कीव के प्रेरितिक राजदूत: यहां वे संकेत हैं जो आशा देते हैं

यूक्रेन के प्रेरितिक राजदूत, महाधर्माध्यक्ष विस्वाल्डस कुलबोकास, रूस के आक्रमण के बाद से यूक्रेन में युद्ध और आशा प्रदान करने वाली घटनाओं की चर्चा की।

कीव के प्रेरितिक राजदूत विस्वाल्डस कुलबोकास ने रिमिनी बैठक के दौरान कहा कि दयालुता के भाव जो युद्ध के संदर्भ में वीरतापूर्ण भाव बन जाते हैं, “यदि आप शांति चाहते हैं, तो शांति के लिए तैयारी करें।”

उनकी टिप्पणी इटली के रिमिनी में लोगों के बीच मित्रता हेतु बैठक के 2024 संस्करण में आई। तथाकथित रिमिनी बैठक प्रतिवर्ष कम्युनियन एंड लिबरेशन मूवमेंट द्वारा आयोजित की जाती है, जो  विभिन्न क्षेत्रों में उच्च-स्तरीय व्यक्तित्वों को एक साथ लाती है।

गोलमेज संगोष्ठी के दौरान कुलबोकास एक यूक्रेनी महिला की उदारता की याद दिलाई, जिन्होंने जरुरतमंद लोगों की सहायता हेतु 60 मिलियन डॉलर दान दिये। उन्होंने एक सज्जन व्यक्ति के बारे में जिक्र किया जो किसी भी कलीसिया से संबंधित नहीं है परन्तु युद्ध की स्थिति में उन्होंने करीबन 280 लोगों को भागने में मदद की। इसके बाद उन्होंने मारियपोल के प्रोटेस्टेंट पल्ली से निकाले गए 800 लोगों को याद दिलाते हुए कहा, “यही वे चीजें हैं जिसके कारण मैं नागरिक समाज में अपनी आशा बनाये रखता हूँ जो चुनौतियों को गंभीरता से लेती है और जिसके प्रभावी होने की सबसे बड़ी संभावनाएं बनी रहती हैं।”

संकेतों को समझें
प्रेरितिक राजदूत ने कहा कि नागरिक समाज विभिन्न स्थितियों के खतरे को समझने में सक्षम है। जीवन हमें सिखलाती है कि जब भारी चुनौतियों का सामना करना पड़े, तो प्रयास भी बहुत बड़े होने चाहिए। संस्थानों के बजाय लोग आपात्कालीन स्थिति को समझने में सक्षम हैं। हालाँकि, यह सच है कि युद्ध किसी नियम का पालन नहीं करते हैं और इसी कारण है कि संस्थाएँ इसके लिए तैयार नहीं होती हैं।”

हम आशा न खोयें
गोलमेज में यूक्रेनी वकील और कीव स्थित नागरिक अधिकार संगठन के नेता ऑलेक्ज़ेंड्रा मतविजकुक जिन्हें 2022 में नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त हुआ युद्ध के कारण हुए हिंसा का साक्ष्य दिया। उन्होंने इस परिस्थिति में लोगों को साहस में बने रहते हुए एक दूसरों के संग एकता की भावना बनाये रखने का आहृवान किया।

गोलमेज विचार अभिव्यक्ति के दौरान विकलांग लोगों की निकासी में शामिल यूक्रेनी एनजीओ "एम्मॉस" के प्रबंधक लाली लिपार्टेलियानी और अनास्तासिया ज़ोलोटोवा की कहानियाँ भी सुनने को मिली जो अपने में मार्मिक हैं।

दोनों महिलाओं ने यह स्वीकार किया कि युद्ध के कारण उन्हें अलगाव और अपनी पहचान खोने की  एक निश्चित भावना का एहसास हुआ। यद्यपि उन्होंने उपस्थित लोगों के साथ अपने में इस विश्वास को साझा किया कि उन्हें फिर भी मसीह में आराम और ताकत मिलती है, जिसे वे अधिक शांतिपूर्ण भविष्य की आशा स्वरूप आलंगिन करते हैं।