नाइजीरिया सेमिनरी पर हमले में सेमिनरी छात्र अपहृत

नाइजीरिया के एडो राज्य में निष्कलंक गर्भागमन माइनर सेमिनरी पर हथियार हमले में एक सुरक्षाकर्मी की हत्या हो गई है तथा 3 सेमिनरी छात्रों का अपहरण कर लिया गया है।
10 जुलाई को नाइजीरिया के एडो राज्य के इविआनोकपोडी के एक सेमिनरी पर हथियारों से हमले में 3 सेमिनरी छात्रों का अपहरण कर लिया गया और एक सुरक्षाकर्मी की हत्या कर दी गई, जैसा कि 12 जुलाई को फिदेस समाचार एजेंसी ने रिपोर्ट किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, औची धर्मप्रांत ने एक बयान जारी कर बताया कि अपहरण रात करीब 9:00 बजे निष्कलंक गर्भागमन माइनर सेमिनरी में हुआ। धर्माध्यक्ष गाब्रिएल डूनिया ने भी नाइजीरियाई नागरिक सुरक्षा कोर के अधिकारी, क्रिस्टोफर अवेनेघिएम की मृत्यु पर शोक व्यक्त किया। बयान जारी होने के समय धर्मप्रांत ने कहा था कि अपहरणकर्ताओं से कोई संपर्क नहीं हो पाया है।
अन्य सेमिनरी छात्रों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया
फिदेस की रिपोर्ट अनुसार, घटना की जाँच कर रहे पुलिस अधिकारियों ने इसे "न केवल बर्बर, बल्कि सार्वजनिक शांति और सुरक्षा पर सीधा हमला" और "एक धार्मिक संस्थान एवं निर्दोष युवा छात्रों के विरुद्ध हिंसा का एक मूर्खतापूर्ण कृत्य" बताया है। अन्य सेमिनरी छात्रों को तब तक अस्थायी रूप से एक सुरक्षित क्षेत्र में ले जाया गया है जब तक कि निष्कलंक गर्भागमन सेमिनरी में पर्याप्त सुरक्षा उपाय लागू नहीं हो जाते।
धर्माध्यक्ष डुनिया ने अनुरोध किया है कि इन दिनों सभी पल्लियों में येसु के परमपावन रक्त के आदर में पवित्र मिस्सा अर्पित किया जाए ताकि अपहरणकर्ताओं के हृदय और मन को प्रकाशित करने के लिए ईश्वर से प्रार्थना की जा सके।
एक साल से भी कम समय में दूसरा हमला
एक साल से भी कम समय में यह दूसरी बार है जब इस सेमिनरी में हमला हुआ है। अक्टूबर 2024 में सशस्त्र बंदूकधारियों ने सेमिनरी के चैपल पर हमला किया था और संस्था के रेक्टर, फादर थॉमस ओयोड का अपहरण कर लिया था। बाद में 11 दिनों की कैद के बाद, उन्हें 7 नवंबर को रिहा कर दिया गया।
यह सेमिनरी अकेला नहीं है बल्कि पिछले एक दशक में नाइजीरिया के काथलिक कलीसिया में पुरोहितों, सेमिनरी छात्रों और अन्य धर्मसमाजियों को भी निशाना बनाकर अपहरण किया गया है और इसकी संख्या में खतरनाक वृद्धि देखी गई है। मार्च 2025 में फिदेस ने एक रिपोर्ट जारी की जिसमें बताया गया कि 2015 और 2025 के बीच कुल 145 पुरोहितों का अपहरण किया गया, जिनमें से 11 मारे गए। आर्थिक स्थिति बिगड़ने के साथ फिरौती के लिए अपहरण देश में एक तेजी से बढ़ता उद्योग बन गया है।