आक्रामक परमाणु बयानबाजी के खिलाफ परमधर्मपीठ की चेतावनी

परमाणु परीक्षण विरोधी अंतर्राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर, संयुक्त राष्ट्र संघ में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक ने प्रभावित समुदायों को सहायता प्रदान करने तथा परमाणु हथियारों से मुक्त विश्व की ओर बढ़ने के नैतिक कर्तव्य पर बल दिया।

चिन्ता
परमधर्मपीठ के प्रतिनिधि महाधर्माध्यक्ष गाब्रिएल काच्चिया ने बातचीत, निरस्त्रीकरण संधियों और परमाणु परीक्षण के परिणामों से अभी भी पीड़ित समुदायों की देखभाल के लिए नए सिरे से प्रतिबद्धता का आह्वान किया तथा फिर से उभरती "आक्रामक परमाणु बयानबाजी" पर चिंता जताई।

गुरुवार को न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र में महाधर्माध्यक्ष गाब्रिएल काच्चिया ने अंतर्राष्ट्रीय परमाणु परीक्षण निषेध दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित एक उच्च-स्तरीय पूर्ण अधिवेशन में बोलते हुए याद दिलाया कि परमाणु हथियार के पहले विस्फोट को अस्सी साल बीत चुके हैं। उन्होंने कहा कि इस घटना ने "दुनिया को एक अभूतपूर्व विनाशकारी शक्ति से परिचित कराया" और "मानवता पर एक लंबी छाया" डाली।

निरंतर परमाणु परीक्षण
महाधर्माध्यक्ष ने 1945 से अब तक हुए दो हज़ार से ज़्यादा परमाणु परीक्षणों के निरंतर प्रभाव पर शोक व्यक्त किया और कहा कि इन परीक्षणों ने मूल निवासियों, महिलाओं, बच्चों और अजन्मे बच्चों को असमान रूप से नुकसान पहुँचाया है। उन्होंने कहा, "कई लोगों के स्वास्थ्य और सम्मान पर चुपचाप, और अक्सर बिना किसी सुधार के, असर पड़ रहा है।"

वार्षिक संयुक्त राष्ट्र स्मृति दिवस के अवसर पर महाधर्माध्यक्ष काच्चिया ने इस बात पर ज़ोर  दिया कि इसे नए सिरे से ज़िम्मेदारी के क्षण के रूप में भी देखा जाना चाहिए।

उन समुदायों के लिए ठोस समर्थन का महाधर्माध्यक्ष ने आह्वान किया जो अभी भी परमाणु परीक्षण के दीर्घकालिक परिणामों से प्रभावित हैं। उन्होंने परमधर्मपीठ के इस विश्वास की पुनरावृत्ति की कि परमाणु विस्फोटक परीक्षण के खिलाफ वैश्विक मानदंड को मजबूत करना "वास्तविक और स्थायी शांति की दिशा में एक आवश्यक कदम है।"