पोप फ्राँसिस : "अगर हम महिलाओं का सम्मान नहीं करेंगे तो हमारा समाज प्रगति नहीं करेगा"
अप्रैल माह की प्रार्थना की प्रेरिताई में, पोप फ्राँसिस ने महिलाओं के लिए प्रार्थना करने का आह्वान किया है ताकि "हर संस्कृति में महिलाओं की गरिमा और मूल्य को मान्यता दी जाए और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में उनके साथ होनेवाले भेदभाव को समाप्त किया जाए।"
पोप ने अपनी विश्वव्यापी प्रार्थना नेटवर्क के माध्यम से कहा है, “आइए हम महिलाओं का सम्मान करें। हम उनकी गरिमा, उनके बुनियादी अधिकारों का सम्मान करें। और यदि हम नहीं करते हैं, तो हमारा समाज प्रगति नहीं करेगा।''
अपने प्रार्थना मनोरथ में पोप ने कहा है कि सरकारें "हर जगह भेदभावपूर्ण कानूनों को खत्म करने और महिलाओं के मानवाधिकारों की गारंटी की दिशा में काम करने के लिए प्रतिबद्ध हों।"
पोप फ्रांसिस ने एक बार फिर अपनी मासिक प्रार्थना का उद्देश्य महिलाओं को समर्पित किया है। अप्रैल के लिए पोप के वीडियो में, जिसे उन्होंने पोप के विश्वव्यापी प्रार्थना नेटवर्क को सौंपा है, उन्होंने उन प्रयासों पर जोर दिया है जिन्हें आज के समाज को उठाने की जरूरत है, और ख्रीस्तीयों को अपने साथ प्रार्थना में शामिल होने के लिए आग्रह किया है "ताकि महिलाओं की गरिमा और मूल्य को मान्यता दी जा सके।" और हर संस्कृति, और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में उनके साथ होने वाले भेदभाव को ख़त्म करने के लिए।”
पोप फ्राँसिस की निंदा
यह वीडियो, आंखों में आंसू लिए एक एशियाई महिला, चेहरे पर उदासी लिए बाड़ के पीछे एक और महिला, बलात्कार के पीड़ितों के एक समूह को उनके गांव से बाहर निकाले जाने के दृश्यों को प्रस्तुत करता है। संत पापा का संदेश घोषित सिद्धांतों और वास्तविक व्यवहार के बीच मौजूद भारी अंतर को उजागर करता है।
हर समय की नायिकाएँ
पोप के विश्वव्यापी प्रार्थना नेटवर्क के अंतर्राष्ट्रीय निदेशक, फादर फ्रेडरिक फोर्नोस एस.जे. याद करते हैं कि "शुरू से ही, येसु ने महिलाओं को अपने शिष्यों के रूप में स्वागत किया। यह उस समय के समाज में एक नवीनता थी। जैसा कि सुसमाचार दिखलाता हैं, येसु की माँ मरियम ने प्रेरितों और प्रारंभिक समुदाय में एक प्रमुख स्थान रखा। और येसु ने अपने भाइयों के लिए अपने पुनरुत्थान की घोषणा करने का मिशन एक महिला, मेरी मगदलेना को सौंपा था।
संत पापा की प्रार्थना का मनोरथ
“दुनिया के कई हिस्सों में महिलाओं के साथ बेकार की पहली सामग्री के समान व्यवहार किया जाता है। ऐसे देश हैं जहाँ महिलाओं को सहायता प्राप्त करने, व्यवसाय खोलने या स्कूल जाने की मनाही है। इन स्थानों पर, वे उन कानूनों के अधीन हैं जो उन्हें एक निश्चित तरीके से कपड़े पहनने के लिए बाध्य करते हैं। और कई देशों में, जननांग विकृति अभी भी प्रचलित है।
आइए, हम महिलाओं को उनकी आवाज से वंचित न करें। आइए, हम इन सभी प्रताड़ित महिलाओं से उनकी आवाज न छीनें। उनका शोषण किया जाता है, उन्हें हाशिए पर रखा जाता है।
सैद्धांतिक रूप से, हम सभी सहमत हैं कि पुरुषों और महिलाओं की गरिमा मानव के समान ही है। लेकिन व्यवहार में यह बात लागू नहीं होती।
सरकारों को हर जगह भेदभावपूर्ण कानूनों को खत्म करने और महिलाओं के मानवाधिकारों की गारंटी की दिशा में काम करने की आवश्यकता है।
आइए, हम महिलाओं का सम्मान करें। आइए, हम उनकी गरिमा, उनके बुनियादी अधिकारों का सम्मान करें। और यदि हम ऐसा नहीं करेंगे तो हमारा समाज प्रगति नहीं करेगा।
आइए, हम प्रार्थना करें कि महिलाओं की गरिमा और मूल्य को हर संस्कृति में मान्यता दी जाए, और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में उनके साथ होनेवाले भेदभाव को समाप्त किया जाए।”