पोप ने अपोस्तोलिक सिग्नातुरा के कानून में बदलाव किया
पोप फ्राँसिस ने परमधर्मपीठ के सुप्रीम ट्रिब्यूनल को नियंत्रित करनेवाले नियमों में कुछ तकनीकी-शब्दावली परिवर्तन किए हैं। इन बदलावों का उद्देश्य नियमों को पोप के 2022 के रोमन कुरिया सुधार के अनुरूप बनाना है।
पोप फ्राँसिस ने मोतू प्रोप्रियो “मुनुस त्रिबुनालिस” प्रकाशित करते हुए कुरिया के अपने 2022 सुधार, "प्रेदिकाते इवंजेलियुम" के साथ अपोस्तोलिक सिग्नातुरा के उचित कानून का सामंजस्य किया है।
रोम के पलात्सो डेला कनचेलेरिया में स्थित अपोस्टोलिक सिग्नातुरा का सर्वोच्च न्यायाधिकरण, पोप के अलावा काथलिक कलीसिया में सर्वोच्च न्यायिक प्राधिकरण है।
पोप फ्राँसिस ने एक मोतू प्रोप्रियो प्रकाशित किया है, जिसके द्वारा वे संविधान "प्रेदिकाते इवंजेलियुम" द्वारा कार्यान्वित कुरिया के सुधार के साथ अपोस्तोलिक सिग्नातुरा (पहचान) के सर्वोच्च न्यायाधिकरण के कानून को अनुकूलित और सुसंगत बनाते हैं। सिग्नातुरा का कानून, जिसे शाब्दिक परिवर्तनों के साथ थोड़ा संशोधित किया गया है, जून 2008 में बेनेडिक्ट 16वें द्वारा प्रख्यापित किया गया था।
संत पापा ने भूमिका में लिखा है कि “कलीसिया के सर्वोच्च न्यायाधिकरण के रूप में अपने कार्य का प्रयोग करने में, प्रेरितिक सिग्नातुरा अपने आपको रोमी परमाध्यक्ष के सर्वोच्च प्रेरितिक कार्यालय और दुनिया में उनके सार्वभौमिक मिशन की सेवा में रखता है। इस प्रकार, कलीसिया संबंधी प्रशासनिक शक्ति के कार्य से उत्पन्न विवादों को हल करके, सर्वोच्च न्यायालय पेत्रुस के उत्तराधिकारी और सार्वभौमिक कलीसिया की सेवा में कूरिया संस्थानों द्वारा जारी किए गए निर्णयों पर वैधता का निर्णय प्रदान करता है।
मोतू प्रोप्रियो में इन शब्दों में बदलाव लाये गये हैं, अनुच्छेद 1 में “याजक” के स्थान पर “पुरोहित”; अनुच्छेद 3 में “विभाग” के स्थान पर "न्यायाधिकरण” और अनुच्छेद 32 के शब्द "अपोस्तोलिक सिग्नातुरा" के रूप में किया जाएगा। "रोमी परमाध्यक्षीय कार्यालय के विभागों द्वारा जारी" के बदले अनुच्छेद 34 के अनुसार “कूरिया के संस्थानों द्वारा जारी” बोला जाएगा; अनुच्छेद 35 में अंतरधर्मप्रांतीय न्यायाधिकरण के बढ़ावा एवं मंजूरी संस्थान” के बदले “विभिन्न धर्मप्रांतों के धर्माध्यक्षों द्वारा गठित सभी प्रकार के न्यायाधिकरणों के निर्माण को मंजूरी" के रूप में; और 79, 80, 81, 92 और 105 में “विभाग” के बदले “कूरिया संस्थान” होगा।