद्धता की घोषणा है। मलंकारा धर्मशास्त्र संस्थान एक ऐसा स्थान होगा जहाँ आस्था और बुद्धि का सामंजस्य स्थापित होगा, वास्तव में गहन चिंतन, गहन विद्वत्ता और परिवर्तनकारी आध्यात्मिक विकास के लिए एक आश्रय स्थल।

यहाँ, युवा मस्तिष्कों को न केवल विद्वानों और पुरोहितों के रूप में, बल्कि करुणामय नेताओं, सेतु-निर्माताओं और मानवता के सेवकों के रूप में भी तैयार किया जाएगा। यहाँ, विश्वास के शाश्वत सत्यों को हमारी आधुनिक दुनिया की चुनौतियों और अवसरों के साथ संवाद में खोजा जाएगा। यह संस्थान आशा की किरण के रूप में खड़ा होगा, जो सत्य और अर्थ की खोज करने वाले सभी लोगों के लिए ईसा मसीह का प्रकाश बिखेरेगा। यह एक ऐसा स्थान होगा जहाँ प्रश्नों का स्वागत किया जाएगा, जहाँ मतभेदों को विकास के अवसर के रूप में देखा जाएगा, और जहाँ ज्ञान की खोज सुसमाचार के ज्ञान द्वारा निर्देशित होगी।

आगे उन्होंने कहा, “यह आधारशिला हमें हमारी साझा ज़िम्मेदारी की याद दिलाती है। हमारे सामने जो कार्य है वह महान है, लेकिन हमारी आस्था भी उतनी ही महान है। “आइए हम सब मिलकर काम करें। इस स्वप्न को साकार करने के लिए, आइए हम उदारता, प्रोत्साहन और प्रार्थना के साथ एक-दूसरे का समर्थन करें।” हम यह आधारशिला रखते हैं, यह विश्वास करते हुए कि आज हम जो आरंभ कर रहे हैं वह फलेगा-फूलेगा तथा कलीसिया और विश्व में प्रकाश और जीवन लाएगा।