हम सब एक दूसरे को समृद्ध बनाने के लिये बुलाये गये हैं, पोप 

विएना से आये "बिगेगनुन सेन्ट्रुम" अर्थात् साक्षात्कार केन्द्र के सदस्यों ने शुक्रवार को वाटिकन में पोप फ्राँसिस का साक्षात्कार कर उनका सन्देश सुना। "बिगेगनुन सेन्ट्रुम" में एकजुट विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधियों का अभिवादन करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि हम सबको एक दूसरे की ज़रूरत है तथा हम सब एक दूसरे को समृद्ध बनाने के लिये बुलाये गये हैं।

"बिगेगनुन सेन्ट्रुम"  
उन्होंने कहा, "आप विश्व के अलग-अलग देशों से यहाँ पहुँचे हैं, अलग-अलग धर्मों के अनुयायी हैं तथा भिन्न-भिन्न धार्मिक संप्रदायों से संबंधित हैं, और आप में से प्रत्येक के पास अपने जीवन के अनुभव हैं, जिनमें कभी-कभी गंभीर उतार-चढ़ाव भी होते हैं, तथापि, एक बात हम सभी को एकजुट करती है और वह है कि हम सब आपस में भाई-बहन हैं, एक ही पिता की संतान हैं।"

विएना महाधर्मप्रान्त की पहल पर आरम्भ "बिगेगनुन सेन्ट्रुम" अर्थात् साक्षात्कार केन्द्र का उद्देश्य अधिक धारणीय, शांतिपूर्ण और अहिंसक जीवन शैली के विकास को प्रोत्साहित करना। विश्व के विभिन्न राष्ट्रों एवं धर्मों के लोग इस पहल में भागीदार हैं।  

परस्पर सेवा और प्रेम
पोप ने कहा, "मुझे बहुत खुशी है कि यह वास्तविकता आपके समुदाय में तब ठोस हो जाती है जब आप एक-दूसरे की मदद करते हैं और अपनी बैठकों में हर कोई जो पेशकश कर सकता है उसे साझा करते हैं।" उन्होंने कहा कि वस्तुतः, "यह सच नहीं है कि कुछ लोग देते हैं और अन्य केवल प्राप्त करते हैं: हम सभी देने वाले और प्राप्त करने वाले भी हैं, हमें एक दूसरे की आवश्यकता है और हमें एक दूसरे को समृद्ध करने के लिए बुलाया गया है।" पोप ने कहा कि याद रखा जाये कि देना केवल भौतिक उपहारों के माध्यम से नहीं होता है, बल्कि "एक साधारण मुस्कान, दोस्ती का इशारा, एक भाईचारे की नज़र तथा ईमानदारी से दूसरों को सुनने के द्वारा और निशुल्क सेवा के माध्यम से भी होता है।"

सभी से पोप ने अनुरोध किया कि वे "वही करें जो प्रभु येसु ख्रीस्त ने सिखाया है अर्थात एक दूसरे से वैसा ही प्रेम करें जैसा उन्होंने हमसे किया है। हम ईश्वर को उनके प्रेम के लिये धन्यवाद ज्ञापित करें, जो हमें हमारे आस-पास रहनेवाले भले लोगों के माध्यम से मिलता है। स्मरण रखें कि प्रभु हमें सभी सीमाओं और कठिनाइयों से परे प्यार करते हैं। हममें से प्रत्येक प्रभु ईश्वर की दृष्टि में अद्वितीय है, इसी को ध्यान में रखते हुए हम सदैव अपने जीवन को दूसरों के लिए उपहार बनाने का प्रयास करें।"