पोप ने दिवंगत महाधर्माध्यक्ष अनास्तास की "उत्साही प्रेरितिक सेवा" की याद की

अल्बानिया की ऑर्थोडॉक्स कलीसिया को भेजे संदेश में पोप फ्राँसिस ने तिराना, डुरेस और ऑल अल्बानिया के महाधर्माध्यक्ष अनास्तास के निधन पर अपनी संवेदना व्यक्त की और धर्म के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता और उनके प्रेरितिक समर्पण को याद किया।

पोप फ्राँसिस ने पवित्र धर्मसभा के सदस्यों और अल्बानिया की ऑर्थोडॉक्स कलीसिया के सभी पुरोहितों, मठवासियों, धर्मसंघियों और लोकधर्मियों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है:

संत पापा ने लिखा, “अल्बानिया के ऑर्थोडॉक्स समुदाय का विश्वास निश्चित रूप से हमारे प्रिय भाई के जीवन में सन्निहित था, जिनकी उत्साही प्रेरितिक सेवा ने लोगों को राज्य द्वारा लगाए गए नास्तिकता और उत्पीड़न के वर्षों के बाद अपनी समृद्धि और सुंदरता को फिर से खोजने में मदद की।

संत पापा ने याद किया कि पोप बनने के बाद पहली बार इटली के बाहर प्रेरितिक यात्रा पर उनकी मुलाकात महाधर्माध्यक्ष अनासतास से हुई थी, और उस अवसर पर वे उनके साथ भाईचारे के आलिंगन और आपसी बातचीत को याद करते हैं।

संत पापा याद करते हैं कि अपने लम्बे जीवन एवं मिशन में एक पुरोहित और धर्माध्यक्ष के रूप में उन्होंने सुसमाचार के प्रति गहरे समर्पण को व्यक्त किया है और विभिन्न भौगोलिक एवं संस्कृति क्षेत्रों, पृष्टभूमि में प्रभु के सुसमाचार की घोषणा की। उन्होंने संत पौलुस का अनुकरण किया जो ख्रीस्त के लिए पूरी तरह समर्पित थे और कहा करते थे, “मैं सब के लिए सब कुछ बन गया हूँ, जिससे किसी-न-किसी तरह कुछ लोगों का उद्धार कर सकूँ।” (1 कोरि 9:22).

अल्बानिया में ऑर्थोडॉक्स कलीसिया का मार्गदर्शन करने की जिम्मेदारी संभालते समय, वे उन लोगों के दिलों में गहराई से प्रवेश करना चाहते थे, जिनकी देखभाल करने की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई थी, खासकर उनकी परंपराओं और पहचान में, अन्य ऑर्थोडॉक्स कलीसियाओं के साथ सम्पर्क खोए बिना। साथ ही, वे स्वेच्छा से संवाद में भी शामिल हुए और अन्य कलीसियाओँ एवं धर्मों के साथ शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा दिया।

संत पापा ने दिवंगत आत्मा के लिए प्रार्थना करते हुए कहा, “अब जबकि उनका सांसारिक जीवन समाप्त हो गया है, मैं प्रार्थना करता हूँ कि सर्वशक्तिमान पिता ईश्वर की दया से, वे उन सभी विश्वासियों और पुरोहितों के साथ, जिन्होंने हर जगह और हर समय लोगों के लिए उद्धार के संदेश की घोषणा की है, हमेशा पवित्र त्रित्व की स्तुति कर सकें।”